केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: देश में ही होगा इनका निर्माण
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को 351 डिफेंस प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर रोक लगा दी है। मंत्रालय के मुताबिक, इन सभी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट को 3 स्टेज में बंद किया जाएगा। पिछले 16 महीने में मंत्रालय तरफ से इस तरह की तीन लिस्ट जारी हो चुकी है। इस फैसले से 3 हजार करोड़ रुपए की फॉरेन करेंसी की बचत होगी। इसके साथ ही जारी एक और लिस्ट में 2500 ऐसे उपकरणों जानकारी दी गई है, जिन्हें अब पूरी तरह से भारत में ही बनाना शुरू कर दिया गया है।
3 साल में बंद होगा इंपोर्ट
मंत्रालय ने बताया, इन सभी डिफेंस प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट अगले 3 साल में बंद किया जाएगा। पहले स्टेज में अगले साल दिसंबर तक 172 प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट बंद होगा। इसके बाद दिसंबर 2023 तक 89 उपकरणों का आयात खत्म किया जाएगा। सबसे आखिर में दिसंबर 2024 तक 90 प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।
मंत्रालय ने बताया, इन सभी डिफेंस प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट अगले 3 साल में बंद किया जाएगा। पहले स्टेज में अगले साल दिसंबर तक 172 प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट बंद होगा। इसके बाद दिसंबर 2023 तक 89 उपकरणों का आयात खत्म किया जाएगा। सबसे आखिर में दिसंबर 2024 तक 90 प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।
लेजर वाॅर्निंग सेंसर से लेकर केबल और सॉकेट भी शामिल
जिन उपकरणों पर रोक लगाई गई है उनमें लेजर वार्निंग सेंसर, हाई प्रेशर चेक वाल्व, हाई प्रेशर ग्लोब वाल्व, ड्रेनेज इन्ट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम और कई तरह के केबल, सॉकेट और वोल्टेज कंट्रोल आसिलेटर शामिल हैं। पिछले साल अगस्त में, मंत्रालय ने 2024 तक 101 हथियारों और आर्मी प्लेटफॉर्म्स के इंपोर्ट को रोकने की घोषणा की थी। इन हथियारों और आर्मी प्लेटफॉर्म्स में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, लाइट कॉम्बेट हेलिकॉप्टर, कन्वेंशनल सबमरीन, क्रूज मिसाइल और सोनार सिस्टम शामिल है।
जिन उपकरणों पर रोक लगाई गई है उनमें लेजर वार्निंग सेंसर, हाई प्रेशर चेक वाल्व, हाई प्रेशर ग्लोब वाल्व, ड्रेनेज इन्ट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम और कई तरह के केबल, सॉकेट और वोल्टेज कंट्रोल आसिलेटर शामिल हैं। पिछले साल अगस्त में, मंत्रालय ने 2024 तक 101 हथियारों और आर्मी प्लेटफॉर्म्स के इंपोर्ट को रोकने की घोषणा की थी। इन हथियारों और आर्मी प्लेटफॉर्म्स में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, लाइट कॉम्बेट हेलिकॉप्टर, कन्वेंशनल सबमरीन, क्रूज मिसाइल और सोनार सिस्टम शामिल है।
मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने का मकसद
देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। मई में जारी एक लिस्ट में 108 आर्मी हथियारों और नेक्स्ट जनरेशन के कॉर्वेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, टैंक इंजन और रडार जैसे सिस्टम के इंपोर्ट को रोक दिया गया था। सरकार ने पिछले साल मई में डिफेंस सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट के तहत FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% करने का ऐलान किया था। भारत दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार इंपोर्ट करने वाले देशों में शामिल है। एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय सेना अगले 5 साल में 130 अरब डॉलर के हथियार खरीदेगी। सरकार इन फैसलों के जरिए आर्मी इक्विपमेंट के क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम को बढ़ावा देना चाहती है।
देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। मई में जारी एक लिस्ट में 108 आर्मी हथियारों और नेक्स्ट जनरेशन के कॉर्वेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, टैंक इंजन और रडार जैसे सिस्टम के इंपोर्ट को रोक दिया गया था। सरकार ने पिछले साल मई में डिफेंस सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट के तहत FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% करने का ऐलान किया था। भारत दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार इंपोर्ट करने वाले देशों में शामिल है। एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय सेना अगले 5 साल में 130 अरब डॉलर के हथियार खरीदेगी। सरकार इन फैसलों के जरिए आर्मी इक्विपमेंट के क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम को बढ़ावा देना चाहती है।
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