पीएम आवास के हितग्राही परेशान, पांच साल मे दोगुनी हुई भवन निर्माण सामग्री
बांधवभूमि, उमरिया
भवन निर्माण मे उपयोग आने वाली सामग्रियों के दाम बढऩे से जहां मध्यम और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के सामने मकान का संकट खड़ा हो गया है, वहीं शासकीय कार्यो मे लगे ठेकेदार भी मुश्किल मे हैं। कच्चे माल की कीमतो मे आ रही तेजी से निर्माण की लागत भी बढ़ती जा रही है। विशेषकर प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों को सरकार की ओर से मिल रहा सारा अनुदान मंहगाई लील रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि बीते करीब 5 सालों मे भवन निर्माण सामग्री के दाम बढ़ कर दोगुने से भी ज्यादा हो गये हैं। एक समय प्रधानमंत्री आवास बनाने मे महज डेढ़ से 2 लाख रूपये खर्च आता था परंतु अब उतना ही बड़ा मकान बनाने मे साढ़े तीन से चार लाख रूपये लग रहे हैं। जबकि सरकार की ओर से शहरी हितग्राहियों को करीब 2.5 लाख और ग्रामीण क्षेत्र मे लोगों को 1.5 के आसपास का अनुदान मिल रहा है। इसका मतलब प्रधानमंत्री आवास बनाने मे हितग्राहियों को 1.5 से 2.5 लाख रूपये तक अपने जेब से लगाना पड़ रहा है। जिसके लिये उन्हे अलग से कर्ज लेना पड़ रहा है।
घाटे का सौदा बने सरकारी ठेके
लोगों का कहना है कि निर्माण सामग्री के दामो मे आये दिन परिवर्तन हो रहा है। हालत यह है कि सरकारी कार्यो मे संविदाकार द्वारा निविदा भरने और कार्यादेश जारी होने के बीच ही कीमतें 10 से 15 प्रतिशत बढ़ जाती हैं। उनके सामने दूसरी समस्या काम न होने की है। कोरोना के बाद से सरकार द्वारा विकास कार्यो के लिये पर्याप्त बजट जारी न करने के कारण काम न खुल रहे हैं। जिससे निर्माण क्षेत्र मे भारी प्रतिस्पर्धा है। एक ओर जहां अपना सेटअप बचाने के चक्कर मे ठेकेदार 20 से 30 प्रतिशन बिलो मे काम ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ बाजार मे मची उथल-पुथल से उन्हे काम करने मे भारी घाटा हो रहा है।
इस तरह बढ़ीं कीमतें
गत जनवरी से अब तक की कीमतों का आकंलन करने पर पता चलता है कि रेत, ईट, गिट्टी और सरिया के भाव मे 15 से 20 प्रतिशत तक की तेजी आ गई है। कारोबारी इसका कारण कच्चे माल और मालभाड़ा मे हुई वृद्धि बता रहे हैं। सबसे ज्यादा कीमतें सरिया की बढ़ी हैं। साल की शुरूआत मे सरिया 5900 रूपए प्रति ङ्क्षक्वटल बिक रहा था, वह बढ़ कर अब 6500 रूपये के आसपास पहुंच गया है। इसी प्रकार रेत मे 5 रूपए प्रति घनफीट की तेजी आई है। इन सबके बावजूद सीमेंट के दामो ने आम आदमी को थोड़ी राहत दी है। तुलनात्मक रूप से जनवरी से अब तक 10 रूपए प्रति बैग सीमेंट सस्ती हो गई है।
आसमान छू रहा ग्रेनाइट
हलांकि इस साल अप्रैल-मई के आसपास सरिया के भाव रिकार्ड 8700 रूपए प्रति ङ्क्षक्वटल तक चले गए थे। उस समय सरकार ने एक्सपोर्ट खोल दिया था। एक्सपोर्ट ड्यूटी वापस लेने के बाद भाव नीचे आना शुरू हो गए। लेकिन रेत और ईंट के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। साल के शुरू मे 9 रूपए नग मे बिकने वाली ईट की कीमत 11 रूपए हो गई है। गिट्टी के रेट 21 से 22 रूपए पर चले गए हैं। इसी प्रकार 90 रूपए वाला ग्रेनाइट 280 रूपए प्रति स्क्वायर फीट हो गया है। 40 रूपए प्रति स्क्वायर फीट वाली टाइल्स के भाव 50 से 60 रूपए तक पहुंच गए हैं। प्लाइ वाले दरवाजे की कीमत 60 रूपए से बढकर 100 रूपए प्रति स्क्वायर फीट तक पहुंच गई है।
सरकारी अनुदान लील रही मंहगाई
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