सडकों पर खड़ी होती है बस
मानपुर और बिरसिंहपुर नहीं हुई बस स्टेंड की व्यवस्था
उमरिया। शहर के बस स्टेंड की बदहाल व्यवस्था को ठीक करने की दिशा मे कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जबकि इस संबंध मे पहले के कमिश्नरों ने भी निर्देश दिए थे। कुछ वर्ष पूर्व जब कमिश्नर जेके जैन शहडोल मे पदस्थ थे तो उन्होंने कहा था कि सभी बस स्टेंड मे यात्री सुविधाओं का विस्तार किया जाए और ये सुविधाएं लोगों को मिले इसका पूरा ख्याल रखा जाए। जबकि इस दिशा में आज तक ध्यान नहीं दिया गया। जिले के बस स्टेंडो मे लोगों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
हर जगह एक ही नजारा
उमरिया शहर का नया बस स्टेंड अपनी बदहाली के लिए पूरे संभाग मे जाना जाता है। मानपुर में बस स्टेंड के नाम पर सड़क के किनारे बसें खड़ी रहती हैं। बिरसिंहपुर पाली मे तो एनएच के किनारे ही बसों को रोका जाता है और यहीं सवारियों को उतारा और चढ़ाया जाता है। इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए भी कमिश्नर ने कहा था। इतना ही नहीं तात्कालिक कमिश्नर शहडोल संभाग जेके जैन ने बस स्टैंडों को स्वच्छ और सुंदर बनाने के निर्देश दिए थे।
यह होना था
निर्देश के अनुसार बस स्टैंडों की समुचित साफ.-सफाई नियमित कराना सुनिश्चित करनी थी। बस स्टैंडों मे कचरा रखने के लिए डस्टबिन रखे जाने थ ेएस भी बस स्टैंडों मे यात्रियों के लिए स्वच्छ शौचालयों और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी थी। महिला यात्रियों के लिए यात्री प्रतीक्षालय मे आंचल कक्षों का निर्माण किया जाना था तथा आंचल कक्षा मे आने वाली महिला यात्रियों के लिए निशुल्क नेपी और सैनिटरी नैपकिन की व्यवस्थाएं जनभागीदारी से सुनिश्चित की जानी थी। जबकि यह कक्ष आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।
इस पर भी नहीं ध्यान
बस स्टैंडों मे बिकने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान देने और यात्रियों को स्वच्छ और ताजी खाद्य सामग्री उपलब्ध हो इसे दृष्टिगत रखते हुए बस स्टैंड क्षेत्रों मे खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच कराने के निर्देश भी दिए गए थे जिस पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया।
किराया वसूली मे गड़बड़ी
यह भी कहा गया था कि यात्री बस से समय पर चलें यात्रियों से निर्धारित किराया ही लिया जाए तथा यात्रियों को टिकट भी मुहैया कराया जाए। साथ ही यात्री बसों मे समुचित साफ.-सफाई हो और बस चलने लायक हो यह भी सुनिश्चित किया जाए। इस दिशा मे कभी कभार छोटी मोटी कार्रवाई कर ली जाती है जबकि बाकी समय बस संचालकों की मनमानी का शिकार यात्री होते रहते हैं।