साल भर लटकाया, जाते-जाते निपटाया
जिला पंचायत के सीईओ अंशुल गुप्ता ने एक और सचिव पर की कार्यवाही
उमरिया। जिले की ग्राम पंचायतों मे वर्षो से लटकाये गये भ्रष्टाचार के मामलों मे जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अंशुल गुप्ता ने जाते-जाते ताबड़तोड़ कार्यवाहियां की हैं। बीते दिनो अमड़ी व चंदवार के सचिव को निलंबित करने के बाद अब अतरिया के सचिव राजमणि सिंह को लाखों रूपये का गबन करने के आरोप मे पद से हटा दिया गया है। इस संबंध मे सीईओ श्री गुप्ता ने बताया कि करकेली जनपद के ग्राम पंचायत अतरिया की सरपंच लौंगबाई ने कलेक्टर के समक्ष पंचायत सचिव राजमणि सिंह के विरुद्ध उनके बिना जानकारी के राशि का गबन करने की शिकायत की गई थी। जिस पर सचिव को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया। जवाब न देने पर उन्हे 6 अक्टूबर 2020 को निलंबित किया गया था।
55 लाख 97 हजार 506 रूपये हड़पे
बताया गया है कि जनपद पंचायत के तत्कालीन सीईओ आरके मण्डावी एवं सहायक यंत्री एएन शर्मा द्वारा जांच मे पाया कि सचिव राजमणी सिंह ने 55 लाख 97 हजार 506 रूपये का गबन किया है। दोनो अधिकारियों ने अपने संयुक्त प्रतिवेदन मे उक्त राशि की वसूली किया जाना प्रस्तावित भी किया था।
दबाते रहे कार्यवाही
जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों ने किस तरह भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया वह इस प्रकरण से भी ज्ञात होता है। इस मामले मे 13 नंवबर 2020 को सचिव को आरोप पत्र जारी किया गया। जिसका जवाब 28 नवंबर 2020 को प्राप्त भी हो गया। सारा कुछ साफ होने के बावजूद अधिकारियों ने कार्यवाही की बजाय प्रकरण की फिर से जांच कराने का निर्णय लिया। इसके लिये मप्र पंचायत सेवा अनुशासन एवं अपील नियम 1999 के प्रावधानों का सहारा लेते हुए अखिलेश पाण्डेय लेखाधिकारी जिला पंचायत को विभागीय जांचकर्ता अधिकारी एवं बाल्मीकि सिंगरहा पंचायत समन्वयक जनपद पंचायत करकेली को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया।
अंत मे दोगुनी हुई गबन की राशि
सूत्रों के मुताबिक काफी कोशिशों के बाद भी जब सौदा नहीं पटा तो दूसरी जांच टीम ने पुरानी राशि 55 लाख 97 हजार 506 को बढ़ाते हुए 94 लाख 74 हजार 723 रूपये की वसूली का प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया। इसके बाद भी मामले को महीनो तक लटकाया गया। जिस पर सीईओ द्वारा स्थानांतरण के बाद कार्यवाही की गई है।
साल भर लटकाया, जाते-जाते निपटाया
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