वैक्सीन के बाद अब टीका लगाने वाले सिरिंज की कमी
नई दिल्ली । कोविड की तीसरी लहर की आहट के बीच देश में 90 करोड़ की आबादी के लिए बेहद सुस्त रफ्तार से कोविड-टीकाकरण का अभियान जारी है। एक तरफ टीकाकरण को व्यापक बनाए जाने का प्रचार है तो दूसरी तरफ टीके की मांग और आपूर्ति के बीच खाई भी बढ़ रही है। बहरहाल अब सिरिंज की कमी कोविड-टीकाकरण अभियान की मंद रफ्तार पर भी ब्रेक लगा सकती है। दरअसल केंद्र सरकार की मनाही के बाद राज्यों के सामने टीका लगाने वाली 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज की कमी भी खड़ी हो गई है।
मई महीने में राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से 18-44 आयु वर्ग को टीका लगाने के लिए 0.5 एमएल वाली ऑटो डिजेबल सिरिंज की भी आपूर्ति रोक दी गई है। ऐसे में राज्यों को ही इसका प्रबंध करना है। इस कड़ी में सिरिंज स्टॉक करने के लिए कुछ राज्यों की निविदाएं विफल हो चुकी हैं और कुछ राज्यों ने हाल-फिलहाल इसके लिए निविदाएं निकाली हैं। हालांकि, सीमित सिरिंज निर्माता कंपनियां इन निविदाओं में दिलचस्पी नहीं ले रहीं। इसकी एक बड़ी वजह केंद्र सरकार के जरिए बीते वर्ष ही निर्यात रोककर बड़ी संख्या में सिरिंज निर्माता कंपनियों को ऑर्डर और निविदा के जरिए सिरिंज का स्टॉक करना शुरू कर दिया था।
वैक्सीन सिरिंज पर्याप्त नहीं
केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में करीब 40 करोड़ 0.5 एमएल वैक्सीन सिरिंज के लिए विभिन्न कंपनियों को ऑर्डर दिए थे, जिसकी सप्लाई कंपनियों से जारी है। हालांकि, सिरिंज का यह स्टॉक 45 वर्ष से अधिक आयु की वैक्सीन के लिए था, भारत में इस आयु वर्ग की आबादी करीब 30 करोड़ (300 मिलियन) है। सभी राज्यों को केंद्र की ओर से इसी स्टॉक से सिरिंज भेजी जा रही थी, जो कि दो डोज वैक्सीन के हिसाब से 45 वर्ष आयु वालों (30 करोड़) के लिए पहले से ही कम थी। ऐसे में राज्यों को खुद से 18-44 आयु वर्ग के लिए टीके के सिरिंज का प्रबंध करने को कहा गया।
वैक्सीन सिरिंज राज्यों के फेल होते टेंडर
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 27 मई को दो वर्षों में 5 करोड़ की संख्या वाली 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज के लिए निविदा निकाली है। ऑनलाइन माध्यम से यह निविदा कंपनियों के लिए 7 जून तक खुली रहेगी। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, सूचना नवनीत सहगल का कहना है कि पहले केंद्र सरकार यह ऑटो डिजेबल सिरिंज देती थी, अब उसने देना बंद कर दिया है। इसलिए यह प्रबंध करना है। अगले महीने जुलाई तक 10 लाख लोगों को प्रतिदिन टीकाकरण देने का लक्ष्य है। ऐसे में हमें सिरिंज की जरूरत तो होगी ही। सिरिंज की कमी को लेकर टेंडर जारी करने वाला यह इकलौता राज्य नहीं है। आंध्र प्रदेश मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एपीएमएसआईडीसी) ने टीका लगाने वाली 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज के लिए 10 मई को एक शॉर्ट टर्म निविदा निकाली थी। इसकी अवधि 13 मई तक थी। इस टेंडर में रुचि दिखाने वाली एक कंपनी के साथ बात नहीं जमी। इसके अलावा मप्र सरकार की ओर से विभिन्न जिलों के अस्पतालों में कोविड-19 के तहत अगले छह महीनों के लिए कोविड-19 कंज्यूएमबल 0.5 एमएल सिरिंज की सप्लाई के लिए 4 मई, 2021 को टेंडर जारी किया गया था। इसकी अवधि 11 मई तक थी। हालांकि यह टेंडर सफल नहीं रहा। अंतरराष्ट्रीय स्तर के बिडर्स को इसमें आमंत्रित किया गया था। बहरहाल, मप्र सरकार ने दोबारा 28 मई को 0.5 एमएल सिरिंज के लिए 12 जून तक के लिए टेंडर निकाला है। जानकारी मिलने तक किसी कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। उड़ीसा सरकार भी 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज की सप्लाई के लिए मई महीने में दो बार टेंडर जारी किए। लेकिन एक भी टेंडर में कंपनियां नहीं आईं। आखिरी टेंडर 25 मई को जारी किया गया जिसकी अवधि 29 मई को थी। गुजरात सरकार ने भी 21 मई को शॉर्ट टर्म टेंडर जारी किया। हालांकि टेंडर सफल नहीं रहा।
निर्माता कंपनियों पर बढ़ा वर्क लोड
भारत में प्रमुख टीका निर्माता कंपनी हिंदुस्तान सिरिंज एंड मेडिकल डिवाइस लिमिटेड (एचएमडी) है। दिसंबर, 2020 की 35.1 करोड़ 0.5 एमएल सिरिंज निविदा में 25.6 (256 मिलियन) का ऑर्डर इसे ही मिला था। कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी मिलती है कि वह यूनिसेफ को भी इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के लिए सिरिंज सप्लाई करती है। इसके अलावा इन दिनों वैश्विक स्तर से मांग आ रही है, जिसे सप्लाई करना कंपनी के लिए काफी मुश्किल है। दूसरे प्रमुख निर्माता राजस्थान स्थित इस्कॉन सर्जिकल लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट संदीप भंडारी कहते हैं कि लॉकडाउन के दर्मियान वर्कफोर्स कम हो गया और हमारे कच्चे माल की कीमतें बढ़ गईं फिर भी हम आपूर्ति कर रहे हैं।
महीने दर महीने घट रहा टीकाकारण
टीकाकरण की व्यापकता बढने के बाद भी टीका लगाने की रफ्तार घटी है। अप्रैल महीने में प्रत्येक सप्ताह औसत वैक्सीन कवरेज 1.5 करोड़ से लेकर 2.5 करोड़ तक रही लेकिन मई महीने में टीका कवरेज 1.5 करोड़ से अधिक किसी सप्ताह भी नहीं रहा। यह दिखाता है कि टीकाकरण की रफ्तार बेहद सुस्त है और औसत प्रतिदिन 18 लाख टीका लगाया जा रहा है। भारत की मौजूदा स्थितियों में जब 18 लाख डोज प्रतिदिन लगाए जाएंगे तो भारत की 75 फीसदी आबादी का टीकाकरण करने में 2.8 वर्ष लगेंगे।
लंबा खींच सकता है टीकाकरण
18-44 आयु वर्ग के लिए टीके का इंतजाम करने को लेकर एक दर्जन राज्यों ने ग्लोबल टेंडर का रास्ता भी पकड़ा था। हालांकि, एक भी राज्य इसमें सफल नहीं रहा। अब यदि ऑर्डर के बाद राज्यों को थोड़े-बहुत टीके मिल भी रहे हैं तो टीका लगाने वाले सिरिंज की कमी टीकाकरण अभियान को और लंबा खींच सकती है। जनगणना आंकड़ों के मुताबिक 45 से अधिक आयु वर्ग वालों की आबादी देश में करीब 30 करोड़ है और 18-44 आयु वर्ग की आबादी करीब 59.46 करोड़ है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि महीने दर महीने टीकाकरण कमजोर हो रहा है। केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट कोविन के मुताबिक 5 जून तक ऑनलाइन और ऑफलाइन 26,25,49,438 पंजीकरण किए गए हैं। इनमें 18-44 आयु वर्ग के 10,56,10,547 तथा 45 से ऊपर 15,69,38,879 लोगों का पंजीकरण हुआ है। जबकि अभी तक 22,63,74,765 को टीका अब तक लगाया जा चुका है।