129 एमएम पिछड़ गई बारिश
अच्छी शुरूआत के मानसून की बेरूखी ने बिगाड़ा जिले का हाल, सूख रही खेती
बांधवभूमि, उमरिया
देर से ही सही गत जुलाई के आखिरी सप्ताह मे लगातार हुई बारिश से उम्मीद जगी थी कि इस बार हालात काफी अच्छे रहेंगे। बरसों से खाली रहने वाले नदी, जलाशय भी भरेंगे और ठण्डक के कारण जमीनो मे नमी देर तक बनी रहेगी। किसानो ने भी बादलों के रूख को देख कर इस साल अपनी पूरी ताकत से खेती की, परंतु फिर वही हुआ जिसका डर था। अगस्त के दूसरे हफ्ते से गायब हुआ मानसून अब ढूंढे नहीं मिल रहा। गर्मी इतनी कि खेतों मे दरार पड़ गई है। धान के कोमल पौधे झुलस गये हैं। ऊपर से बिजली की कमी ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी है। बारिश न होने से चारों ओर हाहाकार मच गया है। इस समस्या का हल अब केवल इंद्रदेव के पास ही है। क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों मे बिजली मिलना तो मुश्किल ही है। जैसे-जैसे बारिश मे देरी होगी, फसलों के बचने की उम्मीद कम होती चली जायेगी।
अब तक 768.6 एमएम वर्षा
उल्लेखनीय है कि बीते साल भी मानसून सीजन मे बारिश की स्थिति संतोषप्रद नर्हीं थी। अभी तक की स्थिति मे चालू वर्ष और भी खराब जा रहा है। अधीक्षक भू अभिलेख द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिले मे मंगलवार सुबह तक 768.6 एमएम बारिश हुई है। जबकि गत वर्ष इसी पीरियड मे 898.1 एमएम वर्षा रिकार्ड की गई थी। मतलब पिछले वर्ष की तुलना मे बारिश 129 एमएम पिछड़ गई है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार मानसून अब अंतिम चरण मे है, लिहाजा इस अंतर की भरपाई के लिये कुछ दिनो तक लगातार और तेज बारिश की दरकार है।
बादलों ने जगाई उम्मीद
निराशा और असंतोष के इस माहौल मे मंगलवार को आसमान से उम्मीद की हल्की किरण दिखाई दी। दोपहर बाद जिला मूख्यालय मे एक आध बार बूंदाबांदी भी हुई। बताया गया है कि प्रदेश के कुछ स्थानो पर बारिश हो रही है। जिले के मानपुर और पाली तहसील मे भी बादलों ने चुप्पी तोड़ी है। मौसम के जानकारों ने पहले ही बंगाल की खाड़ी मे एक सिस्टम तैयार होने की सूचना दी थी, उम्मीद है कि उसके सक्रिय होते ही बारिश का दौर शुरू होगा और फसलों को नया जीवन मिल सकेगा।
सडक़ पर उतरे किसान
इस बीच सिचाई के लिये बिजली न मिलने तथा खेतों मे खड़ी फसल सूखती देख किसान भारी तनाव मे हैं। उनका गुस्सा अब आंदोलन और प्रदर्शन के माध्यम से निकल कर सामने आ रहा है। कल जिले के कई किसानो ने उमरिया-कटनी राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम कर दिया। जिसकी वजह से कई घंटे तक आवागमन ठप्प रहा। हाईवे के दोनो ओर वाहनो की लंबी-लंबी कतारें लग गई। इस दौरान बसों मे बैठे यात्री काफी परेशान दिखे। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन तथा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गये। प्रशासन की समझाईश तथा मण्डल के अधिकारियों के आश्वासन के बाद किसान बड़ी मुश्किल से सडक़ छोडऩे पर राजी हुए।