रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पहली बार की विक्रांत पर नौसेना कमांडरों की कॉन्फ्रेंस
गोवा।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि हम भविष्य के टकरावों का अनुमान नहीं लगा सकते, इसलिए सीमाओं और समुद्र तटों पर निरंतर निगरानी रखने की जरूरत है। लगातार विकसित हो रही विश्व की व्यवस्था ने सभी देशों को फिर से रणनीति बनाने के लिए मजबूर किया है। भारत को उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ-साथ पूरे समुद्र तट पर लगातार निगरानी रखने की जरूरत है।राजनाथ सोमवार को नेवी कमांडरों की कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। यह कॉन्फ्रेंस पहली बार गोवा से लगे समुद्र में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर हो रही है। रक्षामंत्री ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित सीमाएं पहली जरूरत है।हमें भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने भारतीय नौसेना से कहा कि समुद्री क्षेत्र में उभरती सुरक्षा चुनौतियों को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए फ्यूचरिस्टिक कैपेबिलिटी डेवलप करने पर फोकस करें।
नेवी के लिए बजट बढ़ा
राजनाथ ने बताया कि पिछले महीने पेश किए गए केंद्रीय बजट में, नौसेना के लिए बजट 47,590.99 करोड़ रुपए से बढ़ाकर अगले साल के लिए 52,804.75 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस साल के लिए संशोधित अनुमानों में राशि 47,727 करोड़ रुपए रखी गई है। इसका मतलब है कि भारतीय नौसेना ने उसे दी गई राशि से 137 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए।सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन अपनी रक्षा क्षमताओं पर बड़ा निवेश कर रहा है और विशेष रूप से नौसैनिक कौशल पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। संयोग से, 5 मार्च को चीन ने अपना वार्षिक बजट पेश किया। इसमें उसने इस साल रक्षा खर्च में 7.2% की बढ़ोतरी की, जो पिछले साल की बढ़ोतरी से थोड़ी अधिक है। रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की “विश्वसनीय और उत्तरदायी उपस्थिति’ को भी रेखांकित किया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी नौसेना के कमांडरों के साथ बातचीत की। पिछले 6 महीनों के दौरान किए गये ऑपरेशन, लॉजिस्टिक, ट्रेनिंग, और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा हुई। इसके अलावा हिंद महासागर में चीन की बढ़ती एक्टिविटी पर भी चर्चा की गई।
राजनाथ ने बताया कि पिछले महीने पेश किए गए केंद्रीय बजट में, नौसेना के लिए बजट 47,590.99 करोड़ रुपए से बढ़ाकर अगले साल के लिए 52,804.75 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस साल के लिए संशोधित अनुमानों में राशि 47,727 करोड़ रुपए रखी गई है। इसका मतलब है कि भारतीय नौसेना ने उसे दी गई राशि से 137 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए।सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन अपनी रक्षा क्षमताओं पर बड़ा निवेश कर रहा है और विशेष रूप से नौसैनिक कौशल पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। संयोग से, 5 मार्च को चीन ने अपना वार्षिक बजट पेश किया। इसमें उसने इस साल रक्षा खर्च में 7.2% की बढ़ोतरी की, जो पिछले साल की बढ़ोतरी से थोड़ी अधिक है। रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की “विश्वसनीय और उत्तरदायी उपस्थिति’ को भी रेखांकित किया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी नौसेना के कमांडरों के साथ बातचीत की। पिछले 6 महीनों के दौरान किए गये ऑपरेशन, लॉजिस्टिक, ट्रेनिंग, और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा हुई। इसके अलावा हिंद महासागर में चीन की बढ़ती एक्टिविटी पर भी चर्चा की गई।
2015 में INS विक्रमादित्य पर PM मोदी ने कांफ्रेंस की थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर 2015 को INS विक्रमादित्य पर संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। यह पहला मौका था, जब रक्षामंत्री और तीनों सेनाओं के चीफ सहित टॉप कमांडरों का यह सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर समुद्र में हुआ था। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे।INS विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड यानी CSL ने किया है। इसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है, जिसे पहले नौसेना डिजाइन निदेशालय के रूप में जाना जाता था। ये भारतीय नौसेना का इन-हाउस डिजाइन ऑर्गेनाइजेशन है।INS विक्रांत के साथ भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन करने और उसे बनाने में सक्षम हैं। इसमें फ्यूल के 250 टैंकर और 2400 कंपार्टमेंट्स हैं। इस पर एक बार में 1600 क्रू मेंबर्स और 30 विमान तैनात हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर 2015 को INS विक्रमादित्य पर संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। यह पहला मौका था, जब रक्षामंत्री और तीनों सेनाओं के चीफ सहित टॉप कमांडरों का यह सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर समुद्र में हुआ था। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे।INS विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड यानी CSL ने किया है। इसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है, जिसे पहले नौसेना डिजाइन निदेशालय के रूप में जाना जाता था। ये भारतीय नौसेना का इन-हाउस डिजाइन ऑर्गेनाइजेशन है।INS विक्रांत के साथ भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन करने और उसे बनाने में सक्षम हैं। इसमें फ्यूल के 250 टैंकर और 2400 कंपार्टमेंट्स हैं। इस पर एक बार में 1600 क्रू मेंबर्स और 30 विमान तैनात हो सकते हैं।
Advertisements
Advertisements