विकास और जन-कल्याण गतिविधियों के क्रियान्वयन की निगरानी मे जन-भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक

सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता मे हुई राज्य स्तरीय दिशा समिति की बैठक

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मनरेगा योजना, अमृत सरोवरों के निर्माण, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी विकास और जन-कल्याण की गतिविधियों के क्रियान्वयन तथा प्रभावशीलता की निगरानी में जन-भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसमें जन-प्रतिनिधियों को भी अपना दायित्व निभाना होगा। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं की निगरानी और समीक्षा के लिए राज्य तथा जिला स्तर पर गठित दिशा समितियों की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री चौहान मंत्रालय में राज्य स्तरीय दिशा समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद डॉ. के.पी.एस. यादव, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उपलब्ध बजट पर ही सड़क निर्माण आरंभ करें, अधूरी सड़कों से लोगों को परेशानी न हो
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मनरेगा में सृजित मानव दिवसों की संख्या में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास किए जाएँ। सामुदायिक कार्यों के क्रियान्वयन तथा भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है। प्रयास यह हो कि शत-प्रतिशत भुगतान आधार आधारित हो। सड़क निर्माण के कार्य बजट उपलब्धता के आधार पर ही आरंभ किए जाएँ। यह सुनिश्चित करें कि जो सड़क निर्माण आरंभ हों, उसे अधूरा न छोड़ा जाए, अधूरी सड़कों के कारण लोगों को परेशानी न हो। जानकारी दी गई कि मनरेगा में अनुसूचित जनजाति को रोजगार देने में मध्यप्रदेश, देश के अग्रणी राज्यों में है।
दिशा समिति में की जाती है 43 योजनाओं की समीक्षा
केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं की निगरानी और समीक्षा के लिए जिला और राज्य स्तर पर दिशा समितियों के गठन की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री राज्य स्तरीय समिति के अध्यक्ष तथा जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष जिला क्षेत्र से निर्वाचित लोक सभा सांसद हैं। राज्य स्तरीय समिति की बैठक प्रत्येक 6 माह तथा जिला स्तरीय समिति की बैठक प्रत्येक 3 माह में होना आवश्यक है। वर्ष 2015-16 से अब तक जिलों में दिशा समिति की 445 बैठकें हो चुकी हैं। समिति में विभिन्न विभागों की 43 योजनाओं की समीक्षा की जाती है।

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