10 करोड़ के जलाशय में हो रही लीपा-पोती

2 वर्ष बाद भी नही हुआ बांध का कार्य पूर्ण
शहडोल/सोनू खान। प्रदेश सरकार के द्वारा बड़े- बड़े जलाशय बनाकर किसानों को सिंचाई का साधन उपलब्ध करा रही है,जिससे मध्यप्रदेश में किसान सिंचाई का साधन पाकर खेती में अच्छी पैदावार पा सके, और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके, जिसके लिए बड़े- बड़े जलाशयों का निर्माण सरकार के द्वारा कराया जा रहा है जिसकी जिम्मेदारी जल संसाधन विभाग को दी जाती है पर विभाग के जिम्मेदारों द्वारा करोड़ों के बांध में इस कदर लीपापोती कर दी जाती है कि किसान बांध व नहर से लाभ नहीं ले पाता, ऐसा ही एक मामला केलमनिया जलाशय में देखने को मिला, जहां 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी जलाशय व नहर से किसानों को पानी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पहले ने किया पूर्ण तो दूसरे ने किया अपूर्ण
जनपद पंचायत सोहागपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत केलमनिया में 2017-18 में जलाशाय का काम 10 करोड़ 76 लाख में शासन द्वारा स्वीकृत हुआ था, जिसे जल संसाधन विभाग ने अनुबंध करा कर ठेकेदार विनीत गुप्ता नामक निविदाकार को जलाशय का कार्य करने दिया था, यह कार्य 18 माह में पूर्ण करना तय किया गया था, जो ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण करके दे दिया था, जिसका भौतिक पूर्णता प्रमाण पत्र तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग क्रमांक 2 के द्वारा मान्य किया गया था, किन्तु 3 माह बाद वर्तमान कार्यपालन यंत्री बी.पी.मिश्रा द्वारा निरीक्षण किया किया जिसमें फॉल की विंग के ऊपर कोपिंग कार्य एवं अन्य कार्य अधूरे पाए गए, जिसे पूर्ण करने का निर्देश पत्र जारी कर संबंधित अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन उप संभाग क्रमांक 3 सोहागपुर व ठेकेदार विनीत गुप्ता को दिया गया जिसमें कहा गया था कि ठेकेदार के द्वारा इस कार्य को 6 नवंबर 2019 तक पूर्ण करने के निर्देश दिया गया था किन्तु आज दिनांक तक उक्त जलाशय का कार्य पूर्ण नही हो सका।
दो बार हो चुकी नहर की मरम्मत
केलमानिया जलाशय में बांध के कार्य के अलावा नहर का कार्य भी उक्त ठेकेदार द्वारा कराया जाना था। ठेकेदार द्वारा नहर तो बनवा दिया गया, पर नहर की गुणवत्ता इतनी खराब है कि नहर को 1 वर्ष के भीतर दो बार मरम्मत कराना पड़ा, ग्रामीणों की माने तो 1 वर्ष के भीतर दो बार नहर की मरम्मत कराई जा चुकी है इसके बाद भी नहर का पानी किसानो के उपयोग में नहीं आ रहा है।
जगह-जगह टूटा है नहर
करोड़ों की लागत से बनाया गया जलाशय व नहर आज भी कई जगहों से टूटा हुआ दिखाई दे रहा है और पानी का बहाव टूटे हुए जगह से हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि नहर को कई बार मरम्मत की जा चुकी है बावजूद इसके जैसे पानी की सप्लाई नहर में दी जाती है तो वह कई जगहों से फिर टूट जाता है जिसके कारण आगे पानी की सप्लाई अच्छे से नही हो पाती है।
बाल मजदूर करते हैं नहर की मरम्मत
जल संसाधन विभाग ने ठेकेदार के माध्यम से टूटी हुई नहर की मरम्मत बाल मजदूरों द्वारा कराया जाता है, जो कम मजदूरी देने के चक्कर में बाल मजदूर टूटी हुई नहर में लीपा-पोती करते है, किन्तु नहर में जैसे ही पानी की सप्लाई की जाती है तो नहर गुणवत्ता की पोल खोल देती है। नहर की मरम्मत में आधे से अधिक बाल मजदूर अपना पसीना बहाते देखे गए है,जो नियम विरुद्ध है,पर ठेकेदार व विभाग को मुनाफा तो बाल मजदूरों से ही काम करा के मिलता है, क्योंकि बाल मजदूरों को मजदूरी कम दी जाती है और भुकतान का मास्टर रोल ज्यादा का बनाता है।
एडिशनल वर्क में लटका जलाशय
जलाशय के संबंध में जब जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री बीपी मिश्रा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जलाशय का काम तो पूर्ण हो चुका है किंतु एडिशनल वर्क अभी बाकी है जिसको स्वीकृत के लिए भेजा गया है जो अभी नही मिल पाई है। रही बात नहर टूटने की तो ठेकेदार द्वारा रिपेयरिंग तो करी गई है लेकिन अगर फिर टूट गया है तो मैं उसे देख लूंगा। वहीं अनुविभगिय अधिकारी दिलीप सिंह ने बातचीत में बताया है कि जलाशय का कार्य तो पूर्ण हो चुका है एडिशनल वर्क बचा है जिसकी स्वीकृत हेतु भेजा गया है। पर दोनों ही अधिकारियों को इस बात की जानकारी नही है कि नहर दो बार मरम्मत के बाद भी उसकी हालत जस की तस बनी हुई है।
Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *