जिला मुख्यालय मे नहीं रूकती 14 जोड़ी ट्रेने, अस्त-व्यस्त हुई रेल सेवायें
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के यात्री हलांकि अब दुर्दशा के उच्च स्तर पर जा पहुंची रेल सेवाओं की पीड़ा सहने के आदी हो चुके हैं। ट्रेनो के घंटों लेट होने से लेकर उनकी अचानक और अकारण निरस्तगी लोगों को अब ज्यादा परेशान नहीं करती, लेकिन स्टेशन मास्टर के कमरे मे टंगी एक सूची उन्हे शर्मिन्दा जरूर कर देती है। इस सूची मे उन 28 गाडिय़ों का जिक्र है, जिनका स्टापेज उमरिया मे आज तक नहीं हो पाया। यह लिस्ट उन नाकारा नुमाईन्दों की नाकामी को दर्शाती है, जिन्होने कभी ट्रेनो को रोकने की ईमानदार पहल नहीं की। हां, भाग्य से यदि इस रूट पर कोई नई गाड़ी खुली तो ये महोदय सोशल मीडिया पर सक्रिय जरूर हो उठते हैं, और इसे अपनी मेहनत का नतीजा बता कर श्रेय लेने मे कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते। एक समय वह भी था जब तहसील मुख्यालय होने के बावजूद कोई भी ट्रेन बिना रूके उमरिया से नहीं गुजरती थी। अब नई कोई सौगात तो दूर, रेल प्रशासन पहले से मिल रही सुविधाओं को ही छीनने मे जुटा हुआ है, और जनता के कर्णधार मौन रह कर यह चीरहरण देख रहे हैं।
कानपुर-दुर्ग भी नहीं रूकी
जिला मुख्यालय मे नहीं रूकने वाली वे ट्रेने हैं, जिनके जरिये नागरिक लखनऊ, रायपुर, उदयपुर, शालीमार, विशाखापत्तनम, बलसाड़, बीकानेर, सांतरागाछी जैसे कई महत्वपूर्ण शहरों तक सीधी यात्रा कर सकते हैं। ट्रेनो का स्टापेज नहीं होने से जिले का पर्यटन और रोजगार प्रभावित होने के सांथ ही यात्रियों को इन्हे पकडऩे के लिये कटनी या शहडोल की दौड़ लगानी पड़ती है। इनमे 18203 दुर्ग-कानपुर एवं 18204 कानपुर-दुर्ग भी शामिल है, जो कोरोना महामारी से पहले तक उमरिया मे रूकती थी, परंतु आपदा मे अवसर तलाश कर रेलवे ने इस गाड़ी का स्टापेज भी समाप्त कर दिया है।
चंदिया-चिरीमिरी भी बंद
रेलवे ने गरीबों की गाड़ी के नाम से जानी जाती कई ट्रेनो का संचालन मनमाने तरीके से बंद कर दिया है। इनमे चंदिया चिरीमिरी शामिल है। जबकि रोजाना चलने वाली 11751-52 चिरीमिरी-बिलासपुर-चिरीमिरी को सप्ताह मे तीन दिन कर दिया है। रेलवे की कार्यप्रक्रिया और जनता की कृपा से दिल्ली दरबार पहुंचे जनप्रतिनिधियों के रूख से जिले मे निराशा का वातावरण है। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव मे इस मुद्दे पर भी सवाल उठेंगे, जिनका जवाब देना हुक्मरानो के लिये आसान नहीं होगा।
एक ही टाईम पर आ जाती हैं ट्रेने
कटनी-बिलासपुर मार्ग अब महज उद्योगपतियों का कोयला निकालने का जरिया बन गया है। इसके चलते रेलवे ने यात्रियों की फिक्र छोड़ दी है। आनन-फानन मे गुड्स ट्रेनो को दौड़ाया जा रहा है। इसके अलावा दो-दो मालगाडिय़ों को जोड़ कर हॉलपैक चलाई जा रही है। इसकी वजह से यात्री गाडिय़ों को घंटों खड़ा कर दिया जा रहा है। लेट-लतीफी के कारण एक-डेढ़ घंटे अंतर से चलने वाली गाडिय़ां एक सांथ स्टेशन पर पहुंच जाती है। उमरिया मे कई दिनो से चिरीमिरी-कटनी, अंबिकापुर-जबलपुर तथा कटनी-बिलासपुर मेमो तीनो गाडिय़ां आगे पीछे चल रही हैं।
शर्मिन्दा कर रही नुमाईन्दों की नाकामी
Advertisements
Advertisements