3 साल मे 549 छात्रों के फर्जी एडमीशन

प्रदेश के आयुष विभाग मे व्यापमं से भी बड़ा घोटाला, जांच मे हुआ खुलासा जबलपुर। व्यापमं महाघोटाले के बाद अब मप्र में निजी एवं सरकारी आयुष मेडिकल कॉलेजों में वर्ष 2016 से 2018 तक 3 सालों में (आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी) में 549 छात्रों के फर्जी प्रवेश का मामला सामने आया है। बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएचएम की डिग्रियां लेकर पास हो चुके 549 डॉक्टरों को डिग्रियां देने वाले निजी/सरकारी कॉलेजों पर कार्रवाई के साथ अन्य दोषियों के खिलाफ एफआईआर तक की अनुशंसा जांच रिपोर्ट में की गई है। यह घोटाला मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) के पूर्व प्रभारी रजिस्ट्रार एवं तत्कालीन ओएसडी (आयुष) एवं कॉलेज शाखा के प्रभारी डॉ. जेके गुप्ता के कार्यकाल में हुआ है। इस मामले में जांच अधिकारी पंकज शर्मा का कहना है कि उन्होंने जांच रिपोर्ट करीब डेढ़ माह पहले शासन को सौंप दी, कार्रवाई भी शासन स्तर पर होना है। मामले में आयुष विभाग के राज्यमंत्री रामकिशोर नानो कावरे ने दो टूक कहा है कि जांच लगभग पूरी हो चुकी है दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ तथ्यों के आधार पर धोखाधड़ी और अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कराए जा सकते हैं।
ऐसे हुए एडमिशन
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीएएमएस, डीयूएमएस, बीएचएमएस तथा वीएनवायएस एवं एडीएमएस आयुर्वेद एवं एमडी होम्योपैथी में प्रवेश हेतु वर्ष 2017-18 में पाहुट एवं वर्ष 2018-19 में प्रवेश हेतु नीट परीक्षा आयोजित की गई। इसी परीक्षा में उतीर्ण विद्यार्थियों को अंकों के आधार पर विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संचालनालय ऑनलाईन काउंसिलिंग आयोजित की जाती है। कुछ विद्यार्थी जो प्रवेश परीक्षा में शामिल ही नहीं हो पाए या काउंसिलिंग में जिन्हें किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं मिला उन्हीं को बैकडोर एंट्री देने के नियमों को ताक पर रख कर ऑफलाइन काउंसलिंग कराई गई।
इन कॉलेजों के नाम आए सामने
इस सूची में विद्यार्थियों के साथ कुछ कॉलेजों के नाम भी सामने आए हैं। जिनमें से भोपाल के हैनीमैन कॉलेज, इंदिरा गांधी कॉलेज, के एस होम्योपैथिक, महात्मा गांधी, मानसरोवर, नारायण श्री, राजीव गांधी, रानी दुल्लैया आयुर्वेदिक, एसएम होम्योपैथिक, श्री शक्ति लाल, शुभदीप, एसकेआरपी, स्वामी प्रणवानंद, इंदौर के युनानी कॉलेज, वसुंधरा राजे कॉलेज, धार का इंदिरा गांधी कॉलेज, एलबीएस होम्योपैथिक, मानसरोवर, राजीव गांधी आयुर्वेदिक, सैम कॉलेज, सेंधवा होम्योपैथिक, शिवांग, एसएमए नेचरोपैथी, सोफिया होम्योपैथिक, श्री साईं इंस्टीट्यूट, वीणावादिनी कॉलेज सहित अन्य कॉलेजों के नाम सामने आए हैं।
जांच में नियम विरुद्ध प्रवेश हुआ प्रमाणित
आयुष विभाग में हुए इस कथित घोटाले की जांच में नियम विरुद्ध प्रवेश प्रमाणित पाया गया। आयुष संचालनालय के महाविद्यालय शाखा के प्रभारी आयुक्त डॉ. एस के तिवारी को 29 जून 2021 को जांच के संबंध में जांच अधिकारी उप सचिव आयुष विभाग पंकज शर्मा द्वारा सौंपे गए पत्र क्रमांक एफ.06-55/2020/1/59 में इस बात की पुष्टि की गई। शिक्षण सत्र वर्ष 2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 में आयुष पाठ्यक्रमों में प्रवेश की जांच के संबंध में प्रेषित पत्र में कहा गया है कि इनमें अवैध प्रवेश की जांच कराई गई थी। जांच में प्राविधिक रूप से वर्ष 2016 में ऑनलाईन प्रक्रिया से हटकर 235, वर्ष 2017 में 27 और वर्ष 2018 में 287 प्रवेश हुए। रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह कुल 549 प्रवेश ऑनलाइन प्रक्रिया से हटकर दिए गए।
जांच में 6 बिंदुओं पर कार्रवाई
जांच में प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर 6 बिंदुओं पर कार्रवाई सर्वोच्च प्राथमिकता पर कर जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही गई।
-पत्र के प्रथम बिंदु में पूछा गया कि क्या ऑनलाइन प्रक्रिया से हटकर दिए गए प्रवेशों को संचालनालय द्वारा सहमति/स्वीकृति दी गई। दूसरे बिंदु में वर्ष 2016 से 2018 में काउंसिलिंग प्रक्रिया के प्रभारी से स्थिति का स्पष्टीकरण लेकर जानकारी मांगी गई। पत्र के तीसरे बिंदु में स्पष्ट कहा गया कि निजी महाविद्यालयों से इन वर्षों में अध्ययनरत छात्रों की प्रमाणित सूची तथा महाविद्यालयों में छात्रों को नियम विरुद्ध प्रवेश दिया जाना प्रमाणित पाया गया है उनके विरुद्ध कार्यवाही प्रस्तावित की जाए। पत्र के चतुर्थ बिंदू में एमयू के रजिस्ट्रार से इन वर्षों में पंजीकृत अध्ययनरत छात्रों की प्रमाणित जानकारी बुलवाने की बात कही गई। पत्र के 5 वें बिंदू में वर्ष 2019-20 में एमपी ऑनलाइन एवं आयुष संचालनालय दोनों द्वारा 1541 छात्रों के प्रवेश की जानकारी दी गई है जिसमें कोई भिन्नता नहीं है। इस बिंदू में यह भी कहा गया कि इन 1541 छात्रों की सूची एमयू के रजिस्ट्रार को भेजकर यह सुनिश्चित किया जाए कि इनके अलावा एक भी छात्र एमयू में पंजीकृत या अध्ययनरत तो नहीं। इस प्रमाणीकरण को 7 दिन में प्राप्त कर शासन को जानकारी भेजने के साथ ही 6 वें बिंदू में वर्ष मार्च अप्रैल 2021 में हुई काउंसिलिंग की अंतिम जानकारी विभागीय पोर्टल पर अपलोड कर काउंसलिंग 2020 का पूर्ण प्रतिवेदन 7 दिन के भीतर शासन को उपलब्ध कराने की बात कही गई।
खुद को शामिल कर स्वयं जारी कर दिया आदेश
सेंट्रलाइज ऑफलाईन काउंसिलिंग के नाम पर खेल अधिकारी (ओएसडी), आयुष विभाग डॉ. जे.के गुप्ता ने वर्ष 2017 में खुद को शामिल कर ऑफलाईन काउंसिलिंग की थी। स्वयं के हस्ताक्षर से 4 दिसंबर 2017 जारी आदेश क्रमांक 13897-3900/17/4-आयुष विभाग से इसकी पुष्टि होती है। आदेश में श्री गुप्ता ने अपने साथ ही स्थानीय संचालनालय की उप संचालक डॉ. शोभना शुक्ला एवं सहायक संचालक डॉ. वंदना बोराना को इस समिति में शामिल किया। आदेश में सत्र 2016-17 में ऑनलाइन काउंसिलिंग एवं सेंट्रलाइज काउंसिलिंग के माध्यम से प्रवेशित छात्रों के नामांकन के लिए महाविद्यालयवार एवं पैथीवार छात्रों की सूची निरीक्षण/परीक्षण उपरांत सत्यापन हेतु उक्त समिति के गठन की बात कही गई। आदेश में कहा गया कि उक्त सदस्यों की समिति समस्त निजी महाविद्यालयों से प्राप्त सूची का एमपी ऑनलाईन की सूची एवं सेंट्रलाइज ऑफलाइन काउंसिलिंग हेतु गठित उक्त समिति से प्राप्त रिकार्ड अनुसार सूचियों का निरीक्षण/परीक्षण (मिलान कर) महाविद्यालयवार सूची संबंधित महाविद्यालय एवं मप्र एमयू को एक सप्ताह में अनिवार्य रूप से प्रेषित कर रिकार्ड कक्ष में प्रस्तुत करेगी। हैरानी की बात यह रही कि आयुक्त द्वारा अनुमोदित इस समिति के सदस्यों के अलावा आदेश के सूचनार्थ, पालनार्थ एव आवश्यक कार्रवाई हेतु किसी वरिष्ठ अधिकारी, मंत्रालय अथवा राजभवन को भी प्रेषित नहीं की गई। सूत्रों के अनुसार नियमों को ताक पर रखकर कथित सेंट्रलाइज ऑफलाईन काउंसिलिंग के जरिए ही सभी फर्जी एडमीशन हुए, काउंसिलिंग के साथ रिकार्ड भी इस समिति के हाथों में था जो न अब संचालनालय में मिल रहा है न ही एमयू में।
विधानसभा में गूंजा मामला
प्रदेश के निजी आयुष महाविद्यालयों में प्रवेशित विद्यार्थियों की चयन सूची के विषय में जबलपुर के पनागर से विधायक सुशील कुमार तिवारी ने आयुष मंत्री से 30 दिसंबर 2020 को सवाल पूछा था कि क्या 2017-18 एवं 2018-19 में जबलपुर एवं प्रदेश के निजी कॉलेजों में नीट प्री आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, युनानी एवं योगा पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु चयन परीक्षा आयोजित की गई, यदि की गई तो क्या चयनित विद्यार्थियों की काउंसलिंग एमपी आनलाइन/ऑफलाइन माध्यम से की गई थी, यदि की गई तो क्या यह सही है कि एमपी ऑनलाइन द्वारा मप्र आयुष संचालनालय को भेजी गई चयनित विद्यार्थियों की सूची एवं संचालनालय द्वारा जारी फाइनल सूची में अलग-अलग नाम है, श्री तिवारी ने इसका कारण भी पूछा। जवाब में आयुष राज्य मंत्री राम किशोर (नानो) कावरे ने बताया कि आयुष कॉलेजों में प्रवेश हेतु पाहुट वर्ष 2017-18 एवं वर्ष 2018-19 में प्रवेश हेतु नीट आयोजित की गई, श्री कावरे ने स्वीकारा था कि एमपी ऑनलाइन की मेरिट से सत्र 2017-18 में ऑनलाइन एवं सत्र 2018-19 में ऑनलाइन/ऑफलाइन दोनों माध्यम की काउंसलिंग से हुई।
दोबारा उठाया सवाल
5 मार्च 2021 को विधानसभा में दोबारा श्री तिवारी ने इसी विषय में सवाल उठाते उत्तर मांगा। उन्होंने पूर्व में दिए गए जवाब पर पूछा कि वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में एमपी ऑनलाईन एवं संचालनालय द्वारा जारी चयनित विद्यार्थियों की फाइनल सूची का परीक्षण करा लिया गया, क्या सूची दोषपूर्ण पाई गई और यदि दोषपूर्ण पाई गई तो सुधार के लिए क्या कार्य हो रहा है इसके साथ ही यह त्रुटि करने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही परीक्षण की समय सीमा के विषय में सवाल उठाया लेकिन इस बार भी परीक्षण प्रक्रियाधीन होने और जांच में तथ्य सामने आने पर गुणदोष के आधार पर कार्रवाई करने की बात कहते हुए श्री कावरे ने कहा कि परीक्षण की समय सीमा बता पाना संभव नहीं। 12 अगस्त को तीसरी बार श्री तिवारी ने इस विषय में सवाल उठाया कि क्या 6 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जांच प्रक्रियाधीन है लेकिन श्री कावरे इसका जवाब नहीं दे पाए और विधानसभा का सत्र समाप्त हो गया।
संचालनालय में हैं अभिलेख
दस्तावेज मैं अपने साथ नहीं लाया हूं, सारे अभिलेख संचालनालय में ही हैं मैं सिर्फ 2011 में और वर्ष 2016 में ओएसडी था शेष समय दूसरे अधिकारी रहे, मुझे अकारण ही मास्टरमाइंड कहा जा रहा है, आरोप निराधार हैं।
डॉ. जेके गुप्ता
तत्कालीन ओएसडी, संचालनालय, वर्तमान उपकुलसचिव, एमयू
दर्ज होंगे आपराधिक प्रकरण
जांच लगभग पूर्ण हो चुकी है 15 दिनों में दोषियों के नाम भी सामने आ जाएंगे, जांच में यदि पाया जाता है कि कोई दोषी है तो ऐसे विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों के खिलाफ भी धोखाधड़ी और अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कराए जाएंगे। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
रामकिशोर नानो कावरे
आयुष राज्यमंत्री, मप्र शासन

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