राज्यसभा के 8 विपक्षी सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित

कृषि बिलों का किया विरोध, 18 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति से बिलों पर हस्ताक्षर न करने की अपील की

नई दिल्ली। संसद सत्र के आठवें दिन लोकसभा और राज्यसभा में कृषि बिलों को लेकर हंगामा हुआ। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को ८ विपक्षी सांसदों को सदन की कार्यवाही से पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इस बीच, कांग्रेस समेत १८ विपक्षी पाॢटयों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की है। उधर,संसद परिसर में गांधी प्रतिमा पर निलंबित सांसद डेरेक ओ ब्रायन, राजीव सातव, संजय सिंह, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नजीर हुसैन और इलामारन करीम रात भर धरना देंगे। दरअसल, रविवार को कृषि से जुड़े दो विधेयक राज्यसभा में पास हुए थे। चर्चा के दौरान इन विपक्षी सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी और हंगामा किया था और उपसभापति हरिवंश का माइक निकालने की कोशिश की थी। इन सभी पर उपसभापति के साथ असंसदीय व्यवहार करने का आरोप है। डेरेक ओ ब्रायन, डोला सेन तृणमूल कांग्रेस, राजीव सातव, रिपुन बोरा, सैयद नजीर हुसैन, कांग्रेस केके रागेश, ई करीम माकपा, संजय सिंह आप पाार्टी के सांसदों पर कार्रवाई हुई है। आसंदी पर मौजूद भुबनेश्वर कलीता ने निलंबित सांसदों को सदन से बाहर जाने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि निलंबित सांसद नियम के मुताबिक अपनी बात रख सकते हैं, लेकिन ऐसा सदन में पहले कभी नहीं हुआ। हंगामे के चलते सदन मंगलवार ९ बजे तक स्थगित कर दिया गया।
उपसभापति पर कार्रवाई
की मांग खारिज
सभापति वेंकैया ने उपसभापति हरिवंश पर कार्रवाई की मांग को खारिज कर दिया। कृषि मंत्री के जवाब पर बहस की मांग खारिज होने पर १२ विपक्षी दलों ने रविवार को हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। वेंकैया ने कहा कि कल जो राज्यसभा में हुआ, उसे अच्छा नहीं कहा जा सकता। कुछ सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी की। उपसभापति को धमकाया गया। उनके काम में अड़ंगा डाला गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरा सुझाव है कि जिन सांसदों पर कार्रवाई हुई, उन्हें अपने अंदर झांककर देखना चाहिए।
ममता ने जताया विरोध
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया ८ सांसदों को निलंबित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। ये सरकार के तानाशाही रवैये को दिखाता है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकार का लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं है। हम फासिस्ट सरकार के खिलाफ संसद और सड़क पर लड़ते रहेंगे।
लोकसभा मे बना रिकॉर्ड
लोकसभा मे जनहित से जुड़े जरूरी मामलों पर बहस (मैटर्स ऑफ अर्जेंट पब्लिक इंपोर्टेंस) या जीरो आवर पहली बार आधी रात तक चला। कई सांसदों और लोकसभा सचिवालय से अधिकारियों ने बताया कि १७ अप्रैल १९५२ में लोकसभा के गठन के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। लोकसभा की कार्यवाही रविवार को दोपहर बाद ३ बजे शुरू हुई थी। प्रश्नकाल  के बाद रात १०.३० बजे जीरो आवर शुरू हुआ, जो रात १२.३४ बजे तक चला। जीरो आवर में बहस के लिए सांसदों को पहले से प्रश्न बताने की जरूरत नहीं होती।
बिल पास…मगर संसद फेल
किसान बिलों के विरोध में रविवार को राज्यसभा में विपक्ष ने सभी हदें पार कर दीं। पहले सभापति के सदन का समय बढ़ाने पर हंगामा शुरू हुआ। विपक्षी सदस्य वेल में हंगामा करने लगे। इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का जवाब पूरा होने के बाद जब बिल पास करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो विपक्षी मत विभाजन की मांग करने लगे।
केंद्र सरकार ने बढ़ाया रबी की केंद्र सरकार ने बढ़ाया रबी की
फसलों पर एमएसपी फसलों पर एमएसपी
संसद में किसान बिलों पर विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने सोमवार को रबी की ६ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया। गेहूं के समर्थन मूल्य में ५० रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। वहीं चना और सरसों में २२५ रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी दी। कृषि मंत्री ने रबी की ६ फसलों की नई एमएसपी जारी की है। तोमर ने कहा, चना का समर्थन मूल्य ५१०० रु पए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। चना के समर्थन मूल्य में २२५ रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि। इसके अलावा जौ का समर्थन मूल्य १६०० रूपए प्रति क्विंटल घोषित हुआ है और ७५ रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। मसूर का समर्थन मूल्य ५१०० रूपए प्रति क्विंटल घोषित। सरसों एवं रेपसीड का समर्थन मूल्य ४६५० रूपए प्रति क्विंटल घोषित हुआ है। कृषि मंत्री ने कहा, वर्ष २०१३-२०१४ में गेहूं की एमएसपी १४०० रूपए थी, जो २०२०-२०२१ में बढ़कर १९७५ रूपए हो गई। यानि एमएसपी में ४१ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। २०१३-२०१४ में धान की एमएसपी १३१० रूपए थी, जो २०२०-२०२१ में बढ़कर १८६८ रूपए हो गई। २०१३-२०१४ में मसूर की एमएसपी २९५० रूपए थी, जो २०२०-२१ में बढ़कर ५१०० रूपए हो गई। २०१३-२०१४ में उड़द की एमएसपी ४३०० रूपये थी, जो २०२०-२१ में बढ़कर ६००० रूपए हो गई।

 

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