सांसों के लिए तड़प रही जिंदगी…

मप्र, छग, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित 10 राज्यों में सबसे अधिक किल्लत
भोपाल/ग्वालियर/नई दिल्ली/रायपुर। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौतें ऑक्सीजन की कमी से हो रही हैं। चारों तरफ ऑक्सीजन के लिए दौड़ते भागते लोग दिख रहे हैं। मुंहमागी कीमत देने को तैयार हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे करीब 10 राज्यों में किल्लत बहुत ज्यादा है। इस बीच ऑक्सीजन को लेकर आरोप प्रत्यारोप की गंदी राजनीति भी दिखाई दे रही है। क्या सच में देश खपत के हिसाब से ऑक्सीजन की संकट का सामना कर रहा है। जवाब है नहीं। और अगर खपत के हिसाब से देश का उत्पादन बेहतर है तो सवाल है कि आखिर हमारे हिस्से की ऑक्सीजन कहां है? उधर, ऑक्सीजन की कमी से देश भर में हाहाकार थम नहीं रहा है। शुक्रवार रात ग्वालियर में ऑक्सीजन की कमी से अफरा-तफरी मच गई। इस बीच दो मरीजों ने दम तोड़ दिया। वहीं देश की राजधानी दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते 25 मरीजों की मौत हो गई है। यहां बत्रा और सर गंगा राम अस्पताल में ऑक्सीजन की बेहद किल्लत है और कुछ ही समय के लिए ऑक्सीजन मौजूद है। जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल के एमडी डॉक्टर डीके बलूजा ने दावा किया कि शुक्रवार शाम ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण करीब 25 बेहद गंभीर मरीजों की मौत हो गई। वाणिज्य मंत्रालय की ऑक्सीजन एक्सपोर्ट डाटा के मुताबिक 2021 के वित्तीय वर्ष में देश ने पिछले 10 महीनों के दौरान दुनिया में दो बार ऑक्सीजन का निर्यात किया। अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के दौरान देश ने 9,301 मीट्रिक टन ऑक्सीजन विदेशों को बेचा। जबकि इससे पहले 2020 के वित्त वर्ष में (महामारी का पहला चरण) देश ने मात्र 4,502 मीट्रिक टन की बेचा था। ऑक्सीजन की डिमांड कुछ महीनों में बढ़ी है। मांग की ये रफ्तार पिछले कुछ हफ्तों में और ज्यादा तेज हो गई है। महामारी के पहले फेज के दौरान लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड रोजाना 700 मीट्रिक टन से बढ़कर 2,800 मीट्रिक टन तक पहुंच गई थी। महामारी के दूसरे चरण में रोजाना की लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की मांग 5,000 मीट्रिक टन तक है। स्थितियों में सुधार नहीं हुआ तो इसके और आगे बढऩे की आशंका है।
जरूरत से 2,000 मीट्रिक टन का उत्पादन
भारत की क्षमता रोजाना करीब 7,000 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने की है। प्रोडक्शन क्षमता और 2021 वित्त वर्ष में आयात की मात्र को देखें तो आसानी से समझा जा सकता है कि किल्लत के पीछे ऑक्सीजन की कमी नहीं और दूसरी वजहें हैं। दरअसल गैरजरूरी सप्लाई और उसे ढोने, स्टोर करने जैसी लॉजिस्टिक वजहों से कई राज्यों में ऑक्सीजन का संकट खड़ा हुआ है। आईनोक्स एयर प्रोडक्ट्स के निदेशक सिद्धार्थ जैन ने बताया भी कि भारत मांग के अनुपात में पर्याप्त उत्पादन करता है, मगर उन्होंने यह भी कहा कि वितरण की दिक्कतों से कुछ राज्यों को किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। आईनोक्स एयर अकेले देश की जरूरत के करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा ऑक्सीजन का प्रोडक्शन करता है। मेडिकल ऑक्सीजन के अन्य बड़े मैन्यूफेक्चरर में लिंडे इंडिया, गोयल एमजी गैसेज प्राइवेट लिमिटेड, नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड शामिल हैं।
आगे स्थिति और होगी खराब
जानकारों का कहना है कि मांग के लिहाज से ऑक्सीजन पहुंचाने की दिक्कतों की वजह से किल्लत ज्यादा हुई है। ट्रांसपोर्ट की दिक्कतें आ रही हैं जिसके समाधान के लिए अब रेल मंत्रालय ऑक्सीजन एक्सप्रेस का मॉडल लेकर आया है। डिमांड के हिसाब से फिलहाल का स्टॉक ठीक है। लेकिन रोजाना तीन लाख से ज्यादा संक्रमण का मामला जितना बढ़ता जाएगा हालत उतनी ही खराब होती जाएगी। स्थितियां इसलिए भी खराब हो गईं कि महाराष्ट्र जैसे राज्य जितना ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं उनके यहां खपत उससे ज्यादा हो गई है। जबकि मप्र जैसे राज्य भी हैं जिनके पास ऑक्सीजन मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट ही नहीं है।
देश में पर्याप्त क्रायोजेनिक टैंक ही नहीं
लिक्विड ऑक्सीजन को ढोने के लिए 24 घंटे क्रायोजेनिक टैंकर्स की जरूरत है। इस वक्त की जरूरत ज्यादा से ज्यादा क्रायोजेनिक टैंक बनाने की है। इसमें चार महीने तक का समय लग सकता है। मौजूद हालात में ट्रेनों के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई से सर्वाधिक परेशान राज्यों को मदद मिल सकती है। ऑक्सीजन सप्लाई के लिए नाइट्रोजन टैंकों का इस्तेमाल भी राज्यों की किल्लत दूर करने में मददगार होगा।
162 ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने का फैसला
केंद्र ने 162 की संख्या में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट्स को अलग-अलग राज्यों में लगाने का फैसला लिया है। 33 पहले ही लगाए जा चुके हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ये प्लाट्स 154.19 मीट्रिक टन तक मेडिकल ऑक्सीजन क्षमता के वृद्धि में सहायक होंगे। 33 में से पांच प्लांट मप्र में, चार हिमाचल, तीन तीन चंडीगढ़, गुजरात और उत्तराखंड, दो दो बिहार कर्नाटक और तेलंगाना, और एक एक आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पुद्दुचेरी, पंजाब और उत्तर प्रदेश में लगाया गया है।
मप्र में 24 घंटे में रिकॉर्ड 104 मौतें
अप्रैल में 1 हजार 27 लोग कोराना की जंग हारे
कोरोना की दूसरी लहर में दिन पर दिन जानलेवा होती जा रही है। पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 104 मरीजों की मौत हुई है। अप्रैल के 23 दिनों में 1,027 लोग कोरोना की जंग हार चुके हैं। इनमें 729 मौतें तो पिछले 10 दिन में ही रिकॉर्ड की गईं। पहली लहर की पीक में हुई मौतों से यह संख्या लगभग दो गुनी है। सितंबर में कोरोना से 663 लोगों की जान गई थी। यह सरकारी आंकड़ा है, लेकिन श्मशान में कोरोना प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार किए जाने वाले शवों की संख्या कई गुना ज्यादा है।
ऑक्सीजन की कमी मौत की बड़ी वजह
कोरोना मरीजों की मौत की बड़ी वजह ऑक्सीजन कमी बनी। जबलपुर, भोपाल, शहडोल, ग्वालियर में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने से आधा सैकड़ा मौतें हुईं। सरकार का दावा है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने शुक्रवार को कहा था कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है।
बड़े शहरों में भी ऑक्सीजन के लिए हाहाकार
भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों के अस्पतालों में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार है। मरीज के परिजन अपने स्तर पर ऑक्सीजन के लिए भटक रहे हैं। हालांकि सरकार का दावा है कि प्रदेश में मांग के अनुरूप आपूर्ति हो रही है। 7 दिन से रोजाना 70 से 75 लोगों की मौत हो रही है, लेकिन शुक्रवार को आंकड़ा 100 के पार हो गया।
12,919 नए संक्रमत मिले
प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 12,919 नए संक्रमित मिले, जबकि स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या 11,091 रही। इसके साथ ही कुल संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 85 हजार 703 और स्वस्थ्य होने वालों का आंकड़ा 3 लाख 91 हजार 299 हो गया है। प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट 23 प्रतिशत बनी हुई है।
-सांसों में रुकावट पर अदालत सख्त
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- ये कोरोना की सुनामी है, ऑक्सीजन सप्लाई में रुकावट डालने वाले अफसर को फांसी पर चढ़ा देंगे कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की किल्लत पर दिल्ली हाईकोर्ट कितना नाराज है, इसका अंदाजा उसके एक कमेंट से लगा सकते हैं। हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि अगर कोई केंद्र सरकार, राज्य सरकार या फिर स्थानीय प्रशासन के किसी अधिकारी ने ऑक्सीजन सप्लाई में रुकावट डाली तो उसे फांसी पर चढ़ा देंगे। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की बेंच ने महाराज अग्रसेन हॉस्पिटल की अर्जी पर सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर की। अस्पताल ने कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी को लेकर अर्जी लगाई थी।
किसी को नहीं बख्शेंगे
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि ऑक्सीजन सप्लाई में रुकावट डालने से जुड़ी कोई एक घटना बता दें, हम उसे सूली पर चढ़ा देंगे। हम किसी को बख्शेंगे। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार स्थानीय प्रशासन के ऐसे अफसरों के बारे में केंद्र को बताए, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
दिल्ली को पूरी ऑक्सीजन कब मिलेगी?
हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा, दिल्ली को हर दिन 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अलॉट करने की बात हकीकत कब बनेगी? जबकि आपने 21 अप्रैल को यह भरोसा दिया था। यह सवाल तब उठा जब दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि उसे पिछले कुछ दिनों से हर रोज सिर्फ 380 मीट्रिन टन ऑक्सीजन मिल रही थी और शुक्रवार को तो 300 मीट्रिक टन ही मिली थी।

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