करौंदिया हार मे बनाई टेरीटोरी, कल भी किया गाय का शिकार
उमरिया। शहर की सरहद पर पिछले कई दिनो से चहलकदमी कर रहे बाघ ने बीते शनिवार की रात गाय का शिकार कर एक बार फिर अपनी मौजूदगी का एहसास कराया है। कल सुबह चपही नाला के पास डोमारी चौधरी के खेत मे पाये गये गाय के शव ने किसानो की पेशानी पर एक बार फिर बल खींच दिये। बताया जाता है कि गाय को किल करने और पीछे से थोड़ा बहुत खाने के बाद बाघ उसे वहीं छोड़ कर चला गया। जानकार मानते हैं कि बाघ अभी भी आसपास ही है और वह अपना शिकार खाने फिर जरूर आयेगा। बीते करीब दस दिनो के दौरान बाघ द्वारा पालतू पशुओं को मारने की यह तीसरी घटना है। इसके बावजूद वन विभाग इसे गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है।
एक नहीं पांच-पांच बाघ
बांधवगढ़ के बफर जोन से लगे चिर्रवाह से उमरिया नगर के वार्ड नंबर नौ मे करौंदिया हार तक लगभग 12 किलोमीटर क्षेत्र मे बाघों की लगातार आवाजही ने यहां के किसानों को दहशत में डाल दिया है। उनका दावा है कि इस पूरे इलाके मे अलग-अलग पांच स्थानों पर पांच बाघ सक्रिय हैं। इस मामले मे सामान्य वन मंडल के डीएफओ आरएस सिकरवार का कहना है कि बाघ आया
था और घूमकर चला गया। यह उनका क्षेत्र है और वे यहां आते-जाते रहते हैं।
नहीं चेत रहा वन विभाग
उल्लेखनीय है कि करौंदिया हार मे पिछले एक सप्ताह से बाघ होने के निशान पाए जा रहे हैं लेकिन अभी तक वन विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। विभाग द्वारा न तो बाघ की तलाश की गई है और न ही लोगों को सुरक्षित रहने के कोई उपाय ही बताए हैं। शनिवार को उमरिया शहर के निकट सक्रिय बाघ ने चिर्रवाह मे एक युवती पर भी हमला कर दिया था। इस बात की पुष्टि स्वयं वन विभाग के एसडीओ आरएन द्विवेदी ने की थी। उन्होंने बताया कि बाघ ने जंगल मे किसी काम से गई युवती की पीठ पर पंजा मार दिया था जिससे वह घायल हो गई थी। हालांकि आसपास के किसानों का कहना है कि चिर्रवाह में युवती पर हमला करने वाला बाघ दूसरा था क्योंकि यहां रात में भी बाघ ने एक भैंस का शिकार किया है।
एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी
ज्ञांतव्य हो कि दोनों घटना स्थलों मे लगभग 10 किलोमीटर का फांसला है जिससे यही लगता है कि चिर्रवाह के पास कोई दूसरा बाघ सक्रिय है। वहीं अब एक नई जानकारी यह सामने आ रही है कि वहीं पर बाघों का पूरा कुनबा मंडरा रहा है। शहर के निकट बाघ के सक्रिय होने के बाद भी वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने से इंसानो के अलावा बाघों का जीवन भी संकट मे पड़ सकता है। मजे की बात यह है कि इस मामले मे कुछ करने की बजाय सामान्य वन मण्डल के अधिकारी वन विकास निगम और वन विकास निगम के अधिकारी नेशनल पार्क पर जिम्मेदारी डालने मे लगे हुए हैं।