हाईकमान से बगावत गहलोत को पड़ेगी भारी, अध्यक्ष पद की रेस से बाहर

सोनिया गांधी नए चार नामों पर कर रही विचार, नए सीएम पद को लेकर अटकलें जारी

नई दिल्ली। कांग्रेस के अध्यक्ष पद की रेस राजस्थान संकट के कारण रोचक बन गई है। अशोक गहलोत का सीएम पद का मोह अब उन पर भारी पड़ता दिख रहा और कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से उन्हें बाहर किया गया है। कांग्रेस के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। सूत्रों का कहना है कि हाईकमान की इच्छा के विपरीत जाकर गहलोत का 82 विधायकों के इस्तीफा का दांव चलना गांधी परिवार को ठीक नहीं लगा है। इस घटनाक्रम के बाद उन्हें लेकर अब गांधी परिवार रिस्क नहीं ले रहा है और अब गहलोत को अध्यक्ष पद की रेस से बाहर किया गया है। इतना ही नहीं चर्चाएं, यहां तक हैं कि अब सीएम पद पर भी किसी और नेता को लाया जा सकता है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, कमलनाथ जैसे नेता भी अब अध्यक्ष पद की रेस में आ गए हैं। यही नहीं दिग्विजय सिंह भी अध्यक्ष पद के चुनाव में उतर सकते हैं। राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल भी अध्यक्ष के लिए चुनाव में आ सकते हैं। कहा जा रहा है कि फिलहाल सोनिया गांधी और राहुल गांधी मंथन कर रहे हैं कि किसे अध्यक्ष चुनाव के लिए समर्थन किया जाए। इससे पहले गहलोत पर गांधी परिवार ने मन बना लिया था, लेकिन उनकी हरकत से वह अपमानित और भरोसे पर चोट जैसा महसूस कर रहा है।दरअसल कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए सोमवार से नामांकन की शुरुआत होनी थी, लेकिन अब तक किसी ने नहीं किया है। राजस्थान में आए सियासी संकट ने अध्यक्ष पद की रेस को भी उलझा दिया है। एक ओर राजस्थान को लेकर पसोपेश की स्थिति है, वहीं अध्यक्ष के तौर पर भी अब हाईकमान किसी और भरोसेमंद पर दांव लगाने की तैयारी कर रहा है। अब तक वेणुगोपाल का नाम इस रेस में नहीं था, लेकिन अचानक ही उनका नाम भी चर्चा में आ गया है। इसका कारण यह है कि वह राहुल के करीबी और दक्षिण भारत से आते हैं, जहां कांग्रेस खुद को मजबूत करने में जुटी है। वेणुगोपाल का नाम अध्यक्ष पद की रेस में आने के बाद से ही ये कयास लगने लगे हैं। इसकी वजह यह है कि केसी वेणुगोपाल को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। कई सालों से पार्टी के अहम मामलों में केसी वेणुगोपाल का रोल रहा है और वह राहुल गांधी के करीबी रहे हैं। इसके बाद में उनके अध्यक्ष पद पर आने से एक तरह से राहुल गांधी की पकड़ मजबूत हो जाएगी। गहलोत और कमलनाथ जैसे नेता सोनिया गांधी के करीबी माने जाते हैं। अब केसी वेणुगोपाल के अध्यक्ष बनने से यह भी संदेश जाएगा कि पार्टी युवा नेताओं को आगे बढ़ा रही है।

संकटमोचन बन सकते हैं कमलनाथ
राजस्थान में इससमय सियासी बवंडर मचा हुआ है। सीएम अशोक गहलोत के समर्थकों ने गोलबंद होकर एक साथ इस्तीफा दे दिया है। यहां तक कि जब कांग्रेस नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने इन विधायकों से बातचीत के लिए मिलने की कोशिश की तब विधायकों ने उन्होंने दोनों नेताओं से मिलने से इनकार कर दिया। राजस्थान में गहलोत और सचिन पायलट गुट आमने-सामने हैं। अब ऐसी खबर है कि मुश्किल की इस घड़ी में कमलनाथ संकटमोटक बन सकते हैं। इसके लिए कमलनाथ को दिल्ली बुलाया गया है। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ की पहचान एक अनुभवी नेता के तौर पर है। इसके अलावा कमलनाथ और गहलोत के बीच अच्छा संबंध है। माना जा रहा है कि कमलनाथ गहलोत और पायलट से बातचीत कर इस संकट के समाधान की दिशा में बेहतर प्रयास कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि कमलनाथ के अनुभव और राजनीतिक तजुर्बे को देखकर पार्टी आलाकमान ने उन्हें दिल्ली बुलाया है। सोनिया और कमलनाथ के बीच राजस्थान में उपजे राजनीतिक संकट को लेकर गहरी मंत्रणा हो सकती है। ऐसी अटकलें हैं कि सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कमलनाथ गहलोत और पायलट से मुलाकात कर इस कलह को खत्म करने की दिशा में काम कर सकते हैं। हालांकि, सोनिया गांधी और कमलनाथ के बीच क्या चर्चा होगी यह तो आने वाला समय बताएगा। एक बात यह भी है कि अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ से बाहर होते हैं, तब कमलनाथ का नाम भी इस रेस में था। इसके बाद अब कांग्रेस क्या डिसीजन लेती है, यह आने वाले वक्त में पता चलेगा।

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