सिटी अस्पताल के संचालक पर एफआईआर दर्ज

सिटी अस्पताल के संचालक पर एफआईआर दर्ज
नकली रेमडेसीविर इंजेक्शन मामले मे विहिप नेता के खिलाफ हुई बड़ी कार्यवाही
भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले मे पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में विहिप नेता और सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा समेत 3 पर एफआईआर दर्ज की है। सरबजीत गुजरात से नकली इंजेक्शन मंगाकर अपने अस्पताल में संक्रमितों को लगवाए थे। इससे पहले राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने सीएम को पत्र लिखकर सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। ओमती थाने मे रविवार देर रात सरबजीत मोखा, सिटी अस्पताल का दवा संचालक देवेश चौरसिया और भगवर्ती फार्मा के संचालक सपन जैन के खिलाफ धारा 274, 275, 308, 420, 120बी, 53 आपदा प्रबंधन अधिनियम, 3 महामारी एक्ट का प्रकरण दर्ज कर लिया है।

23 और 28 अप्रैल को दो कार्टून रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगवाए थे
सरबजीत मोखा ने 23 और 28 अप्रैल को अम्बे ट्रेवल्स के माध्यम से इंदौर से रेमडेसिविर इंजेक्शन के दो कॉर्टून मंगवाए थे। सरबजीत के कहे अनुसार देवेस चौरसिया इसे लेने अम्बे ट्रेवल्स के यहां गया था। वहां से इंजेक्शन लाकर उसने सरबजीत मोखा के कक्ष में रख दिए थे। उक्त दवाओं का भुगतान सपन जैन ने किया था। इस संबंध में सिटी अस्पताल में कोई रिकार्ड नहीं रखा गया था। एफआईआर दर्ज होते ही वह फरार हो गया।

01 मई को गुजरात पुलिस ने किया था भंडाफोड

एक मई को गुजरात की मोरबी थाने की पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का भंडाफोड़ किया था। इस मामले में गुजरात पुलिस ने 6 मई की देर रात अधारताल पुलिस की मदद से आशानगर निवासी सपन उर्फ सोनू जैन को गिरफ्तार किया था। सपन का सिविक सेंटर में भगवती फार्मा नाम से दवा की बड़ी दुकान है। इसका शहर के कई बड़े अस्पतालों में दवा सप्लाई का काम है।

नर्मदा में फेंक दिए थे नकली इंजेक्शन
सपन जैन ने गुजरात में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का खुलासा होने के बाद बड़ी मात्रा में इंजेक्शन नर्मदा में फेंक दिए थे। उसने जिले में 400 इंजेक्शन सप्लाई की बात स्वीकार की है। दवा सप्लायर सपन ने नकली रेमडेसिविर मामलेे में सिटी अस्पताल का संचालक सरबजीत सिंह मोखा का नाम लिया था। सरबजीत ने ही उसे गुजरात की नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचनेे वाली फर्म का नंबर दिया था। आठ मई को पुलिस, प्रशासन और ड्रग विभाग ने कार्रवाई करते हुए भगवती फार्मा, सत्यम व सत्येंद्र मेडिकोज को सील कर दिया था।

कई मरीजों को लगवा दिया नकली इंजेक्शन
थाना बी डिवीजन जिला मोरबी गुजरात द्वारा नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की फैक्ट्री से नकली इंजेक्शन जब्त किए गए हैं। उसी फैक्ट्री से बने नकली इंजेक्शन इंदौर से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा ने मंगवाए थे। सिटी अस्पताल का संचालक अपने यहां भर्ती मरीजों को यही नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा कर अवैध लाभ कमाने में जुटा था।
सपन जैन की गिरफ्तारी के बाद ओमती पुलिस हरकत में आई
ओमती टीआई एसपीएस बघेल के मुताबिक 6 मई के गुजरात पुलिस द्वारा सपन जैन की गिरफ्तारी की खबर लगने पर उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया। इसके बाद भगवती फार्मा व सत्यम मेडिकोज की सर्चिंग की गई। कार्रवाई के दौरान भगवती फर्म के सत्यम जैन, सिटी अस्पताल के कर्मी देवेस चौरसिया से पूछताछ की गई। एक टीम ने इंदौर में क्षितिज राय, यश मेहंदी और विजय सहजवानी के बयान दर्ज किए।

गुजरात में खुलासा होने के बाद माइनर अटैक का बहाना किया
पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक मई को जब गुजरात में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले का खुलासा हुआ। तब सरबजीत मोखा ने सपन से बात की। पता किया कि क्या यह वही फर्म है, जिससे वह नकली इंजेक्शन ले रहा है। पुष्टि किए जाने के बाद वह माइनर अटैक बता कर हास्पिटल में भर्ती हो गया था। उसकी चाल थी कि अस्पताल में भर्ती होने पर वह गिरफ्तारी से बच जाएगा।
दो दिन की पुलिस की देरी का फायदा उठाकर हुआ फरार
आठ मई को भगवती फार्मा सहित तीनों मेडिकल स्टोर्स और उसके कर्मी देवेस चौरसिया से पूछताछ में ही सरबजीत सिंह माेखा की करतूत उजागर हो गई थी। तब वह हास्पिटल में ही भर्ती होने का नाटक किए हुए था। तब पुलिस ने एफआईआर दर्ज नही की। पुलिस को पूरे दो दिन लग गए। तब तक मोखा को इसकी भनक लग गई और वह फरार हो गया। अब उसकी गिरफ्तारी पर ईनाम घोषित करने की तैयारी है।

सिटी हॉस्पिटल की मान्यता समाप्त करने की मांग
सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन ने तीन सीजीएचएस लाभार्थी की शिकायत पर सिटी हास्पिटल की मान्यता समाप्त करने की अपर निदेशक सीजीएचएस आरपी रावत से मांग की है। बताया गया है कि अब तो रेमडेसिविर मामले में प्रबंध निदेशक के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। हास्पिटल ने अपने जवाब में 170 सीजीएचएस लाभार्थी का कोविड इलाज किया जाना बताया था। ऐसे सभी लोगों के इलाज का बिल रोकने की मांग की है। हॉस्पिटल ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाकर असली कीमत दर्शाई होगी।

डकैती का भी मामला दर्ज हो चुका है मोखा पर
सरबजीत मोखा पहले रेलवे में कैशियर था। गबन के चलते उसे निकाल दिया गया था। इसके बाद यह प्राॅपर्टी बिल्डिंग का काम करने लगा। 2004 में मोखा ने चौथा पुल के पास एक प्रॉपर्टी पर जबरन कब्जा कर लिया था। इस मामले में उसके खिलाफ गोरखपुर थाने में अपराध क्रमांक 2004/400 धारा 395, 397, 120बी, 25/27 आर्म्स का प्रकरण दर्ज हुअा था। पूर्व में यह कांग्रेस से जुड़ा था। बाद में विहीप से जुड़ गया था। वर्तमान में वह विश्व हिंदू परिषद का नर्मदा जिलाध्यक्ष है। यहां बता दें विहिप में जबलपुर जिले में नर्मदा और दुर्गावती जिला नाम से दो अध्यक्ष होते हैं।

हस्तक के साथ पार्टनर में मिलकर खोला था सिटी हॉस्पिटल
सरबजीत मोखा ने डॉक्टर हस्तक के साथ मिलकर सिटी हॉस्पिटल खोला था। वर्तमान में वह अकेला इसका मालिक बन बैठा है। डॉक्टर हस्तक ने बाद में मार्बल सिटी नाम से अलग हॉस्पिटल खोल लिया था। आबकारी विभाग के सामने एक बिल्डिंग उसने एक बुजुर्ग को झांसे में लेकर खरीद लिया था। बाद में इसी बिल्डिंग से उस बुजुर्ग की मौत भी संदिग्ध हालत में हो गई थी। वहीं परिवहन निगम की जमीन पर उसने अमृत हाईट्स नाम से बिल्डिंग भी बना लिया है। शासकीय जमीन में बेजा कब्जा होने के बाद भी अब तक माफिया अभियान में इसे तोड़ा नहीं गया।

दर्ज हो हत्या का मामला

कांग्रेस के पूर्व पार्षद संजय राठौर और नगर अध्यक्ष दिनेश यादव ने मांग कि मोखा के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज होना चाहिए। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की वजह से कई लोगों की अस्पताल में मौत हुई है। वहीं कई लोगों से उसने बेजा पैसे वसूले हैं। पुलिस ने इसके पूर्व रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में आरोपियों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की थी। अब मोखा सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई होगी?

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