नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की। बता दें कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होने वाला है। इसके बाद संसद और विधानसभाओं में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मतदान होगा। मतदान में राष्ट्रपति पद के लिए 1,2,3 नंबर लिखकर अपनी पसंद बतानी पड़ेगी। इसके बाद पहली पसंद नहीं बताने पर वोट रद्द हो जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा। इसी बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि सांसद और विधायक किसी भी जगह से अपना मतदान कर सकते हैं। इसके लिए सांसदों और विधायकों को कम से कम 10 दिन पहले चुनाव आयोग को जानकारी देनी पड़ेगी। ताकि उनके वोट की व्यवस्था बदले हुए स्थानों पर की जा सके।
चुनाव आयोग ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा। जबकि 21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4,809 मतदाता अपने वोट का इस्तेमाल होगा। कोई भी राजनीतिक दल अपने सदस्यों को व्हिप जारी नहीं कर सकता है।चुनाव आयोग के अनुसार राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने की तारीख 15 जुलाई होगी। जबकि 18 जुलाई को मतदान होगा। मतदान के दो दिन बाद 21 जुलाई को मतगणना होगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नए राष्ट्रपति को 25 जुलाई को शपथ दिलाएंगे। हर 5 साल पर 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिलता है। यह सिलसिला 1977 से चला आ रहा है। तत्कालीन राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया था। उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को प्रेसिडेंट पद की शपथ ली। इसके बाद से ही हर 5 साल पर 25 जुलाई को भारत के नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होता रहा है। पिछली बार 17 जुलाई, 2017 को राष्ट्रपति चुनाव हुआ था और 20 जुलाई को परिणाम आया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म होगा। वहीं, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 62 के अनुसार, अगले राष्ट्रपति का चुनाव मौजूदा कार्यकाल के खत्म होने से पहले होना जरूरी है। हम आपकों इस खबर के माध्यम से आपकों पूरी प्रक्रिया समझते हैं। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम के द्वारा होता है, जिसमें सांसद और विधायक मतदान करते हैं। चुनाव आयोग की देखरेख में यह पूरी प्रक्रिया होती है। अब सवाल कि क्या होता है इलेक्टोरल कॉलेज? यह ऊपरी और निचले सदन के चुने हुए सदस्यों से मिलकर बनता है। साथ ही इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के चुने हुए सदस्य भी शामिल होते हैं।इस चुनाव में 4 हजार 896 मतदाता होंगे, इनमें 543 लोकसभा और 233 राज्यसभा सांसद, सभी राज्यों के 4 हजार 120 विधायक शामिल हैं।
सांसदों और विधायकों की तरफ से डालने वाले वोट की कीमत एक से ज्यादा होती है। एक ओर जहां लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के वोट की कीमत 708 होती है। वहीं, विधायक के वोट की कीमत राज्यों में जनसंख्या की गणना जैसी बातों पर निर्भर करती है। एक विधायक के वोट की गणना के लिए राज्य की जनसंख्या का विधानसभा में विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है। इस नतीजे का भाग आगे 1000 हजार से किया जाता है। राज्यों के हिसाब से उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की कीमत सबसे ज्यादा 208 है। जबकि, अरुणाचल प्रदेश में यह आंकड़ा 8 पर है। इस लिहाज से राज्यसभा और लोकसभा सांसदों को मतों की कीमत 5 लाख 59 हजार 408 है। जबकि, विधायकों के मामले में यह संख्या 5 लाख 49 हजार 495 पर है। इसके बाद इलेक्टोरल कॉलेज का आंकड़ा 10 लाख 98 हजार 903 पर पहुंच जाता है। यहां केवल बहुमत के आधार पर ही उम्मीदवार विजयी नहीं होता, बल्कि उन्हें वोट का खास कोटा हासिल करना होता है। गणना के दौरान आयोग सभी इलेक्टोरल कॉलेज की तरफ से पैपर बैलेट के जरिए डाले गए सभी वैध मतों की गिनती करता है। उम्मीदवार को डाले गए कुल वोट का 50 फीसदी और एक अतिरिक्त वोट हासिल करना होता है। आम चुनाव में मतदाता एक पार्टी के उम्मीदवार को वोट देते हैं। वहीं, इलेक्टोरल कॉलेज में वोटर बैलेट पेपर पर पसंद के क्रम में उम्मीदवारों का नाम लिखते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को होगा मतदान, 21 को आएंगे परिणाम
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