21 डॉक्टरों ने  दिया इस्तीफा

सिविल सर्जन को तत्काल हटाने की मांग पर अड़े चिकित्सक
शहडोल । सिविल सर्जन की पदस्थापना को लेकर जिला चिकित्सालय में बीते सप्ताह भर से उथल-पुथल मची हुई है।कनिष्ठ को पद देने और वरिष्ठ की अवहेलना करने के आरोप चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार पर लगाए हैं।
चिकित्सकों ने इस संदर्भ में पूर्व में ही प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित स्वास्थ्य विभाग के मंत्री और विभाग के आला अधिकारियों को पत्र लिखकर अपनी मंशा से अवगत कराया था और यह साफ कर दिया था कि यदि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई, तो समस्त चिकित्सक अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, लेकिन मरीजों को देखते हुए चिकित्सकों ने रूटीन के कार्यों को छोड़कर बाकी आवश्यक व इमरजेंसी कार्यों में अपनी सहभागिता लगातार बना कर रखी थी ।3 दिन पहले पुनः मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मेघ सिंह सागर को चिकित्सकों ने मिलकर अपना इस्तीफा सौंपा था तथा चिकित्सा अधिकारी के समझाईश के बाद उन्होंने 3 दिन के लिए अपना इस्तीफा वाला कार्यक्रम डाल दिया था। लेकिन जब इस पर भी बात नहीं बनी और 3 दिन बीत गए तो जिला चिकित्सालय में पदस्थ पूरे के पूरे 21 चिकित्सक सीएमएचओ कार्यालय पहुंचे और उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को अपना इस्तीफा सौंपा, क्योंकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा दी गई समय सीमा भी आज खत्म हो गई, इस कारण चिकित्सक कोई बदलाव न होने के कारण यहां पहुंचे थे, लेकिन उनका इस्तीफा लेने वाला यहां पर कोई नहीं था कुछ घंटो तक इंतजार करने के बाद समस्त चिकित्सकों ने अपना इस्तीफा आवक- जावक में दे दिया और अस्पताल को अलविदा कहकर वहां से लौट गए। पूरे मामले में खास बात यह रही कि पहले दिन जब चिकित्सकों ने अपना इस्तीफा सौंपा था, उस दिन की संख्या 19 थी, अगले दिन डॉ पटेल के नेतृत्व में कई चिकित्सकों के इस हड़ताल से बाहर रहने के पत्र जारी करवा कर सोशल मीडिया में वायरल किए गए थे, लेकिन सिविल सर्जन व डॉ पटेल का पूरा खेल बीते दिनों में समाप्त हो गया और 19 से बढ़कर चिकित्सकों की संख्या 21 पहुंच गई आज जो चिकित्सकों के द्वारा दिया गया है उस पत्र में 19 की जगह 21 के नाम और सभी मौके पर भी उपस्थित थे। जिला अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा इस तरह सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देने और जिला अस्पताल को अलविदा कह देने से अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर निश्चित ही असर पड़ेगा और यदि इस ओर गंभीरता से पहल नहीं की गई तो मरीजों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ेगा।
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