वाहन चालक से कागजात लेकर रख लिए अपने पास
शहडोल । परिवहन विभाग में संभागीय उड़नदस्ता के नए प्रभारी के आने के बाद एक बार फिर इंट्री वसूली का काम शुरू हो गया है। एक वाहन चालक को इंट्री न देने पर तीन दिन तक शहडोल व अनूपपुर के आरटीओ दफ्तर के चक्कर काटने पड़े।जब मामला कुछ मीडिया कर्मियों के संज्ञान में आया तब उड़नदस्ता प्रभारी ने बिना पैसे लिए वाहन चालक को उसके दस्तावेज लौटाए। हालांकि उड़नदस्ता प्रभारी ने कागजात लौटाते वक्त जमकर नसीहत भी दे डाली और यह भी बता दिया कि दोबारा वह इस सड़क से देख सुनकर गुजरे। इस संबंध में पीड़ित वाहन चालक शहीद खान निवासी देवास ने बताया कि वह वाहन क्रमांक एमएच 18 बीजे 5242 में गुजरात से माल लोडकर कलकत्ता जा रहा था। इस दौरान जब वह बीते रविवार 13 दिसंबर की दोपहर शहडोल बुढ़ार मार्ग से गुजर रहा था तभी ग्राम लालपुर के पास सड़क किनारे सफेद रंग की स्कार्पियो के सामने खड़े कुछ लोगो ने गाड़ी हाथ देकर रुकवाया। वाहन में आरटीओ उड़नदस्ता लिखा हुआ था। वाहन चालक ने बताया कि जब मैंने गाड़ी रोकी तो उन्होंने मुझसे गाड़ी के दस्तावेज और लायसेंस मांगा, तो मैंने उन्हें मूल दस्तावेज व लायसेंस दे दिया। सारे दस्तावेज व लायसेंस होने के बाद भी आरटीओ के उड़नदस्ता प्रभारी रमेश सिंह द्वारा वाहन चालक शहीद खान से एक हजार रुपए इंट्री वसूली की मांग की गई। जब चालक ने पैसे देने से इनकार करते हुए वाहन के समस्त दस्तावेज होने की बात कही तो उड़नदस्ताकर्मी उसके सारे मूल दस्तावेज लेकर अपने साथ चले गए और अनूपपुर आरटीओ कार्यालय आने की बात कही।परेशान वाहन चालक बुढ़ार में अपना वाहन खड़ा कर किसी तरह अनुपपुर आरटीओ कार्यालय पहुँचा ।लेकिन रविवार के दिन अवकाश होने पर कार्यालय में मात्र एक व्यक्ति मिला। उससे चालक ने आपबीती बताते हुए अपने दस्तावेज यहां रखे होने की बात पूछी। जिस पर उक्त कर्मचारी ने अनभिज्ञता जताते हुए उसे शहडोल आरटीओ ऑफिस से संपर्क करने की बात कही। इसलिए वह चालक फिर वहां से लौटकर शहडोल आया। लेकिन यहां भी कार्यालय बंद था। वह अपने दस्तावेजो के लिए चक्कर काटता रहा।अगले दिन सोमवार को भी वह यहां वहां भटकता रहा लेकिन उसे गाड़ी के कागजात व लायसेंस नही मिल पाया। इस बीच इस बात की जानकारी सोमवार देर शाम एक मीडिया कर्मी तक पहुची। जब मीडिया कर्मी ने इस संबंध में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आशुतोष भदौरिया से पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए उड़नदस्ता प्रभारी रमेश सिंह से संपर्क करने की बात कही ।यह भनक क्षेत्र के उड़नदस्ता प्रभारी रमेश सिंह तक पहुच गयी। जिसके बाद वह डैमेज कंट्रोल में जुट गए। उन्होने तीसरे दिन उक्त वाहन चालक शहीद खान से सम्पर्क किया और अपने कागज ले जाने की बात कही। अगले दिन मंगलवार को नए बस स्टैंड के पास आरटीओ उड़नदस्ता प्रभारी अपने टीमके साथ सफेद रंग की स्कार्पियो क्रमांक एमपी 65 बीबी 0430 से पहुचे। जहां पहले तो उन्होंने चालक को बुलाकर जमकर खरी खोटी सुनाते हुए धमकाया। उसके बाद उसके दस्तावेज उसके हाथ मे अंदर बैठे बैठे ही थमा दिया। इतना ही नही नसीहत देते हुए चालक शहीद खान से कहा कि अब इस रास्ते से कभी मत गुजरना ।
मीडियाकर्मी तक बात पहुचने के बाद भले ही इंट्री वसूली की पोल खुलने के डर से उड़नदस्ता प्रभारी ने पीड़ित वाहन चालक को तीसरे दिन कागज लौटा दिए लेकिन वह उसे अब भी परेशान करने से बाज नही आए। उन्होंने वाहन के कागजात तो दे दिए लेकिन चालक का मूल लायसेंस उसमे से निकाल लिया। जब मीडियाकर्मी ने इस बारे में उनसे काल करके पूछा तो लायसेंस उनकी गाड़ी में ही रह जाने की बात कहकर कुछ देर बाद उसे भी चालक को दे दिया। बहरहाल तीन दिनों तक इंट्री नही देकर चालक ने जो परेशानी शायद ही उसे वह भूल पाए।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कि लगभग दो माह पूर्व शहडोल अनुपपुर के बीच पूर्व हाइवे में वाहनो को रुकवाकर उनके चालकों से एक एक हजार रुपए की इंट्री वसूली का मामला उजागर होने के बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ग्वालियर तक यह मामला पहुँचा था। जिसके बाद तत्कालीन उड़नदस्ता प्रभारी वीपी सिंह को यहां से हटा दिया गया था। अब नए उड़नदस्ता प्रभारी रमेश सिंह ने आते ही फिर से इंट्री वसूली शुरू कर दी है। अब देखने वाली बात यह है कि इनका क्या हश्र होता है।
आरोप निराधार है:सिंह
इस संबंध में संभागीय उड़नदस्ता प्रभारी रमेश सिंह से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि गाड़ी का कागजात चेक किया गया था। किसी प्रकार की इंट्री वसूली नही की जा रही थी। आरोप निराधार है। यह पूछे जाने पर कि 3 दिन बाद उक्त चालक को कागजात क्यों वापस किए गए तो वे सवाल को टाल गए।
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