सेप्टिक टैंक मे गिर कर हुई मासूम की मौत का जिम्मेदार कौन
नौगवां स्कूल की हृदय विदारक घटना ने विद्यालयों मे सुरक्षा के इंतजामो पर उठाये सवाल
बांधवभूमि, रामाभिलाश त्रिपाठी
उमरिया, मानपुर
जिले के मानपुर थानांतर्गत ग्राम नौगवां स्थित सरस्वती स्कूल में शिक्षारत 7 वर्ष के मासूम बच्चे की सेप्टिक टैंक में गिरकर हुई दर्दनाक मौत से हर कोई सन्न और हतप्रभ है। इस घटना ने जहां एक घर का चिराग बुझाया है, वहीं ओर जगह-जगह नियमों को धता बताते हुए चलाये जा रहे स्कूलों और उनमें सुरक्षा के इंतजामो पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस हादसा शिक्षा विभाग के आरामतलब अधिकारियों की कार्यप्रक्रिया को भी कटघरे में खड़ा करता है, जो निजी स्कूल संचालकों की कठपुतली बन कर उनकी बदइंतजामी पर यस सर-यस सर करते रहते हैं।
कैसे खुला छोड़ दिया टैंक
बताया गया है कि शिवम पिता राकेश पाल नवगवां में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में पहली कक्षा का छात्र था। गत सात जुलाई को वह लघुशंका के लिए स्कूल परिसर के शौचालय मे गया था। इसी दौरान बालक वहां खुले पड़े सेप्टिक में जा गिरा, जहां दम घुटने से उसकी मृत्यु हो गई। बताया गया है दुर्घटना के समय मृतक का भाई शिवांश भी वहां मौजूद था, जिसने घर जा कर परिजनों को इसकी सूचना दी। तब जा कर उन्हें इस पूरे मसले की जानकारी हुई। प्रश्न उठता है कि जिस प्रायमरी स्कूल में नासमझ और मासूम बच्चे पढ़ रहे हों, वहां के परिसर का बाथरूम व सेप्टिक टैंक इतना जीर्णशीर्ण कैसे था। इसे खुला क्यों छोड़ा गया। जिन लोगों की घोर लापरवाही का खामियाजा मासूम और उसके परिजनों को भुगतना पड़ा है, उन्हें इसका जवाब तो देना ही पड़ेगा।
कुकुर मुत्तों की मानिंद उगे शिक्षण संस्थान
पिछले कुछ वर्षों के दौरान अन्य जिलों की तरह उमरिया मे भी कुकुरमुत्तों की तरह शिक्षण संस्थान उग आए हैं। इनमे कई तो प्री नर्सरी और केजी के बच्चों के लिए हैं। चाहे नर्सरी, केजी, प्रायमरी हो या उससे ऊपर की कक्षाओं के विद्यालय। कहीं भी नियमो का पालन नहीं हो रहा है। जबकि स्कूल के संचालन में शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन अनिवार्य है। इसका सबसे बड़ा कारण संस्थानों की नियमित जांच और मॉनिटरिंग का न होना है। संबंधित विभाग और अधिकारियों से मिली छूट के कारण ही नौगवां जैसे हादसे हो रहे हैं।
नियमो का पालन नहीं, फिर भी हो रहा नवीनीकरण
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों में सभी जरूरी सुविधाओं के अलावा पर्याप्त साईज के कमरे, शौचालय के अलावा खेल मैदान अनिवार्य कर दिया है। इसके बगैर मान्यता का प्रावधान नहीं है। वहीं मान्यता का नवीनीकरण (पुराने स्कूल) के मामलों मे, खेल मैदान न होने पर संचालकों को मैदान किराये पर लेकर किरायानामा प्रस्तुत करना होगा। स्कूल गलत सूचना के साथ मान्यता न ले लें, इसके लिए जीपीएस से निगरानी रखने की व्यवस्था भी की गई है। यहां तक कि किसी भी स्कूल भवन और परिसर के लिए कम से कम 4000 वर्गफीट रकबा होना चाहिए। साथ ही कक्षाओं की साईज भी निर्धारित है, परंतु जिले के अधिकांश स्कूल संचालक सरकारी नियमों का पालन नहीं कर रहे। फिर भी उनकी संस्थाएं नसिर्फ धड़ल्ले से चल रही हैं, बल्कि उनका नवीनीकरण भी हो रहा है।
शिवम का हुआ अंतिम संस्कार
इस दुखद घटना में मृत शिवम पाल का मंगलवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। कल दोपहर बाद पोस्टमार्टम के उपरांत बच्चे का शव परिजनों को सौंपा गया। पुलिस ने इस मामले मे मर्ग कायम कर विवेचना शुरू की है। अभी तक किसी के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं हुआ है।
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