लाल किले में हिंसा पर सरकार का एक्शन

पुलिस छावनी बना गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर, हिंसा करने वालों पर राजद्रोह का केस
नई दिल्ली। 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा पर पुलिस लगातार दूसरे दिन एक्शन में है। गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली और यूपी की पुलिस पहुंच गई है। पुलिस ने किसानों से सड़क खाली करने को कहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बॉर्डर खाली कराने के लिए दिल्ली और यूपी की पुलिस ज्वाइंट ऑपरेशन कर सकती है। यूपी की योगी सरकार ने डीएम और एसपी से कहा है कि वे हर जगह धरना खत्म कराएं। इनमें गाजीपुर भी शामिल है।पुलिस के पहुंचने के साथ ही गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की वॉटर सप्लाई काट दी गई है। पुलिस ने यहां लगाए गए पोर्टेबल टॉयलेट भी हटाने शुरू कर दिए हैं। यूपी रोडवेज की दर्जनों बसें भी यहां लाकर खड़ी कर दी गई हैं।
मंगलवार के उपद्रव में शामिल रहे 44 किसान नेताओं के खिलाफ गुरुवार को लुकआउट नोटिस जारी किए। अब उनके पासपोर्ट जब्त किए जाएंगे, ताकि वे बिना इजाजत विदेश न जा सकें। सूत्रों ने बताया कि जिन 37 नेताओं के खिलाफ पुलिस ने बुधवार को एफआईआर दर्ज की थी, उनमें से 20 के खिलाफ ये नोटिस जारी किए गए हैं।
किसानों को मारने की साजिश हो रही: राकेश टिकैत
दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से पुलिस की तरफ से किसानों को हटने की चेतावनी पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आंसू निकल आए। टिकैत ने कहा, किसानों पर अत्याचार किया जा रहा है। उन्हें मारने की साजिश रची जा रही है। अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। मैं इस देश के किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा। इससे कुछ देर पहले ही टिकैत ने कहा था, न तो मैं सरेंडर करूंगा, न ही धरना खत्म करूंगा। अगर गोली चलनी है तो यहीं चलेगी। दिल्ली की हिंसा पर टिकैत बोले, यह कौम को बदनाम करने की साजिश है। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए। इसमें सारे कॉल रिकॉड्र्स भी शामिल किए जाएं।
धरने को लेकर बंटे दोनों टिकैत भाई
हालांकि, टिकैत के बयान का उनके ही संगठन के प्रमुख नरेश टिकैत ने विरोध किया है। भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत ने किसानों से आंदोलन खत्म कर गाजीपुर बॉर्डर से वापस जाने को कहा है। नरेश टिकैत ने कहा, यहां पर धरना खत्म कर दें। सुविधाएं बंद होने के बाद कैसे धरना कैसे चलेगा? नेताओं और कार्यकर्ताओं को धरना खत्म कर वापस चले जाना चाहिए। किसानों की पिटाई होने से बेहतर यह है कि वे धरना खत्म कर दें।
हिंसा करने वालों पर राजद्रोह का केस
खबर ये भी है कि लाल किले में हिंसा करने वालों पर पुलिस ने राजद्रोह का केस दर्ज किया है। इससे पहले, पुलिस ने 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, 3 दिन में इसका जवाब दें। इनमें से 6 के नाम अभी तक सामने आए हैं। ये नेता हैं राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलदेव सिंह सिरसा, बलबीर सिंह राजेवाल और जगतार सिंह बाजवा।
किसानों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर दो महीने से आंदोलन कर रहे किसानों को अब लोगों का विरोध भी झेलना पड़ रहा है। गुरुवार दोपहर कुछ लोगों ने सिंघु बॉर्डर पहुंचकर नारेबाजी की। लोगों के हाथ में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था कि तिरंगे का अपमान नहीं सहेंगे।
किसान 30 जनवरी को उपवास रखेंगे
इधर, किसान नेता युद्धवीर सिंह ने हिंसा की घटनाओं पर माफी मांगते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन जो हुआ वो शर्मनाक है। मैं गाजीपुर बॉर्डर के पास था। जो उपद्रवी वहां घुसे उनमें हमारे लोग शामिल नहीं थे। फिर भी मैं शर्मिंदा हूं और 30 जनवरी को उपवास रखकर हम प्रायश्चित करेंगे।
20 किसान नेताओं से पुलिस ने 3 दिन में जवाब मांगा
पुलिस ने 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, 3 दिन में इसका जवाब दें। जिन नेताओं को नोटिस दिए गए हैं उनमें से 6 के नाम अभी तक सामने आए हैं। ये नेता हैं राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलदेव सिंह सिरसा, बलबीर सिंह राजेवाल और जगतार सिंह बाजवा। पुलिस ने जो नोटिस भेजा है उसमें यह भी कहा है कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले में तोडफ़ोड़ करना एक देश विरोधी हरकत है।
हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों से मिले अमित शाह
मंगलवार को हुए उपद्रव में दिल्ली पुलिस के 300 से ज्यादा जवान घायल हो गए। इनमें से कई अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से कुछ जवानों का हाल जानने के लिए गृह मंत्री अमित शाह सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर पहुंचे, यहां 2 जवान भर्ती हैं। शाह तीरथराम अस्पताल में भर्ती जवानों का हाल जानने भी जाएंगे।
टिकैत का धमकी भरा लहजा
ट्रैक्टर रैली में हिंसा को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। लेकिन, उनके तेवर नहीं बदले हैं। टिकैत ने अब सरकार को धमकी भरे लहजे में चेतावनी दी है। क्योंकि, गाजीपुर बॉर्डर पर बुधवार रात 8 बजे बिजली काटने से टिकैत गुस्सा हो गए। टिकैत ने कहा कि सरकार दहशत फैलाने का काम कर रही है। इस तरह की कोई भी हरकत पुलिस-प्रशासन न करे। अगर इस तरह की हरकत करेगा तो सारे बॉर्डर वहीं हैं। ठीक है…और वे किसान जो गांवों में हैं वहां पर उनको बता देंगे। फिर अगर कोई दिक्कत होती है तो वहां के जो लोकल के थाने हैं, किसान वहां पर जाएंगे। ये सरकार पूरी तरह ध्यान रख ले। इस तरह की कोई भी हरकत वहां होगी तो पूरी जिम्मेदारी सरकारों की होगी।
देर रात किसानों को हटाया
दिल्ली पुलिस के साथ ही बुधवार को यूपी पुलिस भी एक्शन में दिखी। उनसे दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर यूपी के बागपत जिले के बड़ौत में धरने पर बैठे किसानों को आधी रात को हटा दिया। यहां 40 दिन किसान धरने पर बैठे थे। खबर तो लाठीचार्ज होने और आंदोलन की कमान संभाल रहे ब्रजपाल सिंह की गिरफ्तारी की भी आई। हालांकि, इन दोनों बातों की पुष्टि नहीं हुई है।
झंडा लगाने वाले की पहचान हुई
किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुए बवाल में सबसे ज्यादा चर्चा लाल किले की घटना की हो रही है। क्योंकि, रैली में शामिल प्रदर्शनकारी पुलिस का दिया रूट फॉलो न कर लाल किले पर पहुंच गए थे। वहां उन्होंने जमकर उत्पात मचाया और किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा भी लगा दिया। झंडा लगाने वाले एक युवक की अब पहचान हो गई है। वह पंजाब के तरनतारन के वां-तारा सिंह गांव का रहने वाला है, उसका नाम जुगराज सिंह (22) है। उसके दादा महल सिंह ने कहा है कि जुगराज 24 जनवरी को दिल्ली गया था। वह लाल किले पर कैसे पहुंचा और किसके कहने पर वहां केसरी झंडा चढ़ाया? यह उन्हें नहीं पता।

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