श्रीलंका मे संकट, भागे राष्ट्रपति

इमरजेंसी मीटिंग के बाद पीएम का भी इस्तीफा, प्रेसिडेंट हाउस पर जनता का कब्जा
कोलंबो । श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर सरकार का विरोध जारी है। प्रदर्शनकारियों ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी घर में आग लगा दी है। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 6 पत्रकारों समेत 64 लोगों के घायल होने की खबर है। इससे पहले शनिवार दोपहर आंदोलनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सरकारी आवास पर कब्जा कर लिया। राजपक्षे प्रेसिडेंट हाउस छोड़कर भाग गए हैं। वे कहां हैं, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं हैं। वह श्रीलंका में हैं भी या नहीं, यह भी साफ नहीं है। वे 13 जुलाई को अपना इस्तीफा देंगे। राष्ट्रपति भवन पर जनता के कब्जे के बाद दबाव बढ़ा तो प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। इस्तीफे से पहले PM ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी, जिसमें असेंबली स्पीकर महिंदा यप्पा अभयवर्धने को अंतरिम राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव रखा। श्रीलंकाई संविधान के अनुसार- राष्ट्रपति इस्तीफा दे, तो स्पीकर एक महीने के लिए अंतरिम राष्ट्रपति बन सकते हैं। श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ लंबे वक्त से ‘Gota Go Gama’ और ‘Gota Go Home’ आंदोलन जारी है। सिंहली भाषा में गामा का मतलब गांव होता है। प्रदर्शनकारियों ने एक जगह जमा होकर तंबू लगाए और गाड़ियों के हार्न बजाकर राष्ट्रपति और सरकार के खिलाफ गोटा-गो-गामा का नारा बुलंद किया।इनका मकसद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर करना था। इसी बीच राष्ट्रपति गोटबाया की तरफ से कहा गया है कि वो पार्टी के फैसले का सम्मान करेंगे। गोटबाया के खिलाफ इतना ज्यादा आक्रोश है कि पेट्रोल का पैसा नहीं होने पर लोगों पैदल ही प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे।
राष्ट्रपति से मिला श्रीलंका का बार काउंसिल
देश में बढ़ते अराजक माहौल के बीच बार काउंसिल ऑफ श्रीलंका ने राष्ट्रपति गोटबाया से मुलाकात की है। काउंसिल ने राष्ट्रपति से पूछा है कि अब जब उनके सचिवालय और घर पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो गया है तो क्या ऐसे में वो अपनी ड्यूटी निभा पाएंगे?
गॉल के बाहर पहुंच प्रदर्शनकारी
प्रर्दशनकारियों का जत्था गॉल में चल रहे ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका मैच के स्टेडियम के बाहर तक पहुंच गया है। पूर्व लंकाई क्रिकेटर सनथ जयसूर्या भी प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल हैं। वहीं, राजधानी कोलंबो में आंदोलन उग्र हो गया है। पुलिस के साथ झड़प में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बिगड़ते हालात को लेकर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है।
आर्मी कर रही पेट्रोल पंप की निगरानी
श्रीलंका में आम लोगों की रोज पुलिस, आर्मी और एयरफोर्स के साथ झड़पें हो रही हैं, क्योंकि यहीं पेट्रोल पंप की निगरानी कर रहे हैं। स्कूल-कॉलेज, अस्पताल बंद पड़े हैं। लिहाजा युवक घर पर अपने परिवार को बेबस जूझते हुए देखने पर मजबूर हैं।
गैस की कमी से लोग घरों में लकड़ी का चूल्हा जलाने को मजबूर
केमिकल फर्टिलाइजर पर बैन के चलते देश में खाद्य संकट पैदा हो गया है। गैस की कमी के कारण लोग घरों में चूल्हा जला रहे हैं। श्रीलंका के मध्यमवर्गीय परिवारों ने भी अपने भोजन की खपत को कम कर दिया है, क्योंकि वे इतनी महंगी खाद्य सामग्री लेने से कतरा रहे हैं।मई में जो महंगाई 39.1% थी, वो जून में बढ़कर 54.6% हो गई है। अगर सिर्फ खाद्य महंगाई को देखें तो मई में जो 57.4% थी, वो जून में बढ़कर 80.1% हो गई है।
आजादी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट
श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा से जुड़ी चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं या कई गुना महंगी मिल रही हैं। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है, जिससे वो जरूरी चीजों का भी आयात नहीं कर पा रहा है। सबसे ज्यादा ईंधन की कमी है। पेट्रोल-डीजल के लिए कई किलोमीटर लंबी लाइनें हैं। विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
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