3 डाक्टरों पर 44 का भार
बेतहाशा टेक्स लेने के बाद बदहाली का झुनझुना, जिंदगी से हो रहा खिलवाड़
उमरिया। भारत अपने नागरिकों से दुनिया मे सबसे अधिक टेक्स लेने वाला देश है। सरकार संपत्ति से लेकर सर्विस और जीएसटी, आयकर, सड़क, परिवहन, पेट्रोल तथा डीजल आदि पर यह कहते हुए भारी भरकम कर वसूलती है, कि वह इस पैसे से जनता को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, सड़कों जैसी सुविधायें मुहैया कराती है। जमीनी हकीकत पर नजर डालें तो हालात इसके ठीक विपरीत हैं। लोगों को अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा शासन को भेंट करने के बाद भी इनमे से एक भी सुविधा या तो नहीं मिलती, या इसके लिये उन्हे दोबारा अपनी जेबें ढीली करनी होती हैं। उमरिया जिले को ही लें, जहां ना तो शिक्षा, सफाई और नां ही स्वच्छ पेयजल की मूलभूत व्यवस्थायें हैं। सबसे ज्यादा बुरा हाल तो स्वास्थ्य सेवाओं का है। जिले मे वर्षो से एक अदद एमडी डाक्टर तक नहीं है, जो अचानक तबियत बिगडऩे पर मरीज की प्राण रक्षा कर सके। लिहाजा गंभीर स्थिति मे यहां के बाशिंदों को कटनी, जबलपुर भागने पर मजबूर होना पड़ता है। इस दौरान किस्मत अच्छी रही तो ठीक, वर्ना जान तो गई समझो।
फिर किस चीज का टेक्स
बात कोरोना की हो, हार्ट या अन्य बीमारियों की, अस्पताल मे इलाज का कोई इंतजाम नहीं हैं। यहां वेंटीलेटर तक चलाने वाला कोई नहीं हैं। जिले मे बिल्डिगें तो हैं पर डाक्टर और नर्स नहीं। ऐसे मे सवाल उठता है कि जब जनता को ही सब कुछ करना है तो सरकार टेक्स किस चीज का ले रही है और लोग टेक्स क्यों दें।
जिला चिकित्सालय का हाल
हाल ही मे जिला अस्पताल का 100 से 200 बिस्तर मे उन्नयन हुआ है। इस हिसाब से चिकित्सालय मे विशेषज्ञ डाक्टरों के 44 पद स्वीकृत हैं। इनमे मेडीसिन, सर्जरी, नाक-कान, एनेस्थीसिया, चर्म रोग, दांत, मानसिक बीमारी, हड्डी, लैब आदि कई विभागों के डाक्टर शामिल हैं, लेकिन अस्पताल मे इनमे से मात्र तीन या चार स्पेशलिस्ट ही पदस्थ हैं, जिनके कंधों सारी व्यवस्थाओं का भार है। इसके अलावा सीएमएचओ कार्यालय मे क्षय अधिकारी, मलेरिया अधिकारी, डीएचओ, डीटीओ आदि के करीब दर्जन भर पद भी खाली पड़े हैं। इनका सारा काम बाबू संभाल रहे हैं।
स्वास्थ्य केन्द्रों मे भी मैदान खाली
यही हाल स्वास्थ्य अैर उप स्वास्थ्य केन्द्रों का है। जानकारों के मुताबिक चंदिया, पाली, नौरोजाबाद, मानपुर तथा जिला मुख्यालय को मिला कर जिले मे कुल 16 सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, इनमे मात्र 6 डाक्टर पदस्थ हैं। जबकि 123 उप केन्द्रों मे तो कोई डाक्टर ही नहीं है। इनमे से 50 जगहों पर एएनएम या सीएचओ को तैनात कर काम चलाया जा रहा है।