संरक्षित होंगे जिले के जल स्त्रोत

कलेक्टर की अध्यक्षता मे वेटलैण्ड समितियों का गठन, जनजागरण की भी तैयारी
बांधवभूमि, उमरिया
शासन ने जल स्त्रोंतो के संरक्षण और विकास के लिये विशेष कार्ययोजना तैयार कर इसे लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिये कलेक्टरों की अध्यक्षता मे वेटलैण्ड संरक्षण समितियों का पुनर्गठन किया गया है। जिसमे ग्रामीण क्षेत्रों के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, जबकि शहरी इलाकों के लिये मुख्य नगर पालिका अधिकारी सदस्य सचिव होंगे। अन्य सदस्यों मे जिला वन मण्डलाधिकारी, जिला भू-बंदोबस्त अधिकारी, अधीक्षण या कार्यपालन या सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय और जल-संसाधन विभाग, संयुक्त संचालक या उप संचालक, सहायक संचालक नगर तथा ग्राम निवेश, कृषि, मछली-पालन, क्षेत्रीय अधिकारी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य वेटलैण्ड प्राधिकारण एप्को के अधिकारी होंगे।
यह दी गई जिम्मेदारी
जिला वेटलैण्ड संरक्षण समिति जिला स्तर पर तालाबों के समग्र संरक्षण और प्रबंधन के संबंध मे समुचित कार्यवाही करने के सांथ राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण की सहयोगी इकाई के रूप मे कार्य करेगी। इसके अलावा समिति को जिले मे वेटलैण्ड नियम-2017 का प्रभावी क्रियान्वयन, राज्य और केन्द्र शासन द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन, मूल्यांकन और निगरानी मे राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण के सहयोग की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
तैयार होगा डाटाबेस
सूत्रों के अनुसार वेटलैण्ड समिति द्वारा जिले के तालाबों की समस्त जानकारी एकत्र कर डाटाबेस तैयार किया जायेगा। उसके संधारण के लिये भी वही उत्तरदायी होगी। समिति जिले मे तालाबों के संरक्षण से जुड़े संबंधित विभागों और हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करने तथा चिन्हित डिजिटल वेटलैण्ड इन्वेंट्री के अनुसार तालाबों की पहचान एवं मैदानी स्तर पर पुष्टि भी करेगी। वहीं विश्व वेटलैण्ड दिवस, विश्व जल दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस आदि विशेष अवसरों पर तालाब, नदी, अन्य जल-स्रोतों, प्राकृतिक संसाधनों के पर्यावरणीय संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के लिये लोगों को जागरूक करने प्रशिक्षण और क्षमता विकास के कार्यक्रम आयोजित करेगी।
तालाबों का होगा कायाकल्प
सरकार की यह योजना जिले के लिये भी काफी कारगर साबित होगी। उपेक्षा के कारण जलाशय और नदी-नाले अपना अस्तित्व खो चुके हैं। किसी जमाने मे जहां अथाह जलराशि क्षेत्र की सुंदरता मे चार चांद लगाती थी, वहां अब मैदान दिखाई देते हैं। अधिकांश नदी और तालाबों की जमीन अतिक्रमण लील चुका है। कई जगहों पर तो बड़ी-बड़ी कालोनियां खड़ी हो गई हैं। इसी की वजह से जिले का जल स्तर तेजी से पाताल पहुंच रहा है। वेटलैण्ड समितियों के गठन और क्रियान्वयन से एक बार तालाबों, नदियों के दिन बहुरने की उम्मीद बढ़ गई है।

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