सोनिया ही रहेंगी कांग्रेस की अध्यक्ष


6 महीने के भीतर होगा नए प्रमुख का चयन, चिट्ठी लिखने वालो के प्रति कोई दुर्भावना नहीं

नई दिल्ली। नया अध्यक्ष तय करने के लिए कांग्रेस वर्किग कमेटी ने सोमवार को ७ घंटे मीटिंग की, पर यह तलाश पूरी नहीं हुई। सोनिया गांधी ने बैठक की शुरूआत में ही अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जाहिर कर दी थी, इसके बावजूद अभी उन्हें ही यह जिम्मेदारी संभालनी होगी। ये जरूर तय कर लिया गया है कि नए अध्यक्ष का चयन ६ महीने के भीतर कर लिया जाएगा। बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि कांग्रेस कमेटी का अगला सेशन जल्द से जल्द बुलाया जाएगा, ताकि नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
आखिरकार हम सब एक
सोनिया ने बैठक के आखिर में कहा कि हम एक बड़ा परिवार हैं। हममें भी कई मौकों पर मतभेद होते हैं, लेकिन अंत में हम सब एक साथ होते हैं। अभी वक्त की मांग है कि जनता की खातिर ऐसी ताकतों से लड़ें, जो इस देश को कमजोर कर रहे हैं। आगे बढ़ते हैं। जिन लोगों ने चिट्ठी लिखी, उनके लिए मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं है, क्योंकि वह भी मेरा परिवार ही हैं। पुनिया ने बताया कि गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और आनंद शर्मा ने लिखित में यह बात कही है कि पार्टी लीडरशिप को लेकर कोई विवाद नहीं है। पार्टी में विचारों को सामने रखने की आजादी है, लेकिन इस पर चर्चा पार्टी फोरम में होनी चाहिए, ना कि पब्लिक डोमेन में। कई सदस्यों ने इस पर चिंता जाहिर की है।
राहुल के बयान पर बैठक मे हुआ बवाल
पार्टी की सबसे बड़ी संस्था कांग्रेस वर्किग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की सोमवार को जब बैठक शुरू हुई, तो सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ने की पेशकश की। इसके बाद ही पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया को भेजी गई नेताओं की चिट्ठी की टाईमिंग पर सवाल उठाए। राहुल का आरोप था कि पार्टी नेताओं ने यह सब भाजपा की मिलीभगत से किया। राहुल के इस बयान को बमुश्किल २०-२५ मिनट नहीं बीते होंगे कि उनका विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों में सबसे आगे थे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल। बाद में कांग्रेस ने कहा कि राहुल ने भाजपा के साथ मिलीभगत जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्द भी नहीं बोला था। इसके बाद सिब्बल ने अपना ट्वीट और गुलाम नबी आजाद ने अपना बयान वापस ले लिया। दरअसल, करीब १५ दिन पहले पार्टी के २३ नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है। पिछले चुनावों में युवाओं ने डटकर नरेंद्र मोदी को वोट दिए। कांग्रेस में लीडरशिप फुल टाइम होनी चाहिए और उसका असर भी दिखना चाहिए।
कांग्रेस की कलह पर भाजपा का तंज
मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए कई योग्य उम्मीदवार हैं। इनमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा शामिल हैं। कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि कांग्रेस उस स्कूल की तरह है, जहां सिर्फ हेडमास्टर के बच्चे ही क्लास में टॉप आते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने कहा कि कांग्रेस में सही बात करने वाला गद्दार है। तलवे चाटने वाले कांग्रेस में वफादार हैं। जब पार्टी की ये स्थिति हो जाए तो उसे कोई नहीं बचा सकता। उधर, उमा भारती ने कहा गांधी-नेहरू परिवार का अस्तित्व संकट में हैं। इनका राजनीतिक वर्चस्व खत्म हो गया है। इसलिए अब पद पर कौन रहता है या कौन नहीं यह मायने नहीं रखता है।

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