लोकायुक्त के हत्थे चढऩे वाली तीसरी सीईओ बनी प्रेरणा परमहंस, सरपंच ने की थी शिकायत

करकेली मे लगी ट्रैपिंग की हैट्रिक

लोकायुक्त के हत्थे चढऩे वाली तीसरी सीईओ बनी प्रेरणा परमहंस, सरपंच ने की थी शिकायत

बांधवभूमि न्यूज, नीरज सिंह

मध्यप्रदेश
उमरिया
करकेली। जिले के करकेली जनपद मे पदस्थ एक और सीईओ गुरूवार को लोकायुक्त द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगे हांथो पकड़ ली गई। बताया जाता है कि ग्राम पंचायत बहेरवाह के सरपंच प्रमोद यादव ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि नाडेप निर्माण तथा पंच-सरपंच के मानदेय का भुगतान करने की एवज मे सीईओ श्रीमती प्रेरणा परमहंस द्वारा उनसे 10 हजार रूपये की मांग की जा रही है। जिसके बाद विभाग के अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की रणनीति तैयार की गई। गत दिवस सुबह फरियादी सरपंच को सीईओ के शासकीय आवास भेजा गया। तय योजना के अनुसार जैसे ही सरपंच ने रकम प्रेरणा को दी, लोकायुक्त की टीम ने अपना काम पूरा कर लिया। आरोपी सीईओ के विरूद्ध धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है। इस कार्यवाही मे लोकायुक्त रीवा के उप पुलिस अधीक्षक प्रवीण सिंह परिहार, निरीक्षक जिया उल हक, उप निरीक्षक श्रीमती आकांक्षा पाण्डेय, आरक्षक सुभाष पाण्डेय, लवलेश पाण्डेय तथा विजय पाण्डेय का महत्वपूर्ण योगदान था।

दस साल पहले हत्थे चढ़े थे दो अधिकारी
श्रीमती प्रेरणा परमहंस इस तरह करकेली मे ट्रैप होने वाली जनपद की तीसरी सीईओ हैं। इससे पहले करीब दस वर्ष पूर्व 3 जुलाई 2013 को सीईओ दिवाकर पटेल जनपद पीसीओ रामलखन साकेत से पैसे लेते हुए पकड़े गये थे। इसके ठीक दो महीने बाद 3 सितंबर 2013 को तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी गोविंद सिंह राणा एक सचिव नत्थू लाल रजक से रिश्वत की राशि लेते हुए दबोचे गये थे। यह संयोग ही है कि सभी सीईओ महज 10 हजार रूपये लेते हुए लोकायुक्त कार्यवाही का शिकार हुए।

चल रहा फंसने-फंसाने का खेल
गौरतलब है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती प्रेरणा परमहंस दो-तीन महीने पहले सतना जिले की उचेहरा जनपद से स्थानांतरित होकर करकेली आई थी। सूत्रों का कहना है कि बीते कुछ वर्षो से जनपद मे पदस्थ होने वाले अधिकारियों को भारी खींचतान का सामना करना पड़ रहा है। कई नुमाईन्दों कुछ और चाहते हैं, जबकि अन्य जनप्रतिनिधियों की अलग फरमाईशें हैं। ऐसे मे अधिकारी करें भी तो क्या। अनाप-शनाप डिमाण्ड नहीं मानने पर शुरू हो जाता है, फंसने-फंसाने का खेल। ऐसा नहीं है कि अधिकारी भ्रष्टाचार मे लिप्त नहीं है, पर जिनकी  शिकायत पर कार्यवाही हो रही है, वे भी दूध के धुले नहीं है। बताया जाता है कि कई दिनो से सीईओ के लिये जाल बिछाया जा रहा था, अंतत: वे उसमे फंस ही गई।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *