जगह-जगह छोड़ा काम, लापरवाही के चलते आये दिन हो रही दुर्घटनायें
बांधवभूमि, उमरिया
जिले से संभाग मुख्यालय शहडोल के बीच स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग – 43 के अंतर्गत बन रही सड़क का निर्माण कार्य वर्षो बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है। ठेकेदार द्वारा मनमाने तौर पर बीच-बीच मे दर्जनो स्थानो पर काम छोड़ दिया गया है, जहां अब तक अनेक दुर्घटनाएं घटित हो चुकी हैं। जिनमे कई लोगों को अपनी जानें गवांनी पड़ी है। रास्ते मे पडऩे वाले घोरछट, जोहिला आदि नदियों के अलावा कई छोटे-छोटे नदी-नालों पर पुल बांधने का कार्य चल ही रहा है। जहां पुल बन गये हैं, वहां पर सड़क को नहीं जोड़ा जा सका है। सूत्रों का मानना है कि पुलों के अलावा कई कस्बों मे बायपास भी बनाये जाने हैं। निर्माण की मंथर गति को देखते हुए नहीं लगता कि आने वाले दो-चार साल तक उमरिया-शहडोल मार्ग का निर्माण पूरा हो सकेगा।
मंत्री गड़करी के दावों पर फिर रहा पानी
जनता के बीच अच्छी छवि के लिये जाने जाते भारत सरकार के सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी अपने भाषणों मे हमेशा यह दावा करते हैं कि नई तकनीक के उपयोग से सड़कें अब बेहद टिकाऊ और सुविधाजनक होंगी, लेकिन जिले मे हालात इसके ठीक विपरीत दिखाई पड़ते हैं। उमरिया-शहडोल के बीच अभी सड़क पूरी बन भी नहीं पाई है, कि इसके उखडऩे का क्रम शुरू हो गया है। कई जगहों पर ठेकेदार और विभाग की सांठगांठ से हुआ भ्रष्टाचार सतह पर आ गया है, जिसे सीमेंट के घोल से ढांकने का प्रयास किया जा रहा है।
कहीं यहां भी न मांगनी पड़े माफी
गौरतलब है कि हाल ही मे केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी जबलपुर आये थे, जहां उन्होने करोड़ों रूपये की कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। इसी दौरान श्री गड़करी ने मंडला जिले मे सड़क निर्माण मे हुई देरी तथा गुणवत्ताहीन कार्य के लिये जनता से माफी मांगी थी। उनका यह भाषण सोशल मीडिया मे काफी वायरल हुआ था। यहां तो हालत और भी बुरी है। चाहे कटनी से उमरिया हो या फिर उमरिया और शहडोल के बीच हुआ निर्माण। यदि मंत्री जी इन मार्गो को देख लें तो उन्हे नकेवल अफसोस होगा बल्कि दोबारा माफी भी मांगनी पड़ सकती है।
विभाग और ठेकेदार जिम्मेदार
गौरतलब है कि 333 करोड़ रूपये की लागत से उमरिया और शहडोल के बीच बनाई जा रही करीब 74 किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण लगभग 7-8 साल पहले जीवीआर कम्पनी को मिला था। काम अभी शुरू ही नहीं हुआ था कि यह कम्पनी भाग खड़ी हुई। जिसके बाद इसे टीबीसीएल के हाथों सौंप दिया गया था। सड़क के विस्तार और बायपास के लिये कई स्थानो पर भूमि का अधिग्रहण भी किया गया जिसके एवज मे करोड़ों रूपये मुआवजा दिया जा चुका है। इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बावजूद जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके पीछे पूरी तरह से संबंधित विभाग एमपीआरडीसी के अधिकारी और निर्माण एजेन्सी जिम्मेदार है।
वर्षो बाद भी अधूरा राजमार्ग
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