कोवैक्सीन का अभी तक नहीं मिली है डब्ल्यूएचओ की मंजूरी, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लग चुकी है वैक्सीन
नई दिल्ली। देश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 3.07 लाख लोगों को मौत के घाट सुलाने वाले कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन किया जा रहा है। मंगलवार तक देशभर में 19,59,99,629 लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है। इसमें से 17,48,32,877 लोगों को कोविशिल्ड, 2,11,66,345 को कोवैक्सिन और 407 को स्पूतनिक-वी वैक्सीन लगाई है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि देश में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी के बिना कोवैक्सीन लगाई जा रही है। यही वैक्सीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगाई गई है। भारत में कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को मंजूरी भी मिल गई है और इसका वैक्सीनेशन में बेधड़क इस्तेमाल भी किया जा रहा है। भारत बायोटेक कोवैक्सीन के हर माह 2 करोड़ डोज तैयार करती है। दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वैक्सीन को इमरजेंसी यूज लिस्टिंग के लिए भारत बायोटेक से और अधिक जानकारी की मांग की है। हैदराबाद की कंपनी ने 19 अप्रैल को संगठन के सामने एक्सप्रेशन और इंट्रेस्ट दाखिल किया था। फिलहाल इस सूची में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड, मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्राजेनेका (2), जेनसेन (अमेरिका और नीदरलैंड्स) और सिनोफार्म/बीबीआईपी शामिल है।
कंपनी को दाखिल करना होगा डोजियर
सूत्रों ने जानकारी दी है कि भारत बायोटेक ने सरकार को बता दिया है कि कंपनी की तरफ से डब्ल्यूएचओ को 90 प्रतिशत डॉक्यूमेंट्स दिए जा चुके हैं। कंपनी ने केंद्र सरकार को जानकारी दी है कि बचे हुए कागजात जून तक दाखिल किए जाने का अनुमान है। भारत बायोटेक ने एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जमा किया है, लेकिन इसके संबंध में अभी और जानकारी की जरूरत है। रिपोट्र्स के मुताबिक, कंपनी को एक डोजियर दाखिल करना होगा। इसके बाद कोवैक्सीन को अपनी सूची में शामिल करने से पहले डब्ल्यूएचओ की तरफ से आंकलन किया जाएगा। इसके बाद वैक्सीन में शामिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। अब इस दौरान हर स्तर पर हफ्तों का समय लग सकता है।
ब्राजील ने मैन्यूफैक्चरिंग स्टैंडर्ड पर उठाया था सवाल
कोरोना संक्रमण के कारण सबसे बूरे दौर से गुजर रहे ब्राजील में भारत के कोवैक्सीन टीके के उपयोग को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। दरअसल, ब्राजील की हेल्थ रेगुलेटर (स्वास्थ्य नियामक) एनविसा ने भारत में बने कोरोना संक्रमण के टीके कोवैक्सीन के मैन्यूफैक्चरिंग स्टैंडर्ड पर सवाल खड़ा किया है। एनविसा का कहना है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन उसके मानकों को पूरा नहीं करती इसलिए इसका उपयोग संभव नहीं है। बता दें कि भारत बायोटेक ने अपने वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के लिए ब्राजील में 8 मार्च को अप्लाई किया था।
कंपनी दावा कोवैक्सिन कारगर
भारत बायोटेक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. कृष्णा एल्ला का कहना है कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि वाला दिन है। क्लीनिकल ट्रायल्स के तीनों फेज में हमने 27 हजार वॉलंटियर्स पर अपनी वैक्सीन का प्रयोग किया है। फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स के नतीजों के साथ यह साबित हो गया है कि कोवैक्सिन कोरोनावायरस के खिलाफ असरदार है। यह वैक्सीन तेजी से सामने आ रहे कोरोनावायरस के अन्य वैरिएंट्स के खिलाफ भी कारगर है। कोवैक्सिन के फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स में 25,800 वॉलंटियर्स शामिल हुए थे। यह भारत में कोरोना वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने वालों का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इनमें 2,433 लोग 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के थे, जबकि 4,500 वॉलंटियर्स गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। इनमें से 43 वॉलंटियर्स कोरोनावायरस से इंफेक्टेड पाए गए हैं। 36 प्लेसिबो ग्रुप के थे, जबकि सिर्र्फ 7 वैक्सीन ग्रुप के। इस आधार पर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 80.6 प्रतिशत रही है।
कोवैक्सिन लगवाने वालों की विदेश यात्रा पर फिलहाल रोक!
दुनिया के कई देश कोरोना वैक्सीन पासपोर्ट पर काम कर रहे हैं। इस बीच कई देशों ने टीका प्राप्त यात्रियों के लिए नीतियों की घोषणा कर दी हैं। वहीं, कुछ देश जल्द ही नए नियमों का ऐलान करने वाले हैं। ऐसे में अगर आपने भारत में बनी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन लगवाई है तो ये खबर आपके लिए ही है। दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये वैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठनकी इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में शामिल नहीं है इसलिए इस वैक्सीन को लगवाने वाले लोगों की विदेश यात्रा पर रोक लग सकती है।
किसी कोरोना वैरिएंट में वैक्सीन के प्रभाव को कम करने की क्षमता नहीं, लेकिन:डब्ल्यूएचओ चीफ
कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से बढ़ती चिंताओं के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अब तक ऐसा कोई वैरिएंट सामने नहीं आया है, जो टीकों के असर को कम करता हो। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने हालांकि कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य में ऐसा ही होगा। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस ने 74 वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा, कोई भी रूप सामने नहीं आया है जो टीकों, निदान या चिकित्सा विज्ञान की प्रभावकारिता को महत्वपूर्ण रूप से कम करता है। लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ऐसा ही रहेगा। वायरस लगातार बदल रहा है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा कि इन विचारों से लोगों को टीकाकरण से हतोत्साहित नहीं होना चाहिए और सभी देशों में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने का आह्वान किया जाना चाहिए।