21 पर भारी पड़ रहा 22

21 पर भारी पड़ रहा 22
बांधवगढ़ मे फिर बाघ की मौत, शिकार से गई तेंदुए की जान
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे एक बाघ और एक तेंदुए की मौत हो गई है। बाघ की मौत आपसी भिड़ंत मे होना बताई गई है। जबकि शिकारियों द्वारा लगाये गये फंदे मे फंस कर तेंदुए की जान चली गई। इस संबंध मे मिली जानकारी के अनुसार गश्ती दल को पार्क क्षेत्र के धमोखर रेंज की बड़वार बीट मे वयस्क नर बाघ का शव मिला। मृत बाघ की आयु करीब 4 वर्ष थी, जिसकी मौत करीब 4-5 दिन पहले हो चुकी थी। इसके अलावा पनपथा कोर की हरदी बीट मे दुर्लभ प्रजाति के तेंदुए की मौत हो गई। घटना की सूचना पर सीएफ बीएस अन्नीगिरी, चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता, डॉ. हिमांशु जोशी, एसडीओ सुधीर मिश्रा, रेंजर वीएस श्रीवास्तव सहित अन्य पार्क अधिकारी एवं कर्मचारी मौके पर पहुंचे तथा हालात का जायजा लिया। दोनो वन्य प्राणियों का पीएम करने के उपरांत अंतिम संस्कार कर दिया गया।
नये साल मे चल बसा दूसरा बाघ
नये साल मे होने वाली बाघ की यह दूसरी मौत है। इससे पहले 8 जनवरी को परिक्षेत्र मानपुर के बीट मझौली मे एक बाघ शावक की मौत हो गई थी। हाल ही मे बाघों की गणना के दौरान बांधवगढ़ मे बाघों की बढ़ती तादाद की खबर से जिलेवासियों और वन्यजीव प्रेमियों मे प्रसन्नता की लहर दौड़ गई थी परंतु शुक्रवार को एक ही दिन मे दो दुर्लभ वन्यजीवों की मौत ने इसे निराशा मे बदल दिया है।
तड़पता रहा तेंदुआ, सोया रहा अमला
पनपथा परिक्षेत्र अंतर्गत हुई तेंदुए की मौत मे पार्क अमले की घोर लापरवाही उजागर हुई है। बताया जाता है कि शिकारियों द्वारा लगाये गये जीआई तार के फंदे मे फंसने के बाद कई घंटे तक तेंदुआ तड़पता रहा। यहां तक वह तार तोड़ कर चितरांव तक आने मे सफल रहा, परंतु इस कोशिश मे उसके गर्दन मे गंभीर चोटें आई। प्रबंधन ने उसका इलाज तो शुरू किया परंतु तब तक काफी देर हो चुकी थी। जानकारों के मुताबिक यदि सही समय पर रेस्क्यू किया जाता तो तेंदुए की जान बचाई जा सकती थी।

 

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