डाक्टरों ने काली पट्टी पहन कर दी चेतावनी, मांगें नहीं मानी तो कल से काम बंद
बांधवभूमि, उमरिया
लंबे समय से अपनी समस्याओं तथा मांगों का निराकरण न होने से व्यथित मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ सोमवार को काली पट्टी बांध कर काम किया। सांथ ही चेतावनी भी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो कल 3 मई से काम बंद कर दिया जायेगा। इससे पहले आज 02 तारीख को सुबह 11 बजे से 1 बजे तक सांकेतिक हड़ताल होगी। जिसमे रूटीन कार्य अर्थात दिन मे ओपीडी, आईपीडी, ऑपरेशन, एमएलसी और पोस्टमार्टम जैसे कार्य बंद किए जाएंगे। इस दौरान सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी। अगले दिन याने कल 3 मई से ये सेवायें भी रोक दी जायेंगी। इस संबंध मे संघ द्वारा गत दिवस एक ज्ञापन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.आरके मेहरा को सौंपा। इस अवसर पर डॉ.एलएन रूहेला, डॉ. राजीवलोचन द्विवेदी, डॉ. मुकुल तिवारी, डॉ. भास्कर पाण्डेय, डॉ. मो. सैफ और डॉ. वीएस चंदेल आदि उपस्थित थे। डाक्टरों की हड़ताल से जिले मे स्वास्थ्य सेवायें प्रभावित होंगी। विशेषकर दुर्घटना आदि के केस तथा अन्य आपात चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू रखने मे काफी दिक्कतें आ सकती है।
कर रहे समस्याओं का सामना
इस मौके पर मौजूद डाक्टरों ने बताया कि वे कड़ी मेहनत से लोगों का इलाज करने सांथ ही शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं। कोरोना काल मे भी अपनी जान जोखिम मे डाल कर कर्तव्यों का निर्वहन किया। इसके बावजूद सरकार उनकी लगातार उपेक्षा कर रही है। कुछ समय पहले तक विभाग के अति. प्रमुख सचिव से लेकर संचालक, आयुक्त तक सभी पदों पर चिकित्सकों को ही पदस्थ किया जाता था। अब इन सभी पर ब्यूरोक्रेट्स काबिज हैं। जो स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की तकनीकी जानकारी नहीं रखते। इस वजह से विभाग मे कई तरह की समस्यायें उत्पन्न हो गई है।
ठंडे बस्ते मे समिति की सिफारिशें
मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के संभी संवर्गो के लिये डायनामिक एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (डीएसीपी) योजना लागू करने के लिये मुख्यमंत्री के निर्देश पर 17 फरवरी 23 को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की अध्यक्षता मे उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति द्वारा अपने अपनी सिफारिशें 31 मार्च 2023 को ही शासन स्तर पर सौंपी जा चुकी हैं, जिसे ठंडे बस्ते मे डाल दिया गया है। जिससे राज्य के चिकित्सकों मे भारी असंतोष व्याप्त है। उल्लेखनीय है कि डीएसीपी का उद्देश्य समय पर डाक्टरों का प्रमोशन, इंक्रीमेंट आदि सुनिश्चित करना है।
इससे भी हैं व्यथित
चिकित्सा अधिकारी संघ राजस्व अधिकारियों द्वारा अस्पतालों की मॉनिटरिंग कराये जाने से भी खासा व्यथित है। उनका कहना है कि अस्पतालो मे प्रथम श्रेणी के चिकित्सक उपलब्ध होने के बाद भी द्वितीय श्रेणी के डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम जैसे अधिकारियों से मॉनिटरिंग कराई जाती है। जबकि एक चिकित्सक किसी राजस्व या तहसील कार्यालय का निरीक्षण नही कर सकता, फिर स्वास्थ्य विभाग मे ऐसा क्यों किया जा रहा है। इस अपमानजनक चलन पर तत्काल रोक लगाई जाय। इसके अलावा सीएमएचओ, सिविल सर्जन एवं क्षेत्रीय संचालक के अधिकार बढ़ाने, स्थानीय व्यवस्था मे उनसे सलाह लेने, उनके पत्रों को गंभीरता से लेने, संचालनालय मे विभागीय डायरेक्टर एवं उससे नीचे के समस्त पदों पर चिकित्सकों को पदस्थ करने, वरिष्ठ प्रशासनिक चिकित्सक अधिकारी, एडी, जेडी को उनके पद, गरिमा व वरिष्ठता के अनुसार कार्य का आवंटन एवं अधिकार देने, विभाग मे वीआइपी कल्चर समाप्त कर नियमों के तहत पदस्थापना सहित कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हे लेकर डाक्टरों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
हड़ताल से चरमरायेंगी स्वास्थ्य सेवायें
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