जिले मे बारिश न होने से पिछड़ रही खेती, गर्मी ने बेहाल किया जनजीवन
बांधवभूमि, उमरिया
जून का महीना खत्म होने की कगार पर है, परंतु अभी तक जिले मे मानसून सक्रिय नहीं हो पाया है। बीते दिनो हुई वर्षा से किसानो ने धान के खेती की तैयारी शुरू कर दी थी। कई स्थानो पर नर्सरी भी लगा दी गई है, जबकि अधिकांश किसान अभी यह काम नहीं कर पाये हैं। बारिश न होने तथा तेज गर्मी के कारण जहां नर्सरी सूख रही है, वहीं अन्य किसान नर्सरी नहीं लगा पा रहे हैं। किसानो का कहना है कि यदि जल्दी ही बारिश का दौर शुरू नहीं हुआ तो धान सहित खरीफ की खेती पिछड़ जायेगी, जिससे उन्हे काफी नुकसान होगा। कुल मिला कर मौसम का मौजूदा रूख से जिले मे गंभीर अकाल की
आशंका व्यक्त की जा रही है।
पिछले साल के मुकाबले बेहद कम वर्षा
जिले मे इस वर्ष बारिश का आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले बेहद कम है। मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 मे 27 जून तक जहां करीब 190 एमएम वर्षा हो चुकी थी, जबकि जिले मे अभी तक यह आंकड़ा महज 89.9 पर टिका हुआ है। बीते 24 घंटों के दौरान जिले के विभिन्न हिस्सों मे 1.2 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई है।
गर्मी से हलाकान जनमानस
बारिश न होने से जिले मे अभी लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। घरों, दुकानो और कार्यालयों मे कामकाज के दौरान नागरिकों को भारी बेचैनी हो रही है। पंखे और कूलर भी गर्मी से राहत दिलाने मे नाकाम साबित दिखाई पड़ रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक सोमवार को जिले मे अधिकतम तापमान 35 तथा न्यूनतम 25 डिग्री दर्ज किया गया है।
बढ़ रही बिजली की खपत
गर्मी के कारण जहां बिजली की खपत बढ़ती जा रही है, वहीं इसकी वजह से पावरकट की समस्या बनी हुई है। बीच-बीच मे हवायें चलने से सप्लाई बाधित होते ही दिक्कत बढ़ जाती है। पंखे बंद हाते ही समय काटना मुश्किल हो रहा है। संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र के सूत्रों ने बताया है कि जलाशय मे पर्याप्त पानी उपलब्ध न होने से संयंत्र मे हाईड्रल पावर से बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है।
पेयजल समस्या से हलाकान नागरिक
पर्याप्त बारिश व तेज गर्मी के कारण जिले के अधिकांश जलाशय सूख गये हैं। यही हाल नदी और तालाबों का है। कई गावों मे नागरिक पेयजल समस्या से बुरी तरह जूझ रहे हैं। वहीं पशुओं को भी प्यास बुझाने के लिये यहां से वहां भटकना पड़ता है। इस सभी मुश्किलों का हल केवल बारिश है, जिसका सभी को बेसर्बी से इंतजार है।
सुनाई दे रही अकाल की पदचाप
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