सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का आदेश

दोबारा नहीं होगी नीट 2021 परीक्षा
नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दो छात्रों के लिए नीट की फिर से परीक्षा आयोजित करने के आदेश को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्षमा करें, लेकिन नहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि अगर नीट नीट यूजी की परीक्षा दोबारा कराने का निर्देश दिया जाता है तो यह पैटर्न बन जाएगा। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो मेडिकल उम्मीदवारों के लिए फिर से नीट यूजी २०२१ की परीक्षा कराने का निर्देश दिया था। इस आदेश पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने आदेश पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इस साल १६ लाख छात्र स्नातक स्तरीय राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानी नीटी यूजी के लिए उपस्थित हुए थे। ऐसे में सिर्फ दो छात्रों के लिए इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा का दोबारा आयोजन करना उचित नहीं है। इसमें कहा गया है, अगर ऐसा किया गया तो हर साल छात्र आगे आएंगे और किसी न किसी गलती के लिए फिर से परीक्षा की मांग करेंगे। इस पर मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एलएन राव ने आज कहा, हमें छात्रों के लिए खेद है और हम उनके साथ सहानुभूति रखते हैं लेकिन दोबारा परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते।
छात्रों को बांटी थी गलत शीट
इससे पहले, २० अक्टूबर को, बॉम्बे हाईकोर्ट दो १९ वर्षीय अभ्यर्थी वैष्णवी भोपाले और अभिषेक कापसे की सहायता के लिए आगे आया था। अभ्यॢथयों ने कहा कि सोलापुर में उनके प्रवेश परीक्षा केंद्र पर पर्यवेक्षकों ने उन्हें बेमेल परीक्षण पुस्तिकाएं और उत्तर पुस्तिकाएं दीं और इस संबंध में ध्यान दिलाने पर भी गलती में सुधार नहीं किया। तब उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को निर्देश दिया कि उन्हें तारीख और परीक्षा केंद्र के बारे में ४८ घंटे का स्पष्ट नोटिस देने के बाद वे दोनों के लिए नीट की फिर से परीक्षा आयोजित करें।
एक नवंबर को जारी हुआ था नीट का परिणाम
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट का परिणाम पहले ही ०१ नवंबर को घोषित किया जा चुका है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने  परिणाम घोषित करने के लिए स्वीकृति दे दी थी। नीट २०२१ के परिणाम में तीन छात्रों ने अखिल भारतीय रैंक १ हासिल किया है। एनटीए ने इस वर्ष मेरिट सूची तैयार करते समय अधिक उम्र के उम्मीदवार को प्राथमिकता देने के प्रावधान को हटा दिया है। शीर्ष अदालत ने २८ अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के लिए नोटिस जारी किया था और कहा कि वह देखेगा कि इन दो छात्रों के लिए क्या किया जा सकता है।

कोरोना से डरे स्टूडेंट पहुंचे सुप्रीम कोर्ट 

CBSE और ICSE टर्म-1 के एग्जाम करीब हैं। यह एग्जाम ऑफलाइन मोड में आयोजित किए जाएंगे। इसके मुताबिक,16 नवंबर से सीबीएसई की माइनर सब्जेक्ट के एग्जाम होंगे, जबकि ICSE एग्जाम 22 नवंबर से शुरू होंगे। इस बीच परीक्षा को लेकर कंफ्यूजन भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट में CBSE और ICSE के छह स्टूडेंट्स ने 10वीं और 12वीं के एग्जाम हाइब्रिड मोड में आयोजित कराने की मांग करते हुए अपील की है।केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE), दोनों ने कक्षा 10 और 12 के टर्म-12 एग्जाम ऑफलाइन मोड में आयोजित करने की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट में छात्रों ने गुरुवार को CBSE और CISCE के बोर्ड एग्जाम को लेकर याचिका दायर की। याचिका में एग्जाम ऑनलाइन मोड में कराने की रिक्वेस्ट की गई है। स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि बोर्ड एग्जाम 2022 को हाइब्रिड मोड में लेने का ऑप्शन देने का निर्देश दिया जाए।

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