नई दिल्ली। आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर एनडीए ने बड़ा दांव खेला है। इससे उसके अपने कई हित सधते नजर आ रहे हैं, तो इस मामले पर विपक्ष में भी ‘फूट’ पड़ सकती है। बीजू जनता दल नेता नवीन पटनायक और हम पार्टी के नेता जीतनराम मांझी ने मुर्मू की दावेदारी को समर्थन देने का एलान कर दिया है। वहीं, आम आदमी पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा भी मुर्मू का समर्थन कर सकती है। जद(यू) की भूमिका को लेकर भी संदेह जताया जाता रहा था, लेकिन बदली परिस्थिति में नीतीश कुमार भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर सकते हैं। इसी तरह के कुछ अन्य दलों के भी मुर्मू के समर्थन में आने की संभावना जताई जा रही है।विपक्षी खेमे के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बिहार से आने के कारण माना जा रहा था कि नीतीश कुमार राज्य की ‘माटी के लाल’ होने के आधार पर इस मुद्दे पर एनडीए खेमे से अलग रास्ता अपना सकते हैं, लेकिन द्रौपदी मुर्मू का नाम सामने आने के बाद उनका गणित गड़बड़ा गया है। जनता दल (यूनाइटेड) नेता नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के मुद्दे पर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।विपक्ष अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए उनकी ओर बड़ी उम्मीद के साथ देख रहा था, लेकिन सरकार के सहयोगी जीतन राम मांझी ने आदिवासी महिला के नाम पर द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन कर दिया है। इससे नीतीश कुमार पर भी मुर्मू का समर्थन करने का दबाव बढ़ गया है। बिहार में भारी संख्या में आदिवासी समुदाय के मतदाता रहते हैं। नीतीश कुमार उनकी भावनाओं के खिलाफ जाने से बचेंगे। नीतीश कुमार की राजनीति महिलाओं के मुद्दों पर केंद्रित रही है। इस कारण भी वे मुर्मू के साथ जा सकते हैं।आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार पर अब तक अपना रुख साफ नहीं किया है। लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया था कि राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम सामने आने के बाद वह इस मामले पर फैसला लेंगे। द्रौपदी मुर्मू का नाम सामने आने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उनका समर्थन कर सकती है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव को गंभीरता के साथ लड़ने का मन बना चुकी है। इसके लिए पार्टी ने जोरशोर से तैयारी भी शुरू कर दी है। पार्टी ने अपने विस्तार के लिए शहरी मतदाताओं वाले क्षेत्रों के साथ-साथ उन आदिवासी इलाकों पर फोकस करना शुरू किया है, जहां भाजपा की पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती है। अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों वहां पर एक बड़ी जनसभा का आयोजन भी किया था। आदिवासी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए वह द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर सकती है।द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल रह चुकी हैं। राज्य में भारी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं और सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा की राजनीति भी आदिवासी समुदाय के हितों पर केंद्रित रही है। यही कारण है कि माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन देने के लिए सामने आ सकते हैं। उनके अलावा आदिवासी समुदायों की राजनीति करने वाले कुछ अन्य दल भी मुर्मू का साध देने के लिए विपक्षी खेमे से बाहर आ सकते हैं। जब द्रौपदी मुर्मू अपने लिए समर्थन मांगने का कार्य करना शुरू करेंगी, इस पर तस्वीर साफ हो सकती है।
रौपदी मुर्मू के नाम पर विपक्ष में ‘फूट’
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