नई दिल्ली।12 विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को एक चिट्ठी भेजी। इस चिट्ठी में नेताओं ने प्रधानमंत्री से कोरोना से जुड़े 9 सुझाव दिए। साथ ही केंद्र सरकार पर विपक्षी दलों के सुझावों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। इस चिट्ठी में कांग्रेस से सोनिया गांधी, जेडीएस से पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा, एनसीपी से शरद पवार, शिवसेना से उद्धव ठाकरे, तृणमूल कांग्रेस से ममता बनर्जी, द्रमुक से एमके स्टालिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा से हेमंत सोरेन, नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारुक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल से तेजस्वी यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से डी राजा और माकपा से सीताराम येचुरी के नाम हैं।डियर प्राइम मिनिस्टर! कोरोना की वजह से हमारा देश अप्रत्याशित मानव त्रासदी से जूझ रहा है। हमने पहले भी व्यक्तिगत तौर पर और संयुक्त रूप से बार-बार आपका ध्यान इस ओर दिलाया है कि केंद्र सरकार को तुरंत कुछ कदम उठाने की जरूरत है। अफसोस की बात है कि आपकी सरकार ने या तो हमारे सभी सुझावों को नजरअंदाज कर दिया या उन्हें नकार दिया। इससे हालात बिगड़कर इस भयानक मानव त्रासदी तक पहुंच गए हैं। देश को इस भयानक मुकाम पर पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने क्या किया और क्या नहीं किया, इस पर न जाते हुए हमारा मजबूती से यह मानना है कि सरकार युद्ध स्तर पर नीचे बताए गए कदम उठाए…
- वैक्सीन केंद्रीय स्तर पर खरीदी जाएं। चाहे फिर वे देश या दुनिया में किसी भी सोर्स से मिलें।
- देशभर में तुरंत फ्री वैक्सीनेशन कैम्पेन शुरू किया जाए।
- देश में वैक्सीन प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए लाइसेंसिंग के जरूरी कदम उठाए जाएं।
- बजट में दिए गए 35 हजार करोड़ रुपए वैक्सीन पर खर्च किए जाएं।
- सेंट्रल विस्टा कंस्ट्रक्शन को तुरंत रोका जाए। इस पर खर्च होने वाली रकम ऑक्सीजन और टीके खरीदने में इस्तेमाल की जाए।
- PMCares के बेहिसाबी प्राइवेट ट्रस्ट फंड में जमा सारा पैसा ज्यादा टीके, ऑक्सीजन और मेडिकल उपकरण खरीदने के लिए जारी किया जाए।
- बेरोजगारों को हर महीने 6 हजार रुपए दिए जाएं।
- केंद्र सरकार के गोदामों में एक करोड़ टन से ज्यादा का अनाज सड़ रहा है। जरूरतमंदों को यह अनाज मुफ्त में बांटा जाए।
- हमारे लाखों अन्नदाता महामारी का शिकार हो रहे हैं। उनकी हिफाजत के लिए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए ताकि वे देश की जनता का पेट भरने के लिए अनाज उगा सकें।
- आपके दफ्तर या आपकी सरकार की तरफ से ऐसा कोई चलन तो नहीं रहा है, फिर भी हम देश हित और जनता के हित में हमारे सुझावों पर आपसे जवाब की उम्मीद रखते हैं।