2014 के पहले से काबिजों को मिलेगी लीज
नगरीय क्षेत्रों मे आवास-दुकानो की जमीनो के लिये आवेदन की प्रक्रिया जारी
उमरिया। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने कहा है कि नगरीय क्षेत्रों मे वर्ष 2014 के पहले से काबिज लोगों को जमीन की लीज दी जायेगी, बशर्ते उक्त भूमि किसी कार्य के लिये आरक्षित न हो। दरअसल नगरीय क्षेत्रों मे अतिक्रमण की समस्या के निदान हेतु राज्य शासन द्वारा धारणा अधिकार कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके तहत वर्ष 2014 के पहले से बने आवास, दुकान या व्यवसायिक परिसरों को नियमित करने हेतु स्थाई पट्टा प्रदाय किया जाना है। इसके लिये कलेक्टर की लॉगिन 222.ह्म्ष्द्वह्य.द्वश्च.द्दश1.द्बठ्ठ पर आनलाईन आवेदन किए जा सकते है। प्राप्त आवेदनो का सत्यापन कलेक्टर द्वारा गठित दल करेगा। जिसके पश्चात निर्धारित राशि जमा कर लीज या स्थाई पट्टे पर जमीन प्राप्त की जा सकेगी।
दशकों से काबिज हैं लोग
गौरतलब है कि उमरिया शहर मे सैकड़ों की संख्या मे लोग दशकों से दुकान और आवास बना कर रह रहे हैं। इनमे से कई को नगर पालिका द्वारा 1952 के आसपास पड़ाव सकीम, ग्राऊण्ड रेंट तथा अन्य योजनाओं के तहत भूमि प्रदान की गई थी। मप्र के गठन और नजूल लागू होने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों मे जमीनो का सेटेलमेंट हुआ और मौके पर काबिज लोगों को पट्टे दे दिये गये परंतु तत्कालीन शहडोल जिले की बांधवगढ़ तहसील (वर्तमान मे उमरिया जिला) मे यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। जिसकी वजह से 60 और 70 वर्ष पूर्व से वैद्य भूमि पर निवासरत नागरिक भी अतिक्रामकों की श्रेणी मे आते हैं।
नई योजना से भी नहीं मिलेगी राहत
जानकारों का मानना है कि शासन के नये नियमो मे कई पेचीदगियां हैं। इनमे से सबसे बड़ी समस्या वर्ष 2014 से पूर्व काबिज होना साबित करने की है। लोगोंं को राजस्व अमले के समक्ष निर्धारित वर्ष के पूर्व से काबिज होने का कोई प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। ऐसा न होने की दशा मे अपना कब्जा चढ़वाने के लिये उन्हे टेबल के नीचे वाली प्रक्रिया अपनानी होगी, जिससे शोषण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
पुराने काबिजदारों से प्रीमियम क्यों:कांग्रेस
उधर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर नई प्रक्रिया के जरिये नागरिकों से लंबी रकम ऐंठ कर अपना खजाना भरने का आरोप लगाया है। मप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने बताया कि नगर मे 1950 के आसपास पड़ाव स्कीम और ग्राऊण्ड रेंट पर जमीने आवंटित करने के दौरान लोगों को निर्धारित राशि जमा करा कर कब्जा दिलाया गया था। कई बाशिंदों के पास तो रीवा राज दरबार के दस्तावेज भी मौजूद हैं। ऐसे मे उनसे प्रीमियम वसूलना अन्यायपूर्ण है। उन्होने शासन से मौके पर मौजूद मकान और दुकानदारों को पूर्व से काबिज मानते हुए बिना प्रीमियम लिये स्थाई पट्टा जारी करने की मांग की है।
झुग्गी-झोपड़ी वासियों को भी मिले स्थाई पट्टा
पूर्व विधायक श्री सिंह ने कहा कि शहर मे कई लोगों को शासन द्वारा झुग्गी-झोपड़ी, राजीव आश्रय एवं इंदिरा आवास योजना के तहत 30 वर्षीय पट्टे जारी किये गये हैं। इन पट्टों की वजह से उन्हे नगर पालिका से मंजूरी, लोन आदि नहीं मिल पा रहा है। ऐसे लोगों को भी न्यूनतम प्रीमियम और भू-भाटक लेकर स्थाई पट्टे देने की मांग कांग्रेस ने की है।