संगातावि केन्द्र की एक और इकाई ठप्प
करोड़ों रूपये का मेंटीनेन्स कराने के बाद भी सुचारू नहीं हो रहा प्लांट
बांधवभूमि, तपस गुप्ता
बिरसिंहपुर पाली। स्थानीय संजय गांधी ताप विद्युत गृह की इकाईयों मे गड़बडिय़ों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि करोड़ों रूपये के खर्च और महीनो तक मेंटीनेन्स के बाद चालू हो रही इकाईयां हफ्ते-दो हफ्ते मे ही ठप्प हो जा रही हैं। विगत दिवस प्लांट की 210 मेगावाट क्षमता वाली एक और यूनिट बंद हो गई। इस यूनिट को पहले 50 प्रतिशत अर्थात 110 मेगावाट क्षमता पर चलाया जा रहा था। इस मामले मे संजय गांधी ताप विद्युत गृह के चीफ इंजीनियर हेमंत संकुले भले ही यह कह रहे हैं कि इकाई को ठीक कर जल्दी ही चालू कर दिया जायेगा, परंतु इसके बंद होने से चालू होने तक जो नुकसान कम्पनी को होगा, उसके लिये कौन जिम्मेदार है, के संबंध मे अधिकारी कुछ भी नहीं बोल रहे।
जलता है लाखों का आयल
उल्लेखनीय है कि ताप विद्युत गृह की कोई भी इकाई यदि बंद होती है तो उसमे जहां लाखों रूपये का उत्पादन प्रभावित होता है। एक बड़ी राशि मरम्मत पर खर्च होती है। वहीं यूनिट को दोबारा चालू करने पर हजारों लीटर फर्नेस ऑयल जलाना पड़ता है जिसकी कीमत भी लाखों मे होती है। जानकारों का मानना है कि प्लांट के अधिकारियों की दिलचस्पी बिजली उत्पादन से कहीं ज्यादा, मशीनो की खराबी और उसे सुधरवाने मे है। मेंटीनेन्स मे लगने वाली सामग्री हो या फर्नेस आयल की खरीदी। इसी मे लाखों का वारा-न्यारा होता है।
मात्र 573 मेगावाट उत्पादन
संजय गांधी ताप विद्युत गृह की कुल क्षमता 1340 मेगावाट है, जबकि इस समय यहां मात्र 573 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। बताया जाता है कि प्लांट की 210 मेगावाट की दो नंबर और तीन नंबर यूनिट ठप्प पड़ी हुई है। इनकी मरम्मत जारी है, यह कब पूरी होगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
भ्रष्टाचार की कामधेनु
210 मेगावाट की एक नंबर यूनिट 2 महीने 10 दिन की ओवरहालिंग के बाद शुरू की गई थी जो चौथे दिन फिर बंद हो गई थी। इससे पहले प्लांट की सबसे बड़ी 500 मेगावाट वाली यूनिट भी महीनो मरम्मत के बाद चालू हुई परंतु कुछ समय बाद बंद हो गई थी। यूनिटों के लगातार बंद होने और मेंटीनेन्स के नाम पर उड़ाये जा रहे करोड़ों रूपयों की वजह से संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र लंबे समय से चर्चाओं मे है। जानकारों का मानना है कि यह प्लांट ऊपर से नीचे तक बैठे अधिकारियों के लिये कामधेनु बन चुका है। यही कारण है कि अरबों रूपये के घोटालों के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
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