सुविधाओं को छीनने के सांथ शोषण पर उतारू रेलवे, जारी मनमानी का दौर
उमरिया। वैश्विक महामारी कोरोना का रेलवे ने सचमुच अवसर की तरह उपयोग किया है। आपदा के बाद शुरू की गई ट्रेनो को स्पेशल का नाम देकर जनहित की सारी सुविधाओं को बंद करने की बात हो, मनमाने तरीके से स्टेशनो पर ठहराव समाप्त करने या फिर प्लेटफार्म और यात्री किराये मे बेतहाशा बढ़ोत्तरी, यह सब उसी रणनीति का हिस्सा है। हाल ही मे विभाग ने पैसेन्जर ट्रेन का न्यूनतम किराया भी तय कर दिया है। अब यात्रियों को ट्रेन मे चढऩे के लिये कम से कम 30 रूपये का टिकट कटवाना ही होगा। याने चंदिया और करकेली जाना हो तो भी इतनी राशि तो देनी ही होगी। इसी तरह उमरिया से कटनी का भाड़ा 15 रूपये से बढ़ा कर सीधे 35 रूपये कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि रोजाना सैकड़ों लोग अपने इलाज या खरीददारी के लिये जिले से कटनी आवागमन करते हैं। वर्षो से उनके लिये ट्रेन ही सबसे सस्ता और सुलभ साधन रहा है परंतु रेलवे अब गरीबों ये यह सुविधा भी छीनने की तैयारी मे है।
पैसेन्जर ट्रेनो मे जनरल टिकट की अनुमति नहीं
कहने को तो दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने बिलासपुर-भोपाल, जबलपुर-अंबिकापुर और बिलासपुर-रीवा ट्रेनो को संचालित कर दिया है परंतु अभी तक उनमे जनरल टिकट एलाउ नहीं की गई है। इन टे्रनो मे यात्रा करने के लिये पहले रिजर्वेशन जरूरी है। यदि अचानक किसी को इलाज या आवश्यक कार्य के लिये कटनी, जबलपुर या रीवा जाना हो तो वह ट्रेन मे नहीं चढ़ सकता। हाल ही मे पश्चिम मध्य रेलवे ने 5 ट्रेनो मे जनरल टिकट पर यात्रा की अनुमति दे दी है परंतु सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले दपूम रेलवे के रहवासियों को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है।
लाखों वोट से जीतने वाले नुमाईन्दे मौन
उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क, संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र और एसईसीएल की कई कोयला खदाने होने के बावजूद जिले मे दर्जनो ट्रेनो का स्टापेज नहीं है। ऊपर से कोरोना के कारण बंद ट्रेनो को पुन: संचालित किये जाने के सांथ ही वर्षो से जिले के विभिन्न स्टेशनो पर रूक रहीं ट्रेनो को ठहराव भी छीन लिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र की यह दुर्दशा सत्तापक्ष के उस सासंद के रहते हो रही है, जिसको जनता ने बिना मांगे लगभग 4 लाख वोटों से एकतरफा जीत दिलाई।
अभी भी नहीं रूक रही सारनाथ और रीवा-बिलासपुर
स्थानीय नागरिक लंबे समय से नागपुर के लिये सीधी रेल सेवा की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर सांसद महोदय ने रेल मंत्रालय को कई चि_ियां लिखी हैं। सोशल मीडिया मे उन्हे देख कर तसल्ली भी हुई, पर नतीजा शून्य रहा। इतना ही नहीं इस रूट की बेहद महत्वपूर्ण टे्रन सारनाथ और बिलासपुर-रीवा जिला मुख्यालय तक मे नहीं रोकी जा रही। रीवा ट्रेन मे बैठने वालों को शहडोल जाना पड़ता है। क्षेत्र की इतनी दुर्दशा इससे पहले शायद ही कभी हुई हो। स्थानीय रहवासियों का मानना है कि सांसद महोदय कोई नई सौगात भले न दिलवायें पर जो मिल रही है, उसे तो यथावत करा ही दें।
15 से 35 हुआ ट्रेन भाड़ा
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