अंतिम सांसें गिन रही जीवनदायिनी उमरार, उपेक्षा के कारण बुरी हुई गत
उमरिया। नगर को अपना नाम, पहचान और जीवन देने वाली उमरार नदी आज खुद ही अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रही है। एक ऐसा भी दौर था जब नदी का शुद्ध जल तन-बदन को तृप्त करता था। पानी की गहराई इतनी कि लोगों के लिये थाह पाना मुश्किल हो जाता। इसे दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहा जाय कि जो उमरार कई पीढिय़ों के जन्म और मोक्ष की साक्षी रही, वह अब अपने ही जीणोद्धार की आस लगाये धीरे-धीरे मुक्ति का मार्ग तलाश रही है। उमरार के पराभव के पीछे यूं तो कई कारण है, पर उनमे सबसे बड़ा जनता की असंवेदनशीलता है। अब तो हद ही हो गई है, लोगों ने घर से निकला सारा कचरा नदी के घाटों पर ही उड़ेलना शुरू कर दिया है। सरकार और उसके नुमाईन्दे हों या प्रशासन के लोग, सभी तबाही का मंजर देखते हुए मौन हैं। यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब उमरार हकीकत की बजाय किस्से और कहानियों मे सुनी जायेगी और अपनी पालनहार को भुलाने वाले ही इसके जिम्मदार होंगे।
नदी की जमीन पर कब्जा
गंदगी और प्रदूषण के अलावा उमरार नदी की सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमण है, जो उसे लीले जा रहा है। उजनिया, ज्वालामुखी, कैम्प, खलेसर से लेकर शहर की सीमा तक शायद ही ऐसा कोई इलाका होगा जहां नदी की जमीन पर अवैध कब्जा न किया गया हो। कई जगह जो किनारों के अंदर तक पक्के मकान गांस दिये गये हैं। जानकार मानते हैं कि टोप्पो शीट मे उमरार के पाटों का रकबा सैकड़ों फीट है, पर मौजूदा स्थिति इससे बिल्कुल उलट है।
स्टाप डेमों ने रोकी धार
जानकारों का मानना है कि ऊपरी इलाकों मे बिना किसी योजना के बनवाये गये स्टाप डेम, रपटा आदि के कारण उमरार की धार लुप्त हो गई है। कुछ समय पहले चपहा नाला एवं मछड़ार को उमरार मे मिलाने की बातें भी हुई थी लेकिन राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी इसमे भी आड़े आ गई। उनका कहना है कि पानी मे बाधक बन रहे स्टाप डेम और रपटों को हटाने से हालत मे कुछ सुधार आ सकता है।
जनता का सहयोग जरूरी
जब तक नागरिक संवेदनशील न हों, कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता। नगर पालिका हो या फिर सरकार, वे एक व्यवस्था बना सकते हैं। उसका अनुपालन तो लोगों को ही करना है। स्वच्छता जीवन के लिये महत्वपूर्ण है, लेकिन अभी भी यह केवल वाक्य तक ही सीमित है। ऐसा लगता है कि हम स्लोगनो से बाहर आना ही नहीं चाहते। हालत यह हो गई है कि चाहे रोड हो, नाली या फिर अन्य सार्वजनिक स्थान, सब के सब गंदगी से अटे पड़े हैं।
बनाई जा रही योजना
उमरार की हालत बेहद चिंताजनक है। इसका जीर्णोद्धार नगर पालिका की पहली प्राथमिकता है। इसके लिये एक वृहद योजना तैयार कर शासन को भेजी जा रही है। इसके तहत विभिन्न स्थानों पर फिल्टर प्लांट स्थापित किये जायेंगे। जिनके जरिये नालों के गंदे पानी को साफ कर वापस नदी मे डाला जायेगा। योजना मे उमरार की सफाई और घाटों का सौदर्यीकरण भी शामिल। जिसकी स्वीकृति मिलने के बाद जीवनदायिनी का नया स्वरूप देखने को मिलेगा।
श्रीमती रश्मि सिंह
अध्यक्ष
नगर पालिका परिषद, उमरिया
संवेदनहीनता की हद, नदी मे उड़ेल रहे गंदगी
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