व्यापारियों का दवा, जब से बाबा रामदेव ने कम्पनी खरीदी तब से अनियंत्रित हुई रिफाईन की कीमतें

व्यापारियों का दवा, जब से बाबा रामदेव ने कम्पनी खरीदी तब से अनियंत्रित हुई रिफाईन की कीमतें
हांथ से छिटकने लगा तेल
चार दिन मे 12 रूपये बढ़े कुकिंग आईल के दाम, जनता परेशानी मे
उमरिया। कोरोना काल मे आर्थिक रूप से टूट चुके लोगों के लिये मंहगाई अब सचमुच एक डायन बन गई है। बीते एक साल के अंदर पेट्रोल, डीजल के बाद अगर किसी चीज ने जनता को सबसे ज्यादा परेशान किया है तो वह है सोयाबीन और राई का तेल। इस दौरान इन दोनो के दाम 100 प्रतिशत तक बढ़ गये, परंतु सरकार ने इसका कारण जानने का प्रयास करना तो दूर एक बयान तक जारी नहीं किया। पिछले तीन-चार दिनो मे ही सोयाबीन और राई के तेल की कीमतों मे 12 रूपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई है। बाजार की पड़ताल से पता चला है कि बीते बुधवार को जिले मे जो राई का तेल और सोयाबीन 140 रूपये प्रति लीटर बिक रहा था वह कल शनिवार को बढ़ कर 152 रूपये हो गया। इसी दरम्यिान राहर दाल भी उछल कर 151 रूपये किलो हो गई, जिसके दाम पिछले साल मात्र 90 रूपये थे। जानकार बताते हैं कि ऐसा कोई हफ्ता नहीं है, जब कुकिंग आयल के दाम न बढ़े हों। यह दौर कब थमेगा और आखिरकार जनता का क्या हश्र होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
मंहगाई ने बिगाड़ा रसोई का स्वाद
खाद्य वस्तुओं की बेतहाशा बढ़ती कीमतों ने लोगों की रसोई का स्वाद बिगाड़ दिया है। महामारी के कारण रोजगार खो चुके गरीब, मजदूर और विशेषकर मध्यम वर्ग के सामने तो जीवन-यापन का संकट खड़ा हो गया है। वहीं मंहगाई से किराना व्यवसायी भी कम परेशान नहीं हैं। उनका कहना है कि दाम बढऩे से उन्हे भी व्यापार मे ज्यादा पैसा लगाना पड़ता है। पहले वे अपने यहां 20 टीन तक तेल की स्टॉकिंग आराम से कर लेते थे, परंतु अब 2-3 टीन से ज्यादा की हिम्मत नहीं है। यही हाल ग्रांहकों का है, पिछले साल तक जो लोग 10 या 5 लीटर कुकिंग आयल खरीद कर ले जाते थे, वे अब बमुश्किल किलो, आधा किलो और पाव तक आ गये हैं।
कभी उमरिया की पहचान था राई का तेल
राई का (कड़वा) तेल स्वास्थ्य के लिये लाभदायक और प्रतिरोधी गुणों से भरपूर माना जाता है। कई वर्षो तक यह उमरिया जिले की पहचान रहा है। एक समय तो इसकी सप्लाई देश के कई राज्यों को की जाती थी। उस दौरान बांधवगढ़ तहसील मे बढ़े पैमाने पर राई का उत्पादन होता था। नगर मे ही दर्जनो आयल मिल 24 घंटें राई की पेराई करती थी। इन कुटीर उद्योगों मे हजारों लोगों को रोजगार मिलता था, परंतु ज्यादा लागत और मेहनत, दाम कम होने तथा सरकारी प्रोत्साहन के आभाव मे किसानो ने राई की खेती ही बंद कर दी। जिससे एक फलता-फूलता उद्योग समाप्त हो गया।
बाबा रामदेव ने खरीद ली सोयाबीन की फैक्ट्री
वहीं सोयाबीन तेल के दाम बढऩे के पीछे वाणिज्यिक जानकार एक अलग ही तर्क दे रहे हैं। उन्होने बताया कि देश मे वृहद उत्पादन करने वाली रूचि सोया कम्पनी बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि ने खरीद ली है। यह कम्पनी मूलत: महाकोष कुकिंग आयल तथा अन्य सोयाबीन उत्पादों का निर्माण और विक्रय करती है। सूत्रों का दावा है कि जिस दिन से रामदेव ने यह कम्पनी खरीदी है, सोयाबीन तेल के दामो मे पर लग गये हैं।

 

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