शीतलहर व पाले से इस तरह से बचाएं फसल

शहडोल/सोनू खान।
शीत लहर एवं पाले से फसल को खासा नुकसान हो सकता है। उप संचालक कृषि आर पी झारिया ने जिले के किसानो को पाले से बचाने की समझाईस देते हुए बताया कि शीतलहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है। टमाटर, मिर्च, बैंगन आदी सब्जियों पपीता एवं केले के पौधों एवं मटर, चना, मसूर, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, फसलों नुकसान हो सकता है। अरहर में ७० प्रतिशत, गन्ने में ५० प्रतिशत एवं गेहूं तथा जौ में १० प्रतिशत से २० प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। पाला दो तरह का होता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया है कि पाला दरअसल दो तरह का होता है। पहला एडवेक्टिव और दूसरा रेडिएटिव अर्थात विकिरण आधारित। एडवेक्टिव पाला तब पड़ता है जब ठंडी हवाएं चलती है। ऐसी हवा की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है। इस अवस्था में आसमान खुला हो या बादल हों, दोनों परिस्थितियों में एडवेक्टिव पाला पड़ सका है। परन्तु जब आकाश बिलकुल साफ हो और हवा शांत हो, तब रेडिएटिव प्रकार का पाला गिरता है। शीतलहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय के संबंध में उप संचालक कृषि श्री झारिया ने बताया कि पाले से फसलों की सुरक्षा जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो उस रात १२ से २ बजे के आस-पास खेत की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई हुई फसल के आसपास, मेड़ों पर रात्रि में कूड़ा-कचरा या अन्य व्यर्थ घास-फूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुआं हो जाए एवं वातावरण में गर्मी आ जाए। धुआं करने के लिए उपरोक्त पदार्थों के साथ क्रूड ऑयल का प्रयोग भी कर सकते हैं। इस विधि से ४ डिग्री सेल्सियस तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है।

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