ब्लैकमेलिंग का जरिया बनी सीएम हेल्पलाईन
181 पर फर्जी शिकायतों का अंबार, चौतरफा परेशानी झेल रहा अमला
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
आम जनता की समस्याओं के त्वरित निदान हेतु शासन द्वारा प्रदेश मे सीएम हेल्पलाईन व्यवस्था लागू की गई है। इसके लिये राज्य स्तर पर बकायदा एक डेस्क बनाया गया है, जहां 24 घंटे स्टाफ तैनात है। कोई भी नागरिक मुफ्त दूरभाष नंबर 181 डायल कर सेवाओं, योजनाओं तथा अन्य दिक्कतों से संबंधित अपनी शिकायत सीएम हेल्प लाईन पर दर्ज करा सकता है। इसमे कोई शक नही है कि यह विशेषकर गरीब और जरूरतमंदों के लिये बेहद सफल और वृहद सुविधा है, लेकिन इसका दुरूपयोग विभागीय अधिकारियों के लिये परेशानी का सबब बन गया है। आलम यह है कि शासकीय अमला हफ्ता भर अपने रोजमर्रा के कामो को छोड़ कर सीएम हेल्पलाईन की फर्जी शिकायतों से जूझ रहा है।
कम्पलेन कटवाने की मशक्कत
जिले के लगभग हर कार्यालय मे सुबह से लेकर शाम तक बस 181 की ही चर्चा चलती रहती है। सूत्रों के मुताबिक टोल फ्री नंबर पर लोग ऐसी-ऐसी शिकायतें करते हैं, जिनका निराकरण संभव नहीं है। इनमे सबसे ज्यादा मामले अतिक्रमण, अपात्र होने के बावजूद योजना का लाभ नहीं मिलने तथा राजस्व से संबंधित रहते हैं। इसके अलावा कई प्रकरण फर्जी और रंजिशन भी होते हैं। ऐसी अव्यहारिक शिकायतों को कटवाने के लिये अधिकारी और कर्मचारियों को भारी मिन्नतें करनी पड़ती है। जैसे ही दफ्तर का फोन शिकायतकर्ता तक पहुंचता है, उसकी भाषा बदल जाती है। कई मामलों मे तो कम्पलेन कटवाने के बदले ऐरी-गैरी डिमांड भी की जा रही है।
मुख्यमंत्री करते हैं समीक्षा
उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा 181 के तहत प्राप्त होने वाली शिकायतों को एल-1 से एल-4 तक कैटेगरीवाईज बांटने के सांथ इनके निराकरण की सीमा तय की गई है। निर्धारित समय मे मामला निराकृत नहीं होते ही वह संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के पास चला जाता है। काफी समय से लंबित, फोर्सली क्लोज या सही तरीके से निराकृत नहीं होने वाले प्रकरणो की समीक्षा वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से स्वयं मुख्यमंत्री करते हैं। रेण्डमली चयनित ऐसे प्रकरणो की समीक्षा के दौरान लापरवाही या गलती पाये जाने पर संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों पर तत्काल सीधे कार्यवाही हो जाती है। राज्य स्तर पर समीक्षा और कड़ी कार्यवाही के कारण अधिकारियों एवं मातहतों को कई स्तर पर मानसिक यंत्रणा सहनी पड़ती है।
हुई आरटीआई जैसी हालत
जानकार मानते हैं कि सीएम हेल्पलाईन सुविधा की हालत भी सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) जैसी हो गई है। जिसका लाभ वास्तविक जरूरतमंदों से कहीं ज्यादा ब्लैकमेलर तथा दलाल उठा रहे हैं। इसका अधिकतर इस्तेमाल नागरिकों तथा अधिकारियों से अवैध वसूली या उन पर दबाव बनाने के लिये किया जा रहा है। इसे देखते हुए सीएम हेल्पलाईन पर प्राप्त शिकायतों के निराकरण से ज्यादा इसके औचित्य की समीक्षा अब जरूरी हो चली है।