रोटी को तरस रहे गरीब

राशन की दुकानो मे महीनो से नहीं आया गेंहू, शक्कर भी नदारत
बांधवभूमि, उमरिया
जिले की राशन दुकानो पर कई महीनो से गेहूं की आपूर्ति नहीं हो रही है। जिसकी वजह से गरीबों के चूल्हों पर रोटी नहीं पक पा रही है। लोगों ने बताया कि करीब 5-6 महीनो से उन्हे केवल चावल ही दिया जा रहा है। इसी तरह लगभग 2-3 महीनो से शक्कर की आपूर्ति भी बंद पड़ी है। इतना ही नहीं दीपावली पर भी उपभोक्ताओं को इसके दर्शन नहीं हुए और उन्हे मिठाई की बजाय नमकीन से ही काम चलाना पड़ा। सूत्रों का दावा है कि गेहूं की शार्टेज की वजह से यह स्थिति निर्मित हुई है। उनका कहना है कि आने वाले कुछ महीनो तक यह स्थिति बरकरार रहेगी। नई फसल और उपार्जन के बाद ही हितग्राहियों को गेहूं प्रदाय किया जा सकेगा।
स्टॉेक की कमी के चलते आई दिक्कत
उल्लेखनीय है कि विगत उपार्जन वर्ष के दौरान बाजार मे अच्छी मांग और बेहतर रेट के चलते किसानो ने शासन के समर्थन मूल्य केन्द्रों की बजाय व्यापारियों को अपनी उपज बेंचने मे ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। जानकारों का मानना है कि जिले मे कुल उत्पादन का 70 से 80 प्रतिशत माल बाजार मे बिका। वहीं समर्थन मूल्य केन्द्रों मे महज 20 से 30 फीसदी गेहूं का उपार्जन हो सका। लिहाजा स्टाक की कमी के चलते गरीबों को इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
तो इस बार भी नहीं सुधरेगी हालत
बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि किसानो को उपार्जन के दौरान जहां एक ओर सोसायटियों के नाज नखरे सहने पड़ते हैं, वहीं भुगतान भी तत्काल नहीं होता। गत साल पहली बार खुले बाजार मे गेहूं के दाम उठ कर समर्थन मूल्य के आसपास आ गये थे। इसी वजह से वे सरकारी केन्द्रों को छोड़ बाजारों का रूख कर रहे थे, जहां उन्हे तत्काल भुगतान भी मिल रहा था। इस बार यदि समर्थन मूल्य मे बढ़ोत्तरी हुई और बाजार के दाम स्थिर रहे तो किसानो को पुन: उपार्जन केन्द्रों मे अपनी उपज बेंचनी पड़ेगी, अन्यथा हालात मे ज्यादा परिवर्तन नहीं आयेगा।
2 किलो गेहूं, 3 किलो मिलता था चावल
राज्य शासन द्वारा अंत्योदय एवं प्राथमिकता श्रेणी के परिवारों को प्रति परिवार 1 रूपये की दर से 35 किलो अनाज, 1 किलो नमक तथा 20 रूपये मे 1 किलो शक्कर देने का प्रावधान है। इसके अलावा कोरोना के समय से केन्द्र सरकार द्वारा परिवार के प्रत्येक सदस्य को 5 किलो अनाज निशुल्क दिया जा रहा है। जिसमे 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल शामिल है।

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