संविधान नहीं कुरान पर विश्वास

संविधान नहीं कुरान पर विश्वास
अहमदाबाद ब्लास्ट मामले मे सजा पर बोला सफदर नागोरी, भोपाल मे बंद हैं 6 आतंकी
नई दिल्ली। अहमदाबाद बम ब्लास्ट-2008 मामले मे सजा का ऐलान होने के बाद भी मप्र की भोपाल जेल मे बंद सिमी के दुर्दान्त आतंकी सफदर नागोरी के तेवर ढीले नहीं पड़े हैं। फांसी की सजा की खबर मिलने के बाद भी नागौरी नॉर्मल दिख रहा है। उसने जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे से कहा कि संविधान हमारे लिए मायने नहीं रखता, हम कुरान का फैसला मानते हैं। गौरतलब है कि विशेष अदालत ने इस मामले मे लिप्त 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें से (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के 6 आतंकी भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद हैं। इनमें ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी भी शामिल है। नरगावे के मुताबिक, केंद्रीय जेल भोपाल में 5 साल पहले जब नागौरी को शिफ्ट किया गया था, तब वह जेल अधिकारियों-कर्मचारियों को खुलेआम धमकी देता था कि तुम्हारी इतनी औकात नहीं है, जो हमें ऑर्डर करो। वह राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रगान के दौरान अजीब हरकतें करता है। अधिकारियों को बोलता है कि हम देशभर की जेल में घूम चुके हैं। जेल का कायाकल्प कर दूंगा…। वो कई बार भोपाल की जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट करने के लिए कोर्ट में पिटीशन भी लगा चुका है। उसे भोपाल जेल में अलग बैरक में रखा जाता है। नागौरी प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का राष्ट्रीय महासचिव रहा है।
14 साल बाद हुआ सजा का ऐलान
अहमदाबाद मे 2008 में हुए बम धमाकों के दोषियों को 14 साल बाद आखिरकार सजा मिल गई। गुजरात की विशेष अदालत ने इस सीरियल बम ब्लास्ट के 38 दोषियों को सजा-ए-मौत दी है। वहीं 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट की अवधि में हुए 20 से ज्यादा बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिला कर रख दिया था। इन हमलों मे 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक घायल हुए थे। पुलिस ने दावा किया था कि आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े लोगों ने साल 2002 में गुजरात दंगों (गोधरा कांड) का बदला लेने के लिए इन हमलों को अंजाम दिया था, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग मारे गए थे।
कौन है इंडियन मुजाहिदीन
बताया जाता है कि 26 जुलाई 2008 को ब्लास्ट से पांच मिनट पहले कई मीडिया संगठनों को इंडियन मुजाहिदीन नाम के एक संगठन से ईमेल मिला था, जिसमें कहा गया जो चाहो कर लो, रोक सकते हो तो रोक लो। इस ईमेल ने सबको चौंका दिया था। कथित तौर पर आईएम के इस ईमेल मे 2002 के गुजरात दंगों, और 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने की बात कही गई। आईएम ने लश्कर-ए-तैयबा से बम विस्फोटों की जिम्मेदारी नहीं लेने का अनुरोध किया था। अब तक इस संगठन का नाम बहुत ज्यादा नहीं सुना गया था। हालांकि कहा जाता है कि इस संगठन ने साल 2007 में मीडिया के जरिए भारत में अपनी उपस्थिति का एलान किया था।
फैंसले करे चुनौती का विकल्प
अहमदाबाद विस्फोट मामले मे सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एआर पटेल ने 8 फरवरी को फैसला सुनाते हुए 49 आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने 77 में से 28 आरोपियों को बरी कर दिया था। अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट से सभी दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की गई थी। वहीं बचाव पक्ष ने कम से कम सजा की अपील कोर्ट की थी। हालांकि अदालत ने 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई। इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

 

 

 

 

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