सब स्टेशन के लिए अधिग्रहित जमीन मे धांधली, किसानों की शिकायत पर मंत्री मीना सिंह ने दिए जांच के निर्देश
बांधवभूमि,उमरिया
जिले के मानपुर जनपद अन्तर्गत ग्राम बिजौरी मे बनने वाले 220 केवी सब स्टेशन तथा टावर आदि के लिए अधिग्रहित जमीन की प्रक्रिया मे किसानों द्वारा की गई धोखाधड़ी की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जनजातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह ने प्रशासन को मामले की जांच के निर्देश दिये हैं। बताया गया है कि सब स्टेशन निर्माण के लिए बिजौरी ग्राम के करीब एक दर्जन किसानों से जमीने खरीदी गई है। आरोप है कि संबंधित कंपनी द्वारा जमीन की रिजस्ट्री तो 27-27 लाख मे कराई पर किसानों को महज 10-10 लाख रुपये का ही भुगतान किया। विगत दिनों सभी किसानों ने मंत्री के पास पहुंच कर गुहार लगाई और शेष 17-17 लाख रुपये दिलाने की मांग की। जिस पर सुश्री मीना सिंह अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची। उन्होंने तहसीलदार एमपी विराट को निर्देशित किया है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराएं। शिकायत सही पाए जाने पर कार्यवाही की जाय। ग्रामीणों के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिये।
जितनी जमीन ली उससे ज्यादा मांग रहे
किसानों ने बताया है कि वे ज्यादा पढ़े लिखे और जानकार नहीं है। इसी का फायदा उठा कर उनके साथ धोखाधड़ी की जा रही है। कम्पनी के ठेकेदारों ने जितनी भूमि बताकर लिखा पढ़ी कराई, अब उससे ज्यादा भूमि मांगी जा रही है। उनका कहना है कि कम्पनी के लोगों ने विश्वास मे लेकर कागजों में दस्तखत करा लिए अब वे दूसरी बातें कह कर उन्हें परेशान कर रहे हैं।
रात मे हुई रजिस्ट्री
किसानों ने बताया है कि विद्युत सब स्टेशन के निर्माण हेतु रजिस्ट्री भी आनन-फानन मे करा दी गई है। उनके मुताबिक इस कार्य के लिए उन्हें शाम को उमरिया ले जाया गया। देर रात तक कार्यवाही चलती रही। इतना ही नहीं 10 दिनों मे ही जमीनों का नामांतरण भी कर दिया गया है। किसानों का आरोप है कि इस धोखाधड़ी मे ठेकेदार के साथ शासकीय अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक मानपुर क्षेत्र मे व्याप्त ओवरलोड तथा लो वोल्टेज समस्या के निदान हेतु बिजौरी मे 220 केवी का सब स्टेशन स्थापित कराया जा रहा है। इसका ठेका अडानी की कम्पनी को मिला है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह कंपनी अपना सब स्टेशन बनाएगी, साथ ही उसका रख रखाव भी करेगी।
तो क्या कम्पनी के लोगों ने ही कर दी धोखाधड़ी
किसानों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों ने सब स्टेशन के की गई भूमि की खरीदी पर कई प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। क्योंकि बिना रजिस्ट्रार के सामने लेनदेन हुए कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकती। फिर जब कम्पनी ने जमीन की रजिस्ट्री 27 लाख की कराई तो किसानों को सिर्फ 10 लाख ही क्यों दिए गए। क्या कम्पनी के नुमाइंदों ने ही बीच मे गोलमाल कर दिया। या अधिकारियों की साठगांठ से भोले-भाले किसानों के साथ धोखाधड़ी की साजिश रची गई। यह सब कुछ जांच के बाद ही पता चल सकेगा।
27 लाख की रजिस्ट्री, 10 लाख का भुगतान
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