11 साल की लंबी लड़ाई के बाद पुलिस अधिकारियो को मिला न्याय

आतंक के पर्याय छोटा गुड्डा का एनकाउन्टर नहीं था फर्जी
शहडोल/सोनू खान। छोटा गुड्डा उर्फ राज कुमार यादव एनकाउन्टर से संबंधित मामले में उच्च न्यायालय द्वारा एतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूरे एनकाउन्टर को सही मानते हुए 14 पुलिसवालों के विरूद्ध चल रहे धारा 302 भादावि के मामले को समाप्त करते हुए सभी अरोपियों को क्लीन चिट प्रदान की तथा उनके विरूद्ध शहडोल मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 302 भादावि के संज्ञान लेने के आदेश को अपास्त कर दिया गया।
क्या था मामला
छोटा गुड्डा उर्फ राज कुमार यादव की मा कृष्णा यादव द्वारा न्यायालय के समक्ष परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसमें उन्होनें कोतवाली शहडोल के 14 पुलिसवालों के विरूद्ध अपने पुत्र के एनकाउन्टर फर्जी बताते हुए हत्या का आरोप लगाया था, तथा उन्होंने अरोपी अरविन्द दुबे एवं महेश यादव के विरूद्ध आरोप लगाकर कहा था कि दोनो आरोपी ने उसके लड़के छोटा गुड्डा उर्फ राज कुमार यादव के एकदम नजदीक पहुचकर उसके कंधे व सिर में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। उक्त प्रकरण में न्यायिक मजिस्ट्रेट महोदय शहडोल द्वारा तत्कालीन थाना सिटी कोतवाली शहडोल में पदस्थ थाना प्रभारी जे.बी.एस. चंदेल, एस.आई ज्ञानेन्द्र सिंह बघेल, ए.एस.आई. स्व.प्रदीप द्विवेदी, आरक्षक अरविन्द दुबे, महेश यादव, चंद्र प्रताप सिंह, शिव नारायण, राम नरेश पटेल, स्वतंत्र सिंह, रामप्रसाद चौबे, अरविन्द पयासी, गजेन्द्र सिंह, रईस खान एवं लोलर प्रसाद के विरूद्ध धारा 302 भादावि का मामला दर्ज किया गया। अरोपीगण द्वारा उपरोक्त आदेश के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में वर्ष 2012 में याचिका प्रस्तुत की थी।
कौन है छोटा गुड्डा उर्फ राज कुमार यादव
छोटा गुड्डा उर्फ राज कुमार यादव स्थानीय शहडोल स्थित गंज रोड का निवासी है। वर्ष 1990 के दशक में आंतक का पर्याय बने छोटा गुड्डा के विरूद्ध मारपीट, हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, बम-बारी जैसे 36 गंभीर अपराध शहडोल कोतवाली थाने में दर्ज थे। वर्ष 1998 में उसे हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। जिसे वर्ष 2006 में रीवा जेल से 23 दिन की पैरोल मिली थी, परन्तु 23 दिन के अंदर वापिस जेल नहीं गया। और पुन: अपराध की सक्रियता प्रारंभ कर दी। जिस पर प्रदेश स्तर के पुलिस अधिकारियों द्वारा उसे गिरफ्तार किये जाने के निर्देश थाना कोतवाली शहडोल को दिये गये थे।
क्या कहती है पुलिस
पुलिस के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों से छोटा गुड्डा की गिरफ्तारी किये जाने के आदेश लंबे समय से लंबित थे, जिसके गिरफ्तार न होने से थाना कोतवाली शहडोल की पुलिस की छवि खराब हो रही थी। पुलिस को सूचना मिली की छोटा गुड्डा मुडना नाला के पास, गंभीर अपराध करने हेतु सशस्त्र अपने साथियों के साथ छुपा हुआ है। पुलिस ने 14 लोंगो की दो टीम बनायी तथा मुडना नाला के पास छोटा गुडडा हथियारों के साथ दिखाई दिया, जिन्हें पुलिस द्वारा उपरोक्त व्यक्तियों को आत्म समर्पण करने हेतु कहा गया। परन्तु बदमाशों ने पुलिस के ऊपर अंधाधुध फायरिंग करना चालू कर दी। जिसमें आत्मरक्षार्थ पुलिस ने भी गोली चलाई जिससे छोटा गुड्डा की घटना स्थल पर मृत्यु हो गयी। छोटा गुड्डा के पास से बंदूक, रिवाल्वर, कट्टा व कई कारतूस बरामद हुए। पुलिस के अनुसार छोटा गुड्डा को गोली आत्मरक्षार्थ चलाई गयी थी।
क्या कहा उच्च न्यायालय ने
माननीय उच्च न्यायालय में आरोपीगण की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त एवं समीर अग्रवाल के द्वारा रखे गये तर्क पर अपनी सहमति जताते हुए यह पाया गया कि सभी आरोपीगण लोक सेवक होकर अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे थे, जिस कारण दण्ड प्रक्रिया सहिता की धारा 197 के तहत आरोपीगण के विरूद्ध के संज्ञान लिये जाने के पूर्व अनुमति लेना आवश्यक था। घटना के संबंध में तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट न्यायिक जांच कराई गयी थी, जिसमे सभी गवाहो के बयान कराने के उपरांत उनके विरूद्ध कोई मामला नहीं पाया गया। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा भी आरोपीगण को क्लीन चिट दी जा चुकी है, तथा मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी गोली का काफी दूर से चलाया जाना प्रमाणित होता है। इन परिस्थितियों में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज किये धारा 302 भादावि के प्रकरण को समाप्त किये जाने का एतिहासिक फैसला सुनाया गया है। आरोपीगण की ओर से उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त एवं समीर अग्रवाल व निशाकात सिंह द्वारा पैरवी की गयी है।
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