शहीद पति को देखकर पत्नी ने किया सैल्यूट

बेटी बोली- पापा ने हमसे ज्यादा टाइम ड्यूटी को दिया, 6 दिन किसी ने नहीं पूछा

सीकर/बाड़मेर। अफ्रीका के कांगो (डीआर) में प्रदर्शनकारियों के हमले में शहीद हुए राजस्थान के दो BSF जवानों की पार्थिव देह सोमवार को उनके पैतृक गांव पहुंची। तिरंगा यात्रा के साथ उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए दोनों के गांवों में हजारों लोग जुटे। शहीद शिशुपाल का पार्थिव शरीर देख पत्नी कमला देवी वंदे मातरम के नारे लगाने लगीं। फिर भावुक हो गईं। उन्होंने पति के करीब जाकर उन्हें सैल्यूट किया। बाड़मेर निवासी हेड कॉन्स्टेबल सांवलाराम विश्नोई (45) की पार्थिव देह को सोमवार सुबह BSF के 83 सेक्टर में श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद पार्थिव देह बाड़मेर में शहीद सर्किल, चौहटन सर्किल, कुर्जा फांटा, सनावड़ा, मेहलू होते हुए गुढ़ामलानी स्थित उनके पैतृक गांव बांड पहुंचा। राष्ट्रीय सम्मान के साथ शहीद काे शाम करीब 5 बजे दफनाया गया।इससे पहले सीकर निवासी हेड कॉन्स्टेबल शिशुपाल सिंह (45) का पार्थिव शरीर उनके गांव बागड़ियों का बास पहुंचा। शिशुपाल को देखकर पूरा परिवार भावुक हो गया। घर से अंतिम यात्रा अंत्येष्टि स्थल पहुंची और बेटे प्रशांत ने उन्हें मुखाग्नि दी।शहीद शिशुपाल की बेटी कविता ने कहा- मेरे पापा ने हमसे ज्यादा समय अपनी नौकरी को दिया। पापा की शहादत के बाद हम लोग 6 दिन तक जयपुर में रहे, लेकिन हमें कोई भी पूछने के लिए नहीं आया। यहां तक कि हमें यह भी नहीं बताया गया कि पापा की पार्थिव देह कब आएगी। पापा की कांगो में शहादत के मामले की जांच होनी चाहिए। साथ ही, जो सैनिक ड्यूटी में लगे रहते हैं, उनकी भी सुरक्षा की जिम्मेदारी होनी चाहिए।शिशुपाल की वीरांगना कमला देवी ने कहा- मुझे गर्व है कि मेरे पति ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में शहादत दी है। हमारे परिवार के 11 लोग देश सेवा में शामिल हैं। उन्हें सबसे बड़ा दुख इस बात का है कि पति की मौत के 6 दिन में कोई भी जनप्रतिनिधि उनसे मिलने के लिए नहीं आया। यहां तक कि पीसीसी चीफ और लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने भी हमारी कोई सुध नहीं ली।वीरांगना ने कहा- मेरी केंद्र और राज्य सरकार से मांग है कि देश के सैनिकों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए। साथ ही मेरे पति जो शांति मिशन में इस तरीके से शहीद हुए हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
डोटासरा बोले- परिवार को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा- इस परिवार के लिए सभी राजनीतिक दल एक साथ खड़े हैं। शहीद परिवार को किसी भी तरीके की कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा- मैं कोविड पॉजिटिव था। ऐसे में नहीं आ सका। गांव के स्कूल का नामकरण शहीद शिशुपाल किया जाएगा। साथ ही शहीद की बेटी कविता जो डॉक्टर है, जिसकी बात को ध्यान में रखते हुए पीएचसी खोली जाएगी। पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष ने शहीद की मूर्ति बनवाने की घोषणा की है।
केंद्रीय मंत्री और सेना के अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
इससे पहले रविवार सुबह सांवलाराम विश्नोई निवासी बाड़मेर और शिशुपाल बगड़िया की पार्थिव देह नई दिल्ली पहुंची। वहां केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और सेना के अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद लक्ष्मणगढ़ के बागड़ियों का बास के शिशुपाल बगड़िया की पार्थिव देह को सड़क के रास्ते पहले बलारां पुलिस थाना लाया गया। बाड़मेर के सांवलाराम विश्नोई की पार्थिव देह दिल्ली से हवाई मार्ग के जरिए जोधपुर लाई गई। यहां से बाड़मेर लाया गया।
7 दिनों से कर रहे थे इंतजार
शहीद के परिवार के लोग बीते 7 दिनों से पार्थिव देह का इंतजार कर रहे थे। परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था। गांव के लोगों का कहना है कि हमें दुख होने के साथ गर्व भी है कि देश के साथ विश्व की सेवा करते शहीद हुए हैं।संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में अफ्रीका के कांगो (डीआर) में 26 जुलाई को प्रदर्शनकारियों ने सेना पर हमला बोल दिया था। अन्य जवानों के साथ ही सीमा सुरक्षा बल (BSF) में तैनात 2 जवान भी शहीद हुए थे। ये दोनों बाड़मेर के हेड कॉन्स्टेबल सांवलाराम विश्नोई और सीकर के हेड कॉन्स्टेबल शिशुपाल सिंह थे।
Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *