32 दिन मे ही ठप्प हो गई इकाई
संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र की 500 मेगावाट यूनिट मे फिर आई खराबी
उमरिया। प्रदेश मे जारी ऊर्जा संकट के बीच संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र की सबसे बड़ी यूनिट बीती रात एक बार फिर ठप्प हो गई। जिससे त्यौहारों के सीजन मे समस्या और गहराने की आशंका है। बताया जाता है कि प्रतिदिन 500 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने वाली इस इकाई के फाउण्डेशन मे वाईब्रेशन आने से इसे बंद करना पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक यह एक बड़ी समस्या है, इससे कोई भीषण हादसा भी हो सकता था। जबकि संयंत्र से जुड़े लोग इसे लापरवाही तथा लंबे समय से प्लांट मे चल रही धांधली का नतीजा बता रहे हैं। उनका कहना है कि 500 मेगावाट क्षमता की इस इकाई पर हाल ही मे मेंटीनेन्स के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च किये गये थे। इसी वजह यूनिट 19 जुलाई से 17 सितंबर तक बंद रही और 18 सितंबर को इसे पुन: चालू किया गया। करीब 90 दिनो तक बंद रहने और करोड़ों रूपये खर्च करने बाद शुरू हुई यूनिट के महज 32 दिनो मे ही फिर ठप्प होने से प्रबंधन पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं।
8 दिनो से हो रहा था वाईब्रेशन
गौरतलब है कि जिले के संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र का उद्घाटन देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था। बताया जाता है कि तब से लेकर आज तक संयंत्र की किसी भी इकाई के फाउण्डेशन मे इस तरह की खामी नहीं आई है। जानकारी के अनुसार 500 मेगावाट इकाई मे वाईव्रेशन का स्तर तय मानकों से 8 गुना होने के बावजूद प्रबंधन इसे कम लोड पर चलाये जा रहा था, ताकि करोड़ों रूपये की मेंटीनेन्स पर प्रश्नचिन्ह खड़े न हों। जब मामला तय स्तर से काफी ऊपर चला गया तो मजबूरन इकाई को बंद करना पड़ा।
ऊपर तक बंट रही भ्रष्टाचार की रेवड़ी
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि जबरन चलाने के कारण यूनिट की इंजिन को भी काफी क्षति पहुंची है। जिसकी मरम्मत पर फिर से लाखों रूपये खर्च होंगे, सांथ ही कई दिनो तक उत्पादन भी बंद रहने की संभावना है। ज्ञांतव्य हो कि संगांतावि केन्द्र मे मुख्य अभियंता से लेकर कई छोटे-बड़े इंजीनियर तैनात हैं। जिन्हे कम्पनी बंगला, गाड़ी, नौकर से लेकर हर सुख-सुविधा के अलावा लाखों रूपये का वेतन भी देती है। फिर संयंत्र मे बार-बार ऐसा क्यों हो रहा है और इसका जिम्मेदार कौन है। मंगठार से लेकर जबलपुर तक धांधली की आवाज पहुंचने के बावजूद अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही न होने का मतलब यही है कि फर्जीवाड़े की रेवड़ी ऊपर से नीचे बांट रही है।
1340 क्षमता, 370 उत्पादन
सबसे बड़ी 500 मेगावाट यूनिट बंद हो जाने से 1340 क्षमता वाले इस संयंत्र मे अब महज 370 मेगावट बिजली का उत्पादन हो रहा है। यह भी बताया गया है कि प्लांट मे मरम्मत के नाम पर हर साल करोड़ों रूपये की बंदरबांट हो रही है। वहीं श्रमिक संगठन इस पूरे घटनाक्रम को निजीकरण की साजिश से जोड़ कर देख रहे हैं। उनका आरोप है कि जो मेंटीनेन्स पहले 10 लाख रूपये मे होता था, अधिकारी उसे एक करोड़ मे करवा रहे हैं। उन्होने कहा कि प्रदेश मे अहम स्थान रखने वाले इस प्लांट को जानबूझ कर घाटे मे लाने का कुचक्र रचा जा रहा है ताकि इसे भी बेंचने का रास्ता खुल सके।
32 दिन मे ही ठप्प हो गई इकाई
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