राहुल ने दी चुनौती, कहा- संसद चलाना हमारी जिम्मेदारी नहीं
नई दिल्ली । कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए उसे विभिन्न मुद्दों पर बहस की चुनौती दी। राहुल ने कहा कि संसद चलाना सरकार की जिम्मेदारी है और अगर केंद्र में हिम्मत है तो उसे विपक्ष द्वारा उठाए गए सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर बहस की अनुमति देनी चाहिए। राहुल ने सरकार पर महंगाई, लखीमपुर खीरी और अन्य मुद्दों पर बहस की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा कि लोकतंत्र पर लगातार हमला हो रहा है और इसलिए हम यहां लड़ रहे हैं। उनसे सरकार के इस आरोप के बारे में पूछा गया था कि क्या विपक्ष संसद को चलने नहीं दे रहा है।
लखीमपुर खीरी मुद्दे पर चर्चा की मिले अनुमति
राहुल ने कहा, ये कैसी सरकार है जो संसद को संभालना नहीं जानती? वे महंगाई, लखीमपुर, एमएसपी, लद्दाख, पेगासस और निलंबित सांसदों जैसे मुद्दों को उठाने में हमारी आवाज को नहीं रोक सकते। अगर आपमें हिम्मत है, तो चर्चा की अनुमति दें। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकार को अपने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को हटाना चाहिए और लखीमपुर खीरी मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देनी चाहिए ताकि संसद चल सके। उन्होंने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सदन को व्यवस्थित करे और उसे चलाए न कि विपक्ष की। जाहिर है, हम चाहते हैं कि सरकार अपने मंत्री को हटा दे और लखीमपुर खीरी मुद्दे पर चर्चा की अनुमति दे। सरकार इसकी इजाजत नहीं दे रही है।उन्होंने कहा कि संसद को चलाना सरकार की जिम्मेदारी है। आप नियम देखें और पढ़ें, यह हमारी नहीं बल्कि सरकार की जिम्मेदारी है। बहस की अनुमति देना भी सरकार की जिम्मेदारी है। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाना चाहते थे, लेकिन ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि मैं लद्दाख के सभी लोगों से कहना चाहता हूं। डरो मत, जो तुम्हारा है, तुम्हें मिलेगा।
सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में नहीं पहुंचे विपक्षी दल
इससे पहले विपक्षी दल 12 राज्यसभा सदस्यों के निलंबन पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए थे। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी निलंबन के मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकलने पर चिंता और निराशा जताई। राहुल गांधी ने इससे पहले लोकसभा में एक स्थगन नोटिस दिया था जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को चराई का अधिकार देने की मांग की गई थी। राहुल ने कहा, मैंने लद्दाख के मुद्दे और वहां मेरे भाई-बहनों द्वारा अपने अधिकारों के लिए संघर्ष को उठाने के लिए एक स्थगन प्रस्ताव पेश किया था। मैं उनका समर्थन करना चाहता था और संसद में उनका मुद्दा उठाना चाहता था। दुर्भाग्य से सरकार हमें इसे उठाने की अनुमति नहीं देती है। इसलिए मैं लद्दाख में सभी को संदेश देना चाहता था कि हम आपके साथ हैं और हम आपका मुद्दा उठाने जा रहे हैं। दुर्भाग्य से सरकार हमें आपका मुद्दा उठाने की अनुमति देने में दिलचस्पी नहीं ले रही है। लद्दाख में राज्य के मुद्दे पर बहुत गुस्सा और दर्द है।