सुलह से खुलते शांति और विकास के द्वार

सुलह से खुलते शांति और विकास के द्वार

नेशनल लोक अदालत मे 175 प्रकरणो का निराकरण, 83 लाख रूपये के अवार्ड पारित

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश
उमरिया
किसी भी तरह का विवाद व्यक्ति के जीवन को अशांत बना देता है। जबकि सुलह शांति और विकास के द्वार खोलती है। एक बार कानूनी उलझनो मे फंसने के बाद वह पैसा, समय और सुकून सब कुछ खो देता है। इसीलिये जब भी मौका मिले इन्हे बातचीत और समझौते के जरिये निराकृत कर देना चाहिये। उक्त आशय के उद्गार जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री महेन्द्र सिंह तोमर ने गत दिवस जिला न्यायालय परिसर मे नेशनल लोक अदालत के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किये। उन्होने कहा कि नेशनल लोक अदालत का मकसद समाज मे सद्भाव और भाईचारे की भावना को प्रगाढ़ करना है। इसके तहत प्रकरणों का निराकरण आपसी सुलह, समझौते के माध्यम से कराया जाता है। इससे दोनो पक्षकारों को त्वरित न्याय मिलता है। सांथ ही उनकी राशि और समय की बचत होती है। इसमे किसी की हार या जीत नही होती। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि, जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री महेन्द्र सिंह तोमर द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम को अपर कलेक्टर शिवगोविंद सिंह मरकाम तथा जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने भी संबोधित किया।

सैकड़ों पक्षकारों को मिली राहत
नेशनल लोक अदालत मे सैकड़ों पक्षकारों को राहत मिली है। आयोजन मे मोटर दुर्घटना दावा के 22 प्रकरण निराकृत हुए जिनमे 52 लाख रूपये का एवार्ड पारित किया गया। वहीं धारा 138 के 10 प्रकरण निराकृत हुये जिसमे 17 लाख 69 हजार रूपये का एवार्ड पारित हुआ। 115 आपराधिक शमनीय मामलों का निराकरण आपसी राजीनामा के आधार पर हुआ। सांथ ही दो वैवाहिक प्रकरण निराकृत कराये गये। जिनमे 4 लोग लाभान्वित हुये। इस तरह से लोक अदालत के दौरान कुल 175 प्रकरण निराकृत हुये तथा 88 लाख 43 हजार 505 रूपये का एवार्ड पारित किया गया। वहीं प्रीलिटिगेशन स्तर पर बैंक रिकवरी के 31 प्रकरणो मे 83 लाख 18 हजार 6215 रूपये की राशि जमा हुई। बिजली के 86 प्रकरणों मे 6 लाख 95 हजार 66 रूपये राशि की वसूली की गई। नगर पालिका अंतर्गत जलकर के 143 मामलों मे 4 लाख 66हजार 46 रूपये की वसूली की गई।

पृथक परिवारों का हुआ पुर्नमिलन
राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत मे विगत 6 वर्षो से पृथक रह रहे एक दंपत्ति को एक किया गया। हिन्दू विवाह अधिनियम से संबंधित यह प्रकरण सुश्री खालिदा तनवीर, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड उमरिया की न्यायालय मे लंबित था। जिसमे सुलह, समझौते के आधार पर निरकरण कर अलग जीवन यापन कर रहे दंपति के वैवाहिक संबंधों का पुनस्र्थापन कर उन्हे आपस मे मिलाया गया। इसके अतिरिक्त श्रीमती अमृता मिश्रा, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड उमरिया के न्यायालय मे भी वैवाहिक प्रकरण मे आपसी समझौते के आधार पर पति-पत्नि का पुर्नमिलन कराया गया।

ये भी रहे उपस्थित
इस अवसर पर विशेष न्यायाधीश, तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामसहारे राज, प्रथम अपर जिला न्यायाधीश आरएस कनौजिया, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संगीता पटेल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आरपी अहिरवार, न्यायिक दण्डाधिकारी धर्मेन्द्र खण्डायत, अमृता मिश्रा तृतीय व्यवहार न्यायाधीश, सुश्री दिव्या विश्वकर्मा, प्रशिक्षु न्यायाधीश प्रथम व्यवहार न्यायालय, मुख्य नगर पालिका अधिकारी किशन सिंह, बैंक, जिला न्यायालय, जिविसेप्रा के कर्मचारी, पैनल अधिवक्ता, सुलहकर्ता सहित बड़ी संख्या मे पक्षकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन  दुष्यंत सोनी, जिला नाजिर ने किया।

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