अमृतसर:रेलवे ट्रैक पर किसानो ने डाला डेरा

कृषि विधेयकों के विरोध मे रेल रोको आंदोलन जारी, तीन दिन बढ़ा प्रदर्शन
अमृतसर। संसद के दोनों सदनों से पास हो चुके कृषि विधेयकों के विरोध में किसान अब सड़कों पर उतर आए हैं। कृषि बिल का सबसे ज्यादा विरोध हरियाणा और पंजाब में किया जा रहा है। शुक्रवार को भारत बंद के बाद पंजाब में किसान रेल रोको आंदोलन अब भी जारी है। अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान रेलवे ट्रैक पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने जल्द से जल्द कृषि बिल के तीनों विधेयक को वापस नहीं लिया तो यह लड़ाई और आगे जाएगी। उल्लेखनीय है कि किसान संगठनों ने पूर्व में घोषित रेल रोको प्रदर्शन को अब तीन दिन और आगे बढ़ाने का फैसला किया है। रेल रोको आंदोलन की शुरूआत २४ सितंबर से की गई थी, जिसे २६ सितंबर तक चलना था, लेकिन अब इस आंदोलन को २९ सितंबर तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया है।
बड़े पूंजीपतियों के हाथों मे
चला जाएगा कृषि क्षेत्र
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि केंद्र के इस फैसले से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कृषि क्षेत्र बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा बीते हफ्ते पास किए गए तीन बिलों में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवद्र्धन और सरलीकरण) विधेयक-२०२० और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा करार, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक शामिल है।
रेल्वे परिचालन मे दिखा असर
रेल रोको आंदोलन का असर अब रेलवे के परिचालन पर दिखने लगा है। किसान आंदोलन को देखते हुए उत्तर रेलवे ने तीन ट्रेनों को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला लिया है, जबकि २० विशेष ट्रेनों को रोक दिया गया है। मुंबई सेंट्रल से अमृतसर तक चलने वाली ट्रेन गोल्डन टेंपल स्पेशल को अंबाला कैंट तक ही चलाने का फैसला लिया गया है। वहीं २७ सितंबर को इस ट्रेन की वापसी भी अमृतसर की जगह अंबाला कैंट से होगी। न्यू जलपाईगुड़ी से अमृतसर तक चलने वाली कर्मभूमि एक्सप्रेस को अंबाला कैंट तक चलाने और यहीं से वापसी का फैसला लिया गया है। बांद्रा टॢमनस से अमृतसर स्पेशल-अंबाला कैंट तक चल रही है और यहीं से वापसी होगी। नांदेड़ से अमृतसर-सचखंड एक्सप्रेस पिछले ४ दिनों से नई दिल्ली तक ही चल रही है।
तबाही की ओर ढकेल रही केंद्र सरकार:अमरिंदर
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा उम्मीद है कि कोरोना संक्रमण और अत्यंत गर्मी की परवाह न करते हुए कृषि विधेयकों का विरोध करने वाले किसानों की तकलीफ केंद्र सरकार महसूस करेगी। केंद्र सरकार ने कहा कि कृषि क्षेत्र की परवाह नहीं करते हुए केंद्र उसे तबाही की ओर ढकेलने का प्रयास कर रहा है। मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने कहा किसान और कृषि क्षेत्र पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। उन्होंने कहा भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से बुरी मानसिकता के साथ तैयार किए असंवैधानिक कृषि कानूनों ने किसानों को हाशिए की तरफ धकेल दिया है जिस कारण वह कोविड महामारी के दौरान सडक़ों पर आकर अपनी जिन्दगियां खतरे में डालने पर मजबूर हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि पंजाब और कई अन्य राज्यों में रोष-प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को ये विधेयक वापस ले लेने चाहिए।

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